जब बात सरकारी स्कूलों कॉलेजों की आती है तो आज की बीजेपी सरकार ने बढ़ती आबादी के चलते नए संस्थान खोलना तो दूर, पूराने भी हजारों की संख्या में बंद कर दिए या मर्ज कर दिए

गुरुग्राम : गुरुग्राम के समाजसेवी इंजीनियर गुरिंदरजीत सिंह अर्जुन नगर ने शिक्षा को ले कर कहा बात। उन्होंने कहा कि सरकार को शिक्षा बिल्कुल मुफ़्त कर देनी चाहिए। आज शिक्षा को व्यापार बना लिया गया है। और शिक्षा बहुत मंहगी हो गई है। एक गरीब आदमी इस मंहगी शिक्षा को बच्चो को दिलाने में असमर्थ है। आज कल देश में प्राइवेट सकूल कॉलेज यूनिवर्सिटी ज़्यादा खुल रहे है। पर जब बात सरकारी स्कूलों कॉलेजों की आती है तो आज की बीजेपी सरकार ने बढ़ती आबादी के चलते नए संस्थान खोलना तो दूर, पूराने भी हजारों की संख्या में बंद कर दिए या मर्ज कर दिए। बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए परिवार वालो को प्राईवेट कॉलेज जाना पड़ता है, क्योंकि सरकारी कॉलेज संख्या में बहुत कम है।

गुरिंदरजीत सिंह ने कहा कि शिक्षा हमारे जीवन का वह प्रकाश है जो हमारे अज्ञानता रूपी अंधकार को दूर करती है। शिक्षा का होना हर व्‍यक्ति के जीवन में अनिवार्य है। शिक्षा से अज्ञानता के बादल छंटते हैं और ज्ञान रूपी नया सवेरा होता है। पर बीजेपी सरकार स्कूल बंद करके सभी को अंध भक्त बनाना चाहती है। बीजेपी ने आजकल में कई स्कूल बंद करके देश के भविष्य मतलब विद्यार्थियों के भविष्य को अंधकार में डाला है।

गुरिंदरजीत सिंह ने कहा कि आज बीजेपी ने है जिले में, तहसील में अपने ऑफिस तो बना दिए, पर नए सरकारी स्कूल कॉलेज नहीं खोल पाया। इस लिए हम बीजेपी से पिछले दस साल का हिसाब मांगते है कि बीजेपी सरकार ने पिछले दस साल में हरियाणा प्रदेश के साथ साथ पुरे भारत में कितने सरकारी स्कूल, कॉलेज खोले और कितने सरकारी कॉलेज कॉलेज बंद किए। वे क्यों नही चाहती कि बच्चो को मुफ़्त शिक्षा मिले। क्यों प्राईवेट को हर जगह बढ़ावा दे रही है। और महंगाई पर महंगाई करती जा रही है। आज देश में शिक्षा पिछले सालो के मुकाबले सबसे महंगी है।

उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य बुद्धि का विकास करना है। बुद्धि से मेरा मतलब चालाकी से नहीं है। किसी और से आगे निकलने के लिए चतुर बनने की कोशिश करना बुद्धिमानी नहीं है। जब आप किसी से आगे निकलने की कोशिश करते हैं तो डरे रहते हैं। शिक्षक की डांट, आलोचना का डर, कक्षा में लोकप्रिय नहीं होने का डर रहता है। लेकिन जब आप डरते नहीं हैं तो वहां आपकी बुद्धिमत्ता काम करती है। निश्चित रूप से यही शिक्षा का सार है। डर के कारणों को समझने और उसके निदान के लिए शिक्षा जरूरी है। मान लीजिए कि आपने कुछ ऐसा किया है, जिसमें आपके माता-पिता और समाज शामिल नहीं है। वह ऐसा करने से मना कर रहे हैं। मान लीजिए आप किसी ऐसे व्यक्ति से शादी करना चाहते हैं जो आपकी जाति या वर्ग का नहीं है। क्या आपको डर नहीं लगेगा कि लोग क्या कहेंगे? इसी तरह आप बीमारी से, मौत से डरते हैं। हममें से ज्यादातर लोग डरते हैं। अगर हम इसके बारे में सोचें तो देखेंगे कि लगभग हर किसी को डर सता रहा है। डर से मुक्ति दिलाने वाली सबसे बड़ी ताकत शिक्षा है। और देश को सभ्य तर्कशील नागरिक सिर्फ शिक्षा ही दे सकती है। शिक्षित व्यक्ति ही आज बाबा साहब के संविधान में जो सरकार गड़बड़ करना चाहती है उसको समझ कर रोकने में सहायक हो सकता है। इस लिए हमारी मांग है कि शिक्षा को उच्च स्तर तक सभी वर्गो के लिए मुफ़्त करना चाहिए। जय हिन्द। जय संविधान। जय भीम।

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