सतीश भारद्वाज

भारत सारथी,गुरुग्राम, : एक तरफ तो हरियाणा की भाजपा सरकार भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के दावे करती रहती है वहीं दूसरी तरफ आए दिन भ्रष्टाचार के मामले उजागर हो रहे हैं जिसमें सबसे ज्यादा सरकारी अधिकारियों की मिली भगत खुलकर सामने आ रही है। चाहे सरकार का कोई भी विभाग हो सभी में धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार,लूट खसोट के मामले रोजाना सुर्खियों में आ रहे हैं। लेकिन फिर भी प्रदेश का खुफिया विभाग और पुलिस विभाग मामले की तह तक पहुंचाने की बजाए मौन धारण किए हुए। हालांकि कई मामलों में प्रदेश सरकार ने सख्त रुख अपनाते हुए भ्रष्टाचारीयों को पकड़ कर जेल की हवा भी खिलाई है मगर फिर भी कई मामले में देखा गया है कि जांच अधिकारी जानबूझकर कागजों में कमी छोड़कर भ्रष्टाचारीयों को लाभ पहुंचा रहे हैं, जिससे पकड़े गए आरोपी कुछ ही दिनों के बाद खुलेआम जनता के सामने बड़े ही रौब से घूमते हुए नजर आते हैं। पुलिस विभाग के तो ऐसे काफी मामले सामने आ चुके हैं जिसमें जांच अधिकारियों ने मामलों में लीपापोती कर मामलों को कमजोर किया है।

ऐसा ही एक धोखाधड़ी का मामला सामने आया है,जिसमें गुरुग्राम पुलिस के थाना पालम विहार की एफआईआर नंबर 129 ऑफ 2022 में पुलिस के कई अधिकारियों ने आरोपियों से मिलकर मोटा खेल खेला है। जिसमें कई अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध रही है। वहीं मामला 1 साल से ज्यादा पुराना होने की वजह से प्रदेश के पूर्व गृहमंत्री अनिल विज द्वारा जारी किए गए निर्देशों में इस केस में जांच अधिकारी रहे सुरेंद्र नामक एएसआई पर भी निलंबन की गाज गिरी थी। जिसको बाद में एक उच्च अधिकारी ने मामले को दबा दिया। जिसमें शिकायतकर्ता आजतक भी दर-दर की ठोकरे खा रहा है। लेकिन पालम विहार पुलिस दोषियों को मिली भगत के कारण नहीं पकड़ रही है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सेक्टर 21 निवासी पीड़ित विजय ने धोखाधड़ी के मामले में मुकदमा नंबर.129/ 2022 थाना पालम विहार में दर्ज कराया था। जिसमें पुलिस के जांच अधिकारी द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई थी। एफआईआर के अनुसार बताया गया है कि पीड़ित वर्ष 2018 में एक प्रोपर्टी की तलाश में था तभी उनकी मुलाकात श्याम सुन्दर, राजीव, संवीन नामक व्यक्ति से हुई थी। उन्होंने कहा हमें पता चला है कि आप एक मकान खरीदना चाहते है और श्याम सुन्दर एक प्रोपर्टी बेचना चाहता है इन सभी लोगाँ ने मुझे अपनी प्रोपर्टी ई-2 / 2. बसंत विहार दिल्ली के कागज दिखाए। इन कागजात के अनुसार यह प्रोपर्टी कमला शर्मा पत्नी श्री केदार नाथ शर्मा के नाम थी जो जीपीए दिनांक 15.05.2001 श्री नरेन्द्र सिंह पुत्र श्री रवि सिंह निवासी 10 आकृति हाउसिंग सोसायटी आईपी एक्सटेंशन दिल्ली के नाम कर दी और नरेन्द्र ने जीपीए दिनांक 07.07.2003 को यह मकान श्याम सुन्दर के नाम कर दिया। उपरोक्त चारों व्यक्तियों ने मुझे बताया कि वर्ष 2003 से वह इस प्रोपर्टी में रह रहे है और यह जायदाद हर प्रकार से साफ है,इस प्रोपर्टी पर किसी प्रकार का कोई लोन व मुकदमा आदि नहीं है। यह मकान 400 वर्गगज का है तथा एक मंजिल पुरानी बनी हुई थी। यह मकान मैंने देखा और पंसद आने पर यह खरीदने की इच्छा जताई। मैंने उपरोक्त लोगों से कहा की में इस जायदाद के बारे में पूछताछ करके आपको बता दूंगा।

इस पर सवीन ने मुझे कहा कि वह एक सरकारी मुलाजिम है और गलत काम नहीं करेगा। गीता दुआ ने मुझसे कहा कि वे लोग शरीफ लोग है और समाज के उनकी काफी अच्छी छवि है, उपरोक्त लोगों ने मुझे कहा कि श्याम सुन्दर को पैसे की जरूरत है इस वजह से वह यह जायदाद बेचना चाहते और मुझे उपरोक्त सभी लोगों ने अपनी बातों में फंसा कर इस कोठी का सौदा 6 करोड रु० में कर लिया। मैंने 50 लाख रू० मार्फत आरटीजीएस श्याम सुन्दर दुआ के खाता में करा दी और एक एग्रीमेन्ट टू सेल बनाकर रजिस्टरी कराने की बात करने लगा परन्तु ये लोग कभी किसी बात से तो कभी किसी और बात पर रजिस्टरी टालते रहे। जब रजिस्टरी ना हुई तो मैंने इस जायदाद के बारे में गहनता से पता करी और मुझे पता चला कि दोनों जीपीए जिसमे पहली जो कमला शर्मा से नरेन्द्र सिंह के नाम और दूसरों और जो नरेन्द्र सिंह से श्याम सुन्दर के नाम आई है, दोनों फर्जी है और कहीं भी रजिस्टर्ड ना है। इस बारे में मेने राजीव जाखड से बात करी क्योंकि श्याम सुन्दर, गीता मेरे फोन नहीं उठा रहे थे तो राजीव जाखड ने मुझे धमकी दी की तुझे देख लेंगे। जब मैंने सवीन, राजीव जाखड़, श्याम सुन्दर से अपने पैसे वापिस मांगे तो सवीन ने मुझे धमकी दी कि वह तिहाड़ जेल में जेलर लगा हुआ और हर तरीके के आदमी से दोस्ती है और अगर अपने पैसे वापिस मांगे या पुलिस में शिकायत की तो मुझे जान से मरवा देंगे।

मैंने जब अपने पैसो के बारे जोर दिया तो सवीन और राजीव जाखड कई आदमियों के साथ मेरे घर पर आकर जान से मारने की धमकी देकर डराया और कई बार धमकिया मुझे मेरे फोन पर भी दी। दोषियों ने मेरे साथ धोखाधड़ी करके 50 लाख रु० हड़प लिए। मुझे बाद में यह भी पता चला कि उपरोक्त मकान पर कोई विवाद भी चल रहा है। जिसकी दरखास्त पीड़ित ने पुलिस कमिश्नर सहित अन्य अधिकारी को भेजी थी जिस पर थाना पालम विहार ने धोखाधड़ी, धमकी सहित संबंधित धाराओं के तहत मुकदमा तो दर्ज कर लिया था । मगर दोषियों पर कार्रवाई करने की बजाय साज बाज होकर मामले में लीपापोती करने में आजतक जुटी हुई है।

जब इस धोखाधड़ी के मामले पर जानकारी लेने के लिए इस पत्रकार ने तत्कालीन एस,एच,ओ जितेंद्र कुमार, प्रवीण कुमार तथा विजयवीर से सम्पर्क किया गया तो उन्होंने बार-बार मामले की जानकारी देने की बजाय कन्नी काटते रहे। वहीं जब डीसीपी भूपेंद्र सिंह, एसीपी सत्येंद्र तथा एसीपी नवीन से जानकारी लेनी चाहिए तो उन्होंने भी कोई सन्तोष जनक जवाब नहीं दिया। हालांकि इस मामले पर पुलिस प्रवक्ता ने केवल इतना ही संदेश व्हाट्सएप के माध्यम से भेजा कि एस,एच,ओ के अनुसार इस मामले की जांच चल रही है।

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