बृजेंद्र के आगे नहीं झुकी भाजपा, उन्हीं के इस्तीफे को बनाया ढाल… तोड़ दिया जजपा से नाता

अलग होने की अटकलें एक साल से थी, सीट बंटवारे के पेंच से भाजपा को मौका मिल गया

पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा का भाजपा-जजपा पर तंज: गठबंधन के सिर्फ किरदार बदले, लेकिन उनका गठजोड़ वही

अशोक कुमार कौशिक 

हरियाणा में भाजपा-जजपा के गठबंधन टूटने की अटकले पिछले एक साल से चल रही थी। भाजपा अपनी सहयोगी पार्टी जजपा से गठबंधन तो तोड़ना चाहती थी, मगर उसे कोई ठोस कारण और मौका नहीं मिल पा रहा था। इस बार पेच लोकसभा चुनाव में आकर फंस गया। भाजपा राज्य की दसों सीट पर कमल खिलाना चाहती है। मगर एनडीए कुनबे में शामिल होने की वजह से जजपा अपने सहयोगी दल से दो सीटे मांग रही थी।

इसी सिलसिले में सोमवार को नई दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और जजपा प्रमुख दुष्यंत चौटाला के बीच करीब 45 मिनट मुलाकात चली, मगर बात सिरे नहीं चढ़ पाई। उसके बाद भाजपा ने गठबंधन तोड़ने का मन बना लिया। दोनों के बीच गठबंधन तोड़ने को यही बड़ी वजह मानी जा रही है। हालांकि भाजपा नेताओं ने गठबंधन तोड़ने के कई और कारण भी गिनाए हैं।

अब हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी और जननायक जनता पार्टी का गठबंधन टूट चुका है। बीते दिन मनोहर लाल ने मुख्यमंत्री पद से पूरी कैबिनेट के साथ इस्तीफा दिया। अब कुरुक्षेत्र के सासंद रहे नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में हरियाणा में नई सरकार बनी है। परंतु यह सोचने वाली बात है कि आखिर साढ़े चार साल बीत जाने के बाद ही यह गठबंधन टूटा और लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कैसे हरियाणा की सियासी एकदम बदल गई। 

भाजपा नेताओं ने बताया कि सत्ता में साझेदार बनने के बाद दुष्यंत को सभी महत्वपूर्ण विभाग सौंप दिए गए थे। दुष्यंत के पास उद्योग, पीडब्ल्यूडी, एक्ससाइज, हाईवे, राजस्व और नागरिक उड्डयन जैसे कई महत्वपूर्ण विभाग थे। साथ ही डिप्टी सीएम का दर्जा दिया और पार्टी के दो अन्य विधायकों को भी मंत्री बनाया। दुष्यंत के पास जो विभाग थे, उन्हीं को लेकर कई बार विपक्ष ने सवाल खड़े किए।

कोरोना काल में शराब घोटाला हुआ। खूब हो हल्ला मचा, मगर जांच रिपोर्ट सामने नहीं आई। इसी दौरान रजिस्ट्री घोटाला भी हुआ। इससे भी सरकार की छवि खराब हुई। विपक्ष भी जजपा के बजाय भाजपा पर निशाना साधता था। वहीं, भाजपा के पूर्व सहयोग चौधरी बीरेंद्र सिंह भी कई मौकों पर जजपा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा चुके थे। भाजपा के नेताओं ने यह भी आरोप लगाया है कि राज्य की भाजपा सरकार के किए गए कार्यों का भी वह श्रेय ले रहे थे।

राज्य के हाईवे में जो अभूतपूर्व सुधार व निर्माण हुआ है, उसका श्रेय दुष्यंत ही लेते रहे। हालांकि विभाग उनके पास ही था, लेकिन अधिकतर योजनाएं केंद्र सरकार पास कर रही थी। वहीं, राज्य सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं में भी महिलाओं के लिए 50 फीसदी कोटा तय किया था, जिसका भी श्रेय दुष्यंत ले रहे थे। यह बातें भाजपा आलाकमान को पसंद नहीं आई और गठबंधन तोड़ने का यह भी एक कारण बना। वहीं, भाजपा के कई विधायक भी जजपा के साथ गठबंधन को लेकर अपनी नाराजगी जता चुके थे।

जाट वोट भी एक कारण बना

हरियाणा की राजनीति जाट व गैर जाट वोटों के इर्द-गिर्द घूमती रही है। भाजपा का जाट वोटों में प्रभाव बहुत कम है। पार्टी का भी पता है कि आगामी चुनावों में उन्हें जाट वोट नहीं मिलेंगे। ऐसे में उनके लिए जाट वोटों का धुव्रीकरण उन्हें फायदे में पहुंचा सकता है। राज्य का जाट वोट कांग्रेस और इनेलो के बीच ही विभाजित होता रहा है। ऐसे में जजपा भाजपा से अलग होकर अपने उम्मीदवार उतारती है तो इससे जाट वोट विभाजित हो सकते हैं और गैर जाट वोट भाजपा के पाले में गिर सकते हैं।

आइए, इन बिंदुओं से आसाने भाषा में जजपा और भाजपा के गठबंधन टूटने के पीछे की वजह जानते हैं।

जननायक जनता पार्टी से छुटकारा पाने के लिए भाजपा ने हिसार से सांसद बृजेंद्र सिंह के इस्तीफे को ही ढाल बनाया। दो दिन पहले सांसद ने इस्तीफा इसी बात पर दिया था कि जजपा का जमीनी स्तर पर कोई ग्राउंड नहीं बचा है और भाजपा इनके साथ समझौता रखती है तो वह पार्टी छोड़ देंगे। इस्तीफा देते ही प्रदेश के राजनीतिक समीकरण बदल गए। 

भाजपा को इस बात का आभास था कि कई और सांसदों की टिकट कटेगी तो अन्य नेता भी कांग्रेस में जा सकते हैं। इसी मामले को हरियाणा भाजपा ने हाईकमान के सामने रखा और गठबंधन तोड़ने पर सहमति बनी। इससे पहले, हाईकमान गठबंधन तोड़ने को लेकर राजी नहीं था। पूरे मामले में डैमेज कंट्रोल करते हुए गठबंधन तोड़ दिया। हालांकि भाजपा ने यह भी साबित कर दिया कि वह किसी के दबाव में फैसले नहीं लेती, क्योंकि जब गठबंधन तोड़ना था तो बृजेंद्र सिंह को मनाया जा सकता था लेकिन भाजपा ने उनको भी जाने दिया और जजपा से भी गठबंधन तोड़ दिया।

हरियाणा में गठबंधन टूटने के अन्य कारण…

1.अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। मौजूदा वक्त में हरियाणा में दस सीटें हैं। जननायक जनता पार्टी भाजपा से दो सीटें लेने की मांग कर रही थी। मगर भाजपा ये सीटें जजपा केो देने के लिए तैयार नहीं थी।

2. भाजपा और जजपा साथ मिलकर सरकार तो चला रही थी। मगर सरकार के बीच आंतरिक क्लेश भी जारी था। कई बार विधायक नेतृत्व के सामने नाराजगी व्यक्त कर चुके थे।

3. दुष्यंत चौटाला भाजपा सरकार के निर्णयों का क्रेडिट ले रहे थे। यह बात भारतीय जनता पार्टी को रास नहीं आ रही थी।

4. जजपा भाजपा के साथ मनमानी कर रही थी। भारतीय जनता पार्टी के मना करने के बावजूद भी जजपा ने राजस्थान में अपने उम्मीदवारों उतारे थे।

5. जननायक जनता पार्टी के पास जो विभाग थे। उन्हें लेकर विपक्ष बार-बार सरकार को घेर रहा था। विपक्ष भ्रष्टाचार के आरोप लगाने में जुटा था।

दुष्यंत के सामने राजनीतिक संकट

इस पूरे मामले में सबसे बड़ा राजनीतिक संकट जजपा दुष्यंत चौटाला के सामने आने वाला है। दुष्यंत फिलहाल उचाना कलां से विधायक हैं। वह एलान कर चुके हैं कि राज्य की दसों सीट पर वह अपने उम्मीदवार उतारेंगे। चुनाव में यदि उन्हें नतीजे ठीक नहीं मिलते हैं तो आठ महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में उनके सामने बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। वहीं, यह भी चर्चा है कि उनकी पार्टी के विधायक भी उनसे अलग हो सकते हैं। ऐसे में आने वाले दिन दुष्यंत के लिए अच्छे नहीं होने वाले।

सीएम व डिप्टी सीएम हटाकर भाजपा ने मानी हार

भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को हटाकर बीजेपी ने अपनी हार मान ली है। बीजेपी ने खुद माना है कि साढ़े 9 साल से हरियाणा में ऐसी सरकार चल रही थी, जिसके पास चुनाव में बताने के लिए कोई उपलब्धि नहीं है। इसलिए अब पार्टी को सरकार का स्वरूप बदलने और गठबंधन तोड़ने का प्रपंच रचना पड़ा। जबकि सच्चाई गठबंधन टूटने के अगले ही दिन जनता के सामने आ गई। क्योंकि यह देश के इतिहास में पहली बार हुआ है कि किसी पार्टी ने अपने विधायकों को सदन में गैरहाजिर रहने के लिए व्हिप जारी किया हो। जेजेपी ने ऐसा व्हिप जारी करके सीधे तौर पर बीजेपी सरकार के विश्वास प्रस्ताव का समर्थन किया।

जेजेपी का गठबंधन तोड़ने का मकसद चुनाव में भाजपा की मदद करना

भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि बीजेपी ही जेजेपी है, इसलिए जेजेपी आज भी बीजेपी के विरुद्ध वोट नहीं करना चाहती। गठबंधन तोड़ने का मकसद भी चुनाव में बीजेपी की मदद करना है। जेजेपी चुनावों में बीजेपी के हिसाब से टिकट आवंटन करेगी ताकि कांग्रेस को मिलने वाली सत्ता विरोधी वोटों को बांटा जा सके। लेकिन जनता के सामने जेजेपी की सच्चाई उजागर हो चुकी है। जनता 2019 की तरह बहकावे में नहीं आएगी क्योंकि जजपा का विश्वासघात पहले ही उसके 5 साल बर्बाद कर चुका है।

उधर, दुष्यंत चौटाला ने नायब सिंह सैनी को हरियाणा के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने पर बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि गरीब, किसान, कमेरे के कल्याण और प्रदेश के विकास की जिन योजनाओं को हमने लागू किया, आप उन्हें आगे बढ़ाते हुए जन-हितैषी सरकार चलाएंगे। मुझे पूरी उम्मीद है कि जनता की सुनवाई के लिए आपके निवास के द्वार हमेशा खुले रहेंगे। आपको व आपके मंत्रिमंडल को शुभकामनाएं।

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