हरियाणा कांग्रेस दिग्गजों में फिर से सीएम पद को लेकर टकराव शुरू अशोक कुमार कौशिक हरियाणा में लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस दिग्गजों में फिर से टकराव शुरू हो गया है। दुसरी ओर लोकसभा चुनाव में अपने और इंडिया गठबंधन के प्रदर्शन को संतोषजनक मान रही कांग्रेस भविष्य को लेकर रणनीति बनाने में जुट गई है। इसके लिए ज़िम्मेदारी तय करते हुए संगठन में बदलाव की तैयारी है, सबसे पहले करीब आधा दर्जन से ज़्यादा प्रदेश अध्यक्ष और कुछ प्रभारी महासचिवों को बदलने की तैयारी है। महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और राजस्थान, हरियाणा के नतीजों को पार्टी आलाकमान ने बेहतर माना है, इसलिए यहां के प्रदेश अध्यक्ष अपने पदों पर फिलहाल कायम रहेंगे। हालांकि, पंजाब की राजनीति में सक्रिय होने की इच्छा जता चुके राजस्थान के प्रभारी सुखजिंदर रंधावा अबकी बार सांसद का चुनाव भी जीत चुके हैं, इसलिए वो बदले जाएंगे। वहीं दिल्ली और हरियाणा के प्रभारी दीपक बावरिया, उड़ीसा और तमिलनाडु के प्रभारी अजॉय कुमार से एक-एक राज्य ले लिया जाएगा। इन नेताओं पर लटक रही तलवार इसके अलावा चुनावों के दौरान अरविंदर सिंह लवली के बीजेपी में जाने पर दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए गए देवेंद्र यादव अब इसी पद पर फोकस करेंगे और पंजाब के प्रभारी का पद किसी और को दिया जाएगा। वहीं हिमाचल अध्यक्ष प्रतिभा सिंह, छत्तीसगढ़ अध्यक्ष दीपक बैज, बिहार अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह, झारखण्ड अध्यक्ष राजेश ठाकुर, उत्तराखण्ड अध्यक्ष करन सिंह माहरा, 29-00 नतीजे वाले एमपी अध्यक्ष जीतू पटवारी, अपना चुनाव हारने वाले बंगाल अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी पर बदले जाने की तलवार लटक रही है। महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड पर फोकस उधर, तेलंगाना में मुख्यमंत्री और अध्यक्ष दोनों पद सम्भाल रहे रेवंत रेड्डी अध्यक्ष पद छोड़ सकते हैं। साथ ही मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में जेल गए झारखंड कांग्रेस विधायक दल के नेता और मंत्री आलमगीर आलम की जगह भी नई नियुक्ति होगी। कांग्रेस का पहला फोकस महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखण्ड पर है, जहां विधानसभा के चुनाव हैं। सूत्रों की मानें तो 3 जुलाई को संसद का विशेष सत्र खत्म होने के बाद संगठन में इन बदलावों का ऐलान कर दिया जाएगा। हरियाणा में आपसी रार, टिकट वितरण पर शैलजा ने उठाए सवाल पूर्व केंद्रीय मंत्री व सिरसा से नवनिर्वाचित सांसद कुमारी सैलजा का मानना है कि कांग्रेस इससे बेहतर नतीजे ला सकती थी। लेकिन टिकट आवंटन का फैसला सही नहीं हुआ, उन्होंने प्रत्याशियों के चयन पर सवाल उठाए हैं। सैलजा के आरोपों के बाद पार्टी प्रदेशाध्यक्ष चौ़ उदयभान ने पलटवार किया है। उन्होंने सैलजा को मीडिया में कुछ भी बोलने की बजाय पार्टी के सीनियर नेताओं से बात करने और पार्टी प्लेटफार्म पर अपनी बात रखने की नसीहत दी है। प्रदेश में चूंकि सितंबर-अक्तूबर में विधानसभा के आमचुनाव होने हैं। ऐसे में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के बीच मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर अभी से खिंचतान शुरू हो गई है। राज्य में लोकसभा की दस सीटों में से कुरुक्षेत्र सीट इंडिया गठबंधन के चलते आम आदमी पार्टी (आप) के हिस्से आई थी। आप ने कुरुक्षेत्र से पार्टी प्रदेशाध्यक्ष डॉ़ सुशील गुप्ता को चुनाव लड़वाया। बाकी की नौ सीटों में से सिरसा से पार्टी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा को चुनाव मैदान में उतारा। वहीं आठ सीटों पर प्रत्याशियों का फैसला पूर्व सीएम और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा की पसंद से हुआ। हुड्डा के कहने से जिन आठ नेताओं को टिकट दिया गया, उनमें से चार जीत हासिल करने में कामयाब रहे। रोहतक से दीपेंद्र हुड्डा, हिसार से पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश ‘जेपी’, सोनीपत से सतपाल ब्रह्मचारी और अंबाला से वरुण चौधरी चुनाव जीतने में सफल रहे। वहीं करनाल से दिव्यांशु बुद्धिराजा भिवानी-महेंद्रगढ़ से राव दान सिंह, फरीदाबाद से पूर्व मंत्री महेंद्र प्रताप सिंह तथा गुड़गांव से पूर्व सांसद व फिल्म अभिनेता राज बब्बर चुनाव नहीं जीत सके। हालांकि राव दान सिंह लगभग चालीस हजार और राज बब्बर 75 हजार के लगभग मतों के अंतर से ही चुनाव हारे हैं। दिव्यांशु बुद्धिराजा और महेंद्र प्रताप सिंह की हार का अंतर काफी अधिक है। सैलजा ने राज बब्बर और सतपाल ब्रह्मचारी को बाहरी बताते हुए कहा कि स्थानीय नेताओं को टिकट टिकट मिलनी चाहिए थी। गुड़गांव में जहां उन्होंने पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव को टिकट दिए जाने की वकालत की है। वहीं हिसार से जयप्रकाश की जीत के बाद भी सैलजा का मानना है कि यहां से पूर्व डिप्टी सीएम चंद्रमोहन बिश्नोई को अगर टिकट मिलती तो जीत का अंतर काफी अधिक होता। साथ ही, उनका कहना है कि सतपाल ब्रह्मचारी की जगह सोनीपत से पूर्व केंद्रीय मंत्री चौ़ बीरेंद्र सिंह या उनके बेटे व पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह को टिकट मिलना चाहिए था। प्रदेशाध्यक्ष ने किया पलटवार कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष उदयभान ने कुमारी सैलजा के बयान पर पलटवार किया है। उनका कहना है कि उन्हें (सैलजा) को जो भी बात कहनी है या करनी है वे पार्टी प्लेटफार्म पर करें। पार्टी के सीनियर नेताओं के साथ बातचीत करें। उदयभान ने कहा – टिकट वितरण बेहतर हुआ था तभी तो हरियाणा में कांग्रेस का ग्राफ भी बढ़ा है। कांग्रेस का वोट प्रतिशत बढ़ा है और पार्टी लोकसभा की पांच सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब हुई है। उदयभान ने कहा – कुमारी सैलजा को इस तरीके से मीडिया या फिर पब्लिक प्लेटफार्म में बयान नहीं देने चाहिए। प्रदेशाध्यक्ष ने दावा किया कि आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस 70 से अधिक सीटों पर जीत हासिल करेगी और सरकार बनाएगी। असली लड़ाई मुख्यमंत्री की लोकसभा की पांच सीटों पर जीत के बाद कांग्रेसियों का मनोबल बढ़ा है। कांग्रेस नेताओं व कार्यकर्ताओं को विधानसभा में अच्छे नतीजों और सरकार बनने की उम्मीद है। राज्य में कांग्रेस पिछले दस वर्षों से सत्ता से बाहर है। मुख्यमंत्री पद को लेकर कांग्रेस दिग्गजों की लड़ाई पुरानी चली आ रही है। हुड्डा खेमा जहां पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा को प्रोजेक्ट कर रहा है। वहीं कुमारी सैलजा भी खुद को मुख्यमंत्री पद की दावेदार बता चुकी हैं। राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला के समर्थक भी इस मामले में पीछे नहीं हैं। एससी एससी-बीसी और गरीबों को शिक्षा से वंचित कर रही भाजपा : हुड्डा भाजपा नीतिगत साजिश के तहत हरियाणा के शिक्षा तंत्र को बर्बाद कर रही है। उसका मकसद एससी, ओबीसी और गरीबों को शिक्षा से वंचित करना है। यह कहना है पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का। हुड्डा शिक्षण संस्थाओं में खाली पड़े पदों और फीस बढ़ोतरी पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के नाम पर एमडीयू में 5 गुना तक फीस बढ़ा दी गई। फीस बढ़ोत्तरी के नाम पर विद्यार्थियों से खुली लूट की जा रही है। उन्होंने फीस बढ़ोतरी के फैसले को तुरंत वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि कांग्रेस की जिस नीति ने हरियाणा को शिक्षा का हब बनाया था, भाजपा उसे नुकसान पहुंचा रही है। Post navigation याद रखे देश ईस्ट दिल्ली में शिशुओं के जलने के हादसे को …………. पश्चिम बंगाल में हो रही राजनीतिक हिंसा का जायजा लेने के लिए बिप्लब देब के नेतृत्व में चार सदस्यीय समिति गठित