-कमलेश भारतीय

हरियाणा में तीन निर्दलीय विधायकों द्वारा नायब सिंह सैनी की सरकार को दिया जा रहा समर्थन वापस लिये जाने के बाद से सरकार गिराने का खेल शुरू हो गया है । यदि लोकसभा चुनाव न होते तो अब तक शायद यह घटनाक्रम बहुत तेज़ी से घट चुका होता ! अभी सरकार और विपक्ष का सारा ध्यान लोकसभा चुनाव पर लगा हुआ है । फिर भी कल हिसार में पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने आनन फानन में मीडिया को बुला कर कांग्रेस को न्यौता दिया कि कांग्रेस हरियाणा सरकार को गिराने के लिए कोई कदम उठाती है तो जजपा बाहर से समर्थन देगी । अब मीडिया से यह बात नेता प्रतिपक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा तक पहुंची तो उन्होंने कहा कि जजपा यही बात, यही समर्थन राज्यपाल को लिख कर दे दे ! फिर हम राज्यपाल से मिलने जायेंगे । मुख्यमंत्री‌ नायब सिंह सैनी बड़े बेफिक्रे अंदाज में कहते हैं कि हमारी सरकार पर कोई खतरा नहीं है । जबकि पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर अतिविश्वास में भर कर कहते हैं कि हमारे सम्पर्क में भी बहुत विधायक हैं । इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है । इधर स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता की मानें तो अभी तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन‌ वापस लेने की अधिकृत सूचना उनके पास आई नहीं है । यह भी बात कही कि छह महीने से पहले अविश्वास प्रस्ताव नहीं आ सकता ! हालांकि ऐसा कोई नियम नहीं है। ‌जहां तक दुष्यंत चौटाला की बात है तो वे अपना घर संभालें‌ !

यह घर संभालने वाली बात पहले पहल पूर्व वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कांग्रेस के लिए कही थी । जब कांग्रेस नेता जल्दी जल्दी भाजपा में आआ रहे थे और कांग्रेस इल्जाम भाजपा पर लगा रही थी तब वे हर बार कहते थे कि कांग्रेस अपना घर संभाले । अब यह आम मुहावरे जैसी बात हो गयी है । मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के इस आरोप पर कि तीन निर्दलीय विधायकों ने किसी पेशकश पर ही समर्थन‌ वापस लिया होगा पर, दुष्यंत चौटाला ने मीडिया में पूछा कि साढ़े चार साल भाजपा इन्हें क्या पेशकश दे रही थी ? अब वही निर्दलीय विधायक कह रहे हैं कि उन्हें नज़र अंदाज किया जा रहा था। यह भी कह सकते हैं कि राजनीति में किसी को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते । ‌ज़रा सा यह नज़रअंदाजी महसूस हुई नहीं कि समर्थन गया नहीं ! आपके सामने उदाहरण है महाराष्ट्र की एनसीपी का, भतीजे अजीत पवार को लगा कि चाचा शरद पवार तो बेटी के सामने उन्हें नहीं बढ़ने देंगे तो इस बेरुखी से वे भाजपा की शरण में दूसरी बार चले गये । एकनाथ शिंदे असली शिवसेना के वारिस बन गये और उद्धव ठाकरे देखते रह गये ! ये राजनीति की नयी चालें हैं, तू देख बबुआ !इधर पता

नहीं क्यों यह लगता है कि एक नयी बात, नयी पऱपरा शुरू हुई है -तीन तीन कांग्रेस प्रत्याशी चुनाव से पहले ही नामांकन पत्र ही वापस ले गये ! पहले सूरत, फिर इंदौर और फिर पुरी में कांग्रेस प्रत्याशी कांग्रेस को डिच कर गये । पुरी की कांग्रेस प्रत्याशी ने तो रोचक बात कही कि कांग्रेस ने उन्हें प्रचार के लिए कोई फंड ही नहीं दिया ! अब क्या हुआ और कैसा टिट फंड हुआ ये तो वही बेहतर जानती हैं !

चलिये! अब देखते हैं कि हरियाणा सरकार का क्या होने जा रहा है?
-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी. 9416047075

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!