किरण चौधरी बोली मेरा भाजपा में जाने की बात अफवाह श्रुति का टिकट काटने की अटकलें पर कहां कांग्रेस को मजबूत करेंगे अशोक कुमार कौशिक हरियाणा में कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री किरण चौधरी की पार्टी से नाराजगी की चर्चाएं बुधवार सुबह से ही सुर्खियां बनी रही। कहा जा रहा है कि हरियाणा में लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लग सकता है। 2005 में प्रदेश की सत्ता में आई कांग्रेस की कमान भूपेंद्र सिंह हुड्डा के हाथ में आने के बाद से हमेशा भूपेंद्र सिंह हुड्डा के विरोध का झंडा बुलंद करने वाली पूर्व सीएलपी लीडर एवं कांग्रेस नेत्री किरण चौधरी के पूर्व सांसद श्रुति चौधरी के अचानक दिल्ली पहुंचने की बात से इन चर्चाओं को बल मिला है। किरण चौधरी ने 10 मार्च को दादरी में एक बड़ी रैली का आयोजन करना था। बुधवार सुबह लोहारू में आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होने के बाद किरण चौधरी ने अचानक अपने सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए तथा बेटी श्रुति चौधरी के साथ दिल्ली के रवाना हो गई। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष उदयभान व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समानानंतर कुमारी शैलजा के साथ जनसंदेश यात्रा शुरू करवाने वाली किरण चौधरी के अचानक दिल्ली रवाना होने से प्रदेश की सियासत गरमा गई है। जिससे उनके पूर्व सांसद एवं बेटी के साथ भाजपा में शामिल होने की चर्चाएं शुरू हो गई है। यदि ऐसा हुआ तो पहले से खेमों में बंटी प्रदेश कांग्रेस के लिए यह एक बड़ा झटका होगा। हालांकि किरण चौधरी ने कहा है कि मेरे भाजपा में जाने की अफवाहें कुछ लोग उड़ा रहे हैं। मैं हरियाणा में कांग्रेस पार्टी को मजबूत करने में लगी हूं। किरण चौधरी ने इस बात को भी जानकारी दिया कि वह अपना कोई पूर्व निर्धारित प्रोग्राम रद्द करके दिल्ली गई थी उन्होंने कहा कि वह सुबह से ही अपने विधानसभा हलके तो शाम के गांवों के दौरे पर है। दरअसल बुधवार सुबह यह जानकारी सामने आई थी किरण चौधरी अपने सभी पूर्व निर्धारित प्रोग्राम स्थगित कर दिल्ली चली गई है उनके आज ही पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात की बात भी उड़ी। इस पूरे घटनाक्रम के बाद तो शाम हलके के गांव का दौरा कर रही किरण चौधरी ने खुद सामने आकर सफाई दी। किरण चौधरी ने भाजपा में जाने की अटकलें को खारिज करते हुए कहा कि वह कांग्रेस में ही है और पार्टी को मजबूत करने में जुटी है। भिवानी महेंद्रगढ़ से ताल ठोंक रही श्रुति मोदी लहर में भिवानी महेंद्रगढ़ से 2009 व 2014 भाजपा के धर्मबीर सिंह से चुनाव हारी श्रुति चौधरी 2014 में फिर से भिवानी महेंद्रगढ़ सीट से चुनाव मैदान में उरतने की दावेदारी कर रही थी। जिसके लिए पिछले कई माह से क्षेत्र में रैली व सभाएं कर चुनाव की तैयारियों में जुटी हुई थी। माना जा रहा है कि मंगलवार को हुई स्क्रिनिंग कमेटी की बैठक के बाद श्रुति की टिकट पर मडराएं खतरे के बाद किरण ने बेटी को साथ लेकर दिल्ली जाने का प्लान बनाया। भूपेंद्र सिंह हुड्डा से अनबन के चलते कांग्रेस छोड़ने वाले पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर ने भी हाल में ही आम आदमी पार्टी छोड़कर भाजपा ज्वाइन की थी। स्क्रिनिंग कमेटी की बैठक के बाद उठाया कदम 2024 लोकसभा चुनावों में पार्टी के उम्मीदवार तय करने के लिए मंगलवार को कांग्रेस की स्क्रिनिंग कमेटी की बैठक हुई। सूत्र बताते हैं कि स्क्रिनिंग कमेटी ने भिवानी महेंद्रगढ़ सीट से भेजे गए तीन नामों में श्रुति चौधरी का नाम तो शामिल किया, परंतु उससे सबसे अंत में जगह दी गई। पहले नंबर पर राव बहादुर सिंह और दूसरे नंबर पर राव दान का नाम भिवानी महेंद्रगढ़ सीट के लिए केंद्रीय कमेटी के पास भेजा गया। जिसे किरण चौधरी हजम नहीं कर पाई। भिवानी महेंद्रगढ़ से श्रुति के साथ राव दान सिंह व बहादुर सिंह ने भी मांगा है टिकट पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी और महेंद्रगढ़ से कांग्रेसी विधायक राव दान सिंह ने भी भिवानी महेंद्रगढ़ सीट से पार्टी टिकट के लिए आवेदन कर रखा है। इसी प्रकार पूर्व विधायक राव बहादुर सिंह ने भी आवेदन किया हुआ है। कांग्रेसी हल्कों में कई दिन से चर्चा है की लगातार दो बार चुनाव हार चुकी श्रुति की जगह पार्टी इस बार राव दान सिंह पर दांव लगा सकती है। हांलांकि राव दान सिंह ने गुरुग्राम लोकसभा सीट से भी आवेदन किया हुआ है। इसके साथ ही पूर्व विधायक राव बहादुर सिंह ने भी भिवानी महेंद्रगढ़ सीट से आवेदन किया हुआ है। राव बहादुर सिंह ने तो घोषणा टक्कर डाली है कि अगर उन्हें टिकट नहीं मिली तो वह चुनाव अवश्य लड़ेंगे। दान सिंह की दावेदारी से दो वरिष्ठ नेता नाराज दरअसल राव दान सिंह ने भिवानी महेंद्रगढ़ ही नहीं बल्कि गुरुग्राम लोकसभा सीट पर भी दावेदारी जताते हुए आवेदन किया है। गुरुग्राम सीट पर पहले से ही कांग्रेस में घमासान मचा हुआ था। क्योंकि यहां से टिकट के सबसे मजबूत दावेदार कहे जाने वाले पूर्व वित्त मंत्री कप्तान अजय सिंह यादव ने राव दान सिंह के आवेदन के कारण ही चुनाव लड़ने से मना कर दिया। इतना ही नहीं उन्होंने आवेदन तक नहीं किया। कप्तान अजय सिंह यादव राव दान सिंह पर खुलकर हमला भी बोल चुके हैं। हुड्डा की धुर विरोधी किरण चौधरी यहां यह बता दे कि कांग्रेस पार्टी में गुटबाजी खुलकर सामने आती रही है पूरा मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के अलावा हरियाणा में एसआरके यानी कुमारी शैलजा रणदीप सुरजेवाला और किरण चौधरी बिल्कुल अलग राह पर है। यहां तीनों की तिकड़ी अपनी अलग खिचड़ी पका रही है। इन तीनों ही वरिष्ठ नेताओं को हुड्डा का धुर विरोधी माना जाता है। लोकसभा चुनाव में पूर्व सीएम हुड्डा ज्यादातर सीटों पर अपनी पसंद के नेताओं को उतारना चाहते हैं इसी के चलते उनके समर्थक नेताओं ने भी सबसे ज्यादा आवेदन किए है। किरण चौधरी ने बुधवार को तोशाम हलके के गांव दरियापुर, ढानी, दरियापुर, चनाना, ढानी मीरान, सिढ़ाण, देवावास, ईश्वरवाल, रोढा, हसान, साल्हेवाला, बूसान, कतवार, मंढान का दौरा किया। वहां ग्रामीण जनसभा में किरण चौधरी ने कहा कि लोकसभा चुनाव व्यवस्था परिवर्तन का सबसे बड़ा मौका है सभी को एकजुट होकर व्यवस्था परिवर्तन करने की लड़ाई को मजबूती से लड़ना होगा। कांग्रेस और आपके साथ चुनाव लड़ने पर उन्होंने कहा कि राजनीतिक पार्टियों के साथ जनता को भी एक जड़ता दिखाते हुए भाजपा को उखाड़ फेंकने में सहयोग देना होगा वही तो शाम विधायक राजस्थान को पानी देने की समझौते का स्वागत करने वाले कृषि मंत्री जेपी दलाल पर भी निशाना साधने से नहीं चुकी। भाजपा पर निशाना किरण चौधरी ने कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था का बुरा हाल है। महंगाई से आम आदमी त्रस्त है। बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और अपराध का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। हरियाणा कौशल रोजगार निगम के नाम पर युवाओं का शोषण किया जा रहा है। प्रदेश में बेरोजगारी का आलम यह है कि ग्रुप डी की नौकरी के लिए लाखों युवाओं की भीड़ उमड़ रही है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार युवाओं को रोजगार देने में कितनी सजग है। भूपेंद्र हुड्डा का प्रभाव बढ़ने के बाद कई बड़े चेहरों ने छोड़ी कांग्रेस 2005 में प्रदेश की कमान भूपेंद्र सिंह हुड्डा के हाथ में आने के बाद पिछले करीब दो दशक में प्रदेश कांग्रेस के कई बड़े चेहरे कांग्रेस को अलविदा कह चुके हैं। इन चेहरों में चौ़ बिरेंद्र सिंह, राव इंद्रजीत सिंह, कुलदीप बिश्नोई, अशोक तंवर, डॉ. अरविंद शर्मा, कृष्ण मूर्ति हुड्डा, रमेश कौशिक, चौ. धर्मबीर सिंह का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है। रणदीप सिंह सुरेजवाला के साथ कुमारी शैलजा, किरण चौधरी प्रदेश कांग्रेस के बड़े चेहरों में शामिल रहे हैं। गांधी परिवार से नजदीकी के चलते रणदीप सिंह सुरजेवाला व कुमारी शैलजा भूपेंद्र सिंह के विरोधी होते हुए भी पार्टी में प्रभावी पद पाने में सफल रहे हैं, परंतु पूर्व मुख्यमंत्री बंशीलाल की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रही किरण चौधरी अपने दम पर पिछले करीब दो दशक से भूपेंद्र सिंह हुड्डा को चुनौती देती रही हैं। ऐसे में मान जा रहा है कि अपने प्रभाव का प्रयोग कर भूपेंद्र सिंह हुड्डा श्रुति चौधरी को लोकसभा चुनाव की रेस से बाहर कर किरण चौधरी को बड़ा झटका दे सकते हैं। जिसे भांपते हुए किरण पाला बदलकर प्रदेश में हुड्डा के साथ साथ कांग्रेस को एक बड़ा झटका दे सकती हैं। Post navigation हरियाणा के 78 लाख 57 हजार 142 बिजली उपभोक्ताओं को बड़ी राहत धनखड़ के सुपौत्र तेजस को आशीर्वाद देने वालों का ढाकला में लगा तांता ……..