*विपक्ष को गरियाने की बजाय समीक्षा अपने बर्ताव भाषाशैली व कुनीतियों की करे भाजपा : माईकल सैनी (आप)
*बैकवर्ड क्लास के मुख्यमंत्री होने के नाते नायब सैनी समीक्षा करें पिछड़े दलितों के रिक्त पड़े बैकलॉग की : माईकल सैनी (आप)
*चुनावी समीक्षा के नाम पर केवल विपक्ष को कोसने की बजाय पेपर लीक कैसे रुके यह सुनिश्चित करें मुख्यमंत्री : माईकल सैनी (आप)

गुरुग्राम 29/5/24 दिल रखने के लिए मुख्यमंत्री नायब सैनी ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि भाजपा कार्यकर्ताओं के कार्यो को प्रमुखता दें अन्यथा लापरवाही के लिए वह स्वम् जिम्मेदार होंगें अर्थात अब यह मान लिया जाए कि वास्तव में अब जनता के काम होंगें ?
आम आदमी पार्टी नेता माईकल सैनी ने कहा कि जनता से सदैव दूरी साधे रहने वाली भाजपा सरकार जो कभी आमजन की सुध नहीं लेती अथवा फरियादी को सुरक्षा कर्मियों से बाहर फिंकवाती दिखी विपक्षी दल से होने का आरोप मढ़कर, वह और उसके पदाधिकारी काम करेंगे जनता के इसमें ताज्जुब होता है !
उन्होंने कहा कि सीएम विंडो जिसे भाजपा बड़ी उपलब्धि बताते नहीं थकती उसी सीएम विंडो पर वर्षो से लंबित शिकायतें पड़ी हैं जिन्हें बतौर कष्ट निवारण समिति अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री पद पर आसीन रहते मनोहर लाल खट्टर नहीं हल कर पाए, महज आश्वासनों के बावजूद कोई मंत्री और विधायक नहीं कर पाए क्योंकि उनकी कोई बुक्कत नहीं समझते निरंकुश अधिकारी जिनकी अनेकों बार वह शिकायतें लगाने मुख्यमंत्री, गृह मंत्री के पास जाते दिखे तब तो कोई असर होता नहीं दिखा और नायब सरकार कह रही है कि उन कार्यों को अब भाजपाई कार्यकर्ता करवाएंगे क्या यह अपनी ही बात हास्यास्पद नहीं लगती सरकार को ?
माईकल सैनी ने कहा कि भाजपा द्वारा चुनाव पूर्व समीक्षा बैठक बुलाई गई जहां सरकारी नीतियों के असर व लोगों में स्वीकार्यता और कार्यकर्ताओं की कार्यशैली, उनकी सहभागिता तथा मत प्रतिशत पर समीक्षा होनी चाहिए थी मगर गरियाते नजर आए विपक्षी दलों को ?
चर्चा होनी चाहिए तथाकथित सुपर सीएम एमएल खट्टर को लेकर कि वह न तो अब मुख्यमंत्री हैं और न कहीं से विधायक और न ही किसी राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष तो उन्हें अति विशिष्ट श्रेणी सुरक्षा कैसे प्राप्त है, टैक्सपेयर्स द्वारा सवाल पूछ लिया कि उसके पैसे को व्यर्थ में क्यों खर्च कर रही है नायब सरकार है तब क्या जवाब देंगें ?
उन्होंने कहा गर सरकार को समीक्षा ही करनी थी तो महंगाई, भय, भृष्टाचार, भुखमरी, बढ़ते कर्ज, श्रमिक, मजदूर का दमन तथा व्यापारी वर्ग गरीब के शोषण पर, शिक्षा स्वास्थ्य के विषयों पर करनी चाहिए थी और एमएसपी मांग रहे किसानों के साथ महिला सुरक्षा सम्मान की करनी चाहिए थी साथ ही अत्यंत ज्वलंत मुद्दा बेरोजगारी जिसे कम करने के नाम पर कई मर्तबा परीक्षाएं तो ली परन्तु भृष्ट तंत्र द्वारा पेपर लीक होने की समस्या बढ़ती रही इसपर करते मगर न जाने क्यों बीजेपी सरकार को महज चुनावी समीक्षा की ही पड़ी रहती है ?