गैर अहीर को टिकट देने के पक्षधर क्यों बने कप्तान

कैप्टन स्वयं चुनाव न लड़ने का कर चुके ऐलान

क्या गुरुग्राम में इस बार भी खिलेगा कमल?

अशोक कुमार कौशिक 

गुरुग्राम सीट पर अपने मोहरे फिट करना कैप्टन अजय सिंह यादव ने शुरू कर दिए है। लोकसभा चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में लगभग 4.95 लाख वोट लेकर सम्मानजनक हार का सामना कर चुके पूर्व मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव के लिए इस सीट पर अपनी राजनीतिक जमीन खिसकती हुई नजर आने लगी है। पार्टी के दूसरे वरिष्ठ नेताओं से मिली उपेक्षा के चलते पहले चुनाव मैदान छोड़ने और बाद में तैयार होने की बात कहने वाले कैप्टन अब इस सीट पर खुद तो चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं हैं, परंतु वह किसी अहीर प्रत्याशी को इस सीट पर टिकट के पक्षधर भी नहीं हैं। इसके लिए वह पार्टी हाईकमान के सामने अपनी बात रख चुके हैं। प्रदेश में कुछ सीट ऐसी भी हैं जहां पर पार्टी के साथ-साथ स्थानीय नेताओं के भी नाक का सवाल है। गुरुग्राम लोकसभा सीट पर कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है।

अहीरवाल क्षेत्र में राव इंद्रजीत के बाद दूसरे कद्दावर नेता कैप्टन अजय 

कैप्टन अजय सिंह यादव अहीरवाल क्षेत्र में राव इंद्रजीत सिंह के बाद दूसरे कद्दावर नेता हैं। इस समय उनके राजनीतिक सितारे गर्दिश में नजर आ रहे हैं। कांग्रेस की गुटबाजी से कैप्टन ने खुद को अलग रखने का पूरा प्रयास किया, लेकिन पूर्व में किए गए विरोध को पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा भुला नहीं पाए। इस समय पार्टी में हुड्डा खेमा मजबूत स्थिति में नजर आ रहा है। प्रदेशाध्यक्ष चौ. उदयभान उनकी मर्जी के बिना कोई कदम नहीं उठाते, तो प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया भी हुड्डा खेमे को पूरी तव्वजो दे रहे हैं। हुड्डा के प्रभाव के चलते ही पार्टी ने इस बार लोकसभा टिकट के लिए आवेदन की शर्त रख डाली थी। इसी के साथ वरिष्ठ नेता होने के बावजूद कैप्टन को चुनाव समिति से दूर रखा गया। कैप्टन ने नाराजगी जताते हुए पहले आवेदन से इनकार किया। बाद में उन्होंने चुनाव लड़ने से मना कर दिया। कैप्टन को शायद इस बात का भरोसा था कि शीर्ष नेतृत्व की ओर से उन्हें मनाने के प्रयास किए जाएंगे, परंतु उनकी यह मंशा पूरी नहीं हो सकी।

अहीर प्रत्याशी बनाते ही भविष्य का खतरा

कांग्रेस अगर इस सीट पर कैप्टन की जगह किसी और अहीर नेता को टिकट थमा देती है, तो भविष्य में इस सीट पर कैप्टन का दावा कमजोर पड़ जाएगा। गुरूग्राम से बढ़कर उनके लिए दूसरी कोई सुरक्षित सीट नहीं है। सूत्र बताते हैं कि इसी बात को लेकर कैप्टन अजय सिंह यादव पार्टी हाईकमान से इस सीट पर किसी गैर अहीर को टिकट देने की फरियाद लगा चुके हैं, ताकि आने वाले समय में यह सीट उनके लिए सुरक्षित बनी रहे। इसके लिए उन्होंने राजबब्बर के नाम की पैरवी तक की है।  उनके सहारे गुरुग्राम व रेवाड़ी जिले के पंजाबी समुदाय का पार्टी जुड़ाव किया जाए। लेकिन उन्हें टिकट देने की संभावना कम है।

गैर अहीर नेता को टिकट की संभावना

वरिष्ठ होने के नाते अगर पार्टी हाईकमान कैप्टन अजय सिंह यादव के अनुरोध पर विचार करता है, तो किसी गैर अहीर नेता को इस सीट पर प्रत्याशी बनाया जा सकता है। गैर अहीर नेताओं में जितेंद्र भारद्वाज ब्राह्मण नेता के रूप में मौजूद हैं। महेंद्र छाबड़ा पंजाबी नेता के रूप में टिकट की मांग कर चुके हैं। आफताब अहमद मुस्लिम नेता के रूप में टिकट के दावेदार हैं। कैप्टन अजय सिंह ने स्पष्ट किया कि पार्टी जिसे भी टिकट देगी, वह उसका खुलकर साथ देने के लिए तैयार हैं।

भाजपा ने फिर राव इंद्रजीत पर खेल जुआ

बीजेपी ने केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत को तीसरी बार टिकट दे दिया है। पार्टी ने इस बार भी राव को मौका देकर ओबीसी समुदाय पर फोकस किया है। ऐसे में बीजेपी के लिए जितना जरूरी है इस सीट को जीतना उससे कहीं ज्यादा जरूरी है राव इंद्रजीत का अपना दबदबा को कायम रखना। ऐसे में अब जानना यह जरूरी है कि राव फिर से चौथी बार भी रिपीट करेंगे या नहीं। तो चलिए देखते हैं कि यहां का जातीय समीकरण क्या कहता है…

2009 से राव परिवार का इस सीट पर है दबदबा

गुरुग्राम लोकसभा सीट परिसीमन के बाद फिर यह सीट 2008 में अस्तित्व में आई। इसके बाद 2009 में लोकसभा चुनाव से राव परिवार का कब्जा है। दरअसल, राव इंद्रजीत सिंह पिछले 15 साल से यहां के सांसद हैं। 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था। 2014 के लोकसभा चुनाव में वह बीजेपी में शामिल हो गए और चुनाव जीते। पिछले लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने जीत का परचम लहराया था। गुरुग्राम लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की कुल 9 सीटें आती हैं। ये सीटें- बावल, रेवाड़ी, पटौदी, बादशाहपुर, गुरुग्राम, सोहना, नूंह, फिरोजपुर झिरका और पुन्हाना शामिल हैं।

राव ने कांग्रेस के अजय सिंह को 4 लाख वोटों से हराया था

पिछले लोकसभा चुनाव 2019 की बात की जाए तो राव इंद्रजीत सिंह को शानदार जीत मिली थी। उन्होंने कांग्रेस के कैप्टन अजय सिंह को करीब 4 लाख वोटों से हराया था। राव इंद्रजीत सिंह को 881,546 लाख वोट मिले थे, जबकि अजय सिंह को 495,290 लाख वोट प्राप्त हुए थे। तीसरे नंबर पर बहुजन समाजवादी पार्टी के चौधरी रईस अहमद थे। उन्हें मात्र 26,756 हजार वोट मिले थे। हालांकि, अब देखना यह होगा कि इस बार भी राव इंद्रजीत लगातार चौथी बार अपनी सीट जीतने में कामयाब होते हैं या नहीं। यह तो वक्त ही बताएगा, क्योंकि इस बार कांग्रेस भी मुकाबले वाले उम्मीदवार को ही मैदान में उतारने की सोच रही है।

गुरुग्राम लोकसभा सीट पर कितने मतदाता?

गुरुग्राम लोकसभा सीट पर करीब 20 लाख वोटर्स हैं। इनमें से 10,54,683 लाख पुरुष मतदाता हैं जबकि 9,36,018 महिला वोटर्स हैं। पिछले लोकसभा चुनाव (2019) में 14,46,509 मतदाताओं ने मतदान किया था। मतलब यहां 73 फीसदी वोटिंग हुई थी। इस दौरान कुल 25 उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरे थे। बता दें गुरुग्राम लोकसभा सीट पर 6 छठें चरण में 25 मई को मतदान होगा और 4 जून को नतीजे आएंगे।

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