बड़ा सवाल: हरियाणा की जनता केंद्रीय और अन्य राज्यों के नेताओं पर विश्वास करेगी ?

भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। चुनाव प्रचार को मात्र दो दिन बचे हैं लेकिन हरियाणा में स्थिति ऐसी है कि पता ही नहीं लग रहा है कि कौन कितनी सीट जीतेगा। शारीरिक भाषा पर यदि नजर डालें तो भाजपा नेताओं से अधिक सहज कांग्रेसी नेता नजर आते हैं। दोनों पार्टियों के नेताओं का कथन है कि वे दस की दस सीटें जीतेंगे।

अब एक बात मैं अपने आंकलन से कह रहा हूं जो मैंने अनुभव की है कि ऐसे चुनाव मैंने अपने जीवन में देखे नहीं। मैं अब 72वें वर्ष में चल रहा हूं। इन चुनावों में जो मैं महसूस कर रहा हूं, वह यह है कि कांग्रेस अपने अंतर्विरोधों से जूझ रही है, जो सार्वजनिक हैं लेकिन भाजपा की स्थिति भी इससे अलग नहीं है। यह दूसरी बात है कि वह मोदी के नाम के कारण मुखर नहीं हो पा रहे। छुप-छुपकर कार्य चल रहे हैं। ऐसे में चुनावों में क्या होगा, इसका अनुमान लगाना कठिन है।

वर्तमान में नजर डालें तो भाजपा के पास अपने प्रत्याशी भी नहीं थे। कुछ बाहर से लेने पड़े, कुछ कांग्रेस से आए हुए हैं। भाजपा के पुरानों में नाम लें तो कृष्णपाल गुर्जर, मोहन लाल बडौली, बंतो कटारिया और मनोहर लाल खट्टर का ही लिया जा सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह, योगी आदित्यनाथ और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा दौरा कर चुके हैं। इसके पश्चात भी आज मुख्यमंत्री मनोहर लाल को ब्राह्मणों की सभा में विरोध का सामना करना पड़ा। पूर्व गृह मंत्री किसानों के सामने निरुत्तर हो गए। यह तो आज की बात है। इससे पूर्व भी मंत्रियों और सांसदों को लगातार किसानों का विरोध झेलना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति भाजपा के लिए चिंताजनक तो होनी ही चाहिए किंतु भाजपा की तरफ से बेफिक्री दिखाई जा रही है।

घर का जोगी जोगना, बाहर का जोगी सिद्ध

घर का जोगी जोगना, बाहर का जोगी सिद्ध यही कहावत हरियाणा में प्रचलित है। अब देखना यह होगा कि क्या इस कहावत पर अमल कर भाजपा सफलता के आयाम पा पाएगी, क्योंकि हरियाणा में भाजपा के नेता तो बहुत हैं लेकिन उन पर पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल को विश्वास नहीं और जनता को भी विश्वास नहीं। और इससे ही उन्हें लगा कि हरियाणा में हम हार की ओर अग्रसर हो रहे हैं तो लगातार केंद्रीय नेता नरेंद्र मोदी, अमित शाह, जेपी नड्डा, राजनाथ सिंह व अन्य ही आमंत्रित किए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त यूपी, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड आदि राज्यों के नेता भी आ हरियाणा में प्रचार कर रहे हैं तो बड़ा प्रश्न यह है कि क्या हरियाणा की जनता इस पुरानी कहावत को चरितार्थ कर भाजपा के इन शीर्ष नेताओं पर विश्वास करेगी?

लगता तो नहीं, क्योंकि भाजपा के जो उम्मीदवार घोषित होने के पश्चात अपने भाषणों में 75 फीसदी से अधिक समय मोदी की उपलब्धियां गिनाने में लगाया करते थे, वह भी अब स्थानीय समस्याओं पर बातें करने लगे हैं और मोदी का नाम केवल औपचारिकता के अनुसार लिया जा रह है। इससे यह लगता है कि उन नेताओं को भी यह अहसास हो गया है कि मोदी का जादू अब समाप्त हो गया है। ऐसी स्थिति में विचारनीय है कि क्या दो दिन में आने वाले नेताओं के दौरों से भाजपा की स्थिति संभलेगी?

दूसरी ओर कांग्रेस की ओर से ऐसे कोई बड़े नेता आए नहीं थे लेकिन आज राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी आए है तथा राहुल और सोनिया भी आएंगे लेकिन लगता ऐसा है कि हरियाणा की जनता मुखर नहीं हो रही है। मन में सोचे बैठी है और उस पर इन भाषणों का असर होने वाला लगता नहीं। होगा क्या यह 4 जून को पता लगेगा।

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