भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। गांधी मैदान में इंडिया गठबंधन की रैली में लालू यादव के प्रधानमंत्री के परिवार पर तंज के पश्चात पर प्रधानमंत्री ने कहा कि सारा देश मेरा परिवार है और उसके समर्थन में अनेक लोगों ने ट्विटर पर अपने नाम के आगे ‘मोदी का परिवार’ लिख दिया। इस पर विभिन्न लोगों की विभिन्न प्रतिक्रियाएं सुनने में आ रही हैं।

मेरी अल्प बुद्धि में जितना मेरी समझ में आई, वह मैं आपसे कहना चाहूंगा। सर्वप्रथम तो परिवार पर चर्चा हुई तो अनेक लोगों का उभरकर विचार सामने आया कि परिवार तो वह होता है जहां खून का रिश्ता होता है। हर परिवार के अपने संस्कार, अपने देवी-देवता और अपने बुजुर्ग होते हैं। फिर कुछ लोगों ने यह भी कहा कि खून के परिवार से अलग भी परिवार होता है, जिसे लोग जिनसे प्यार करते हैं और जिनकी विचारधारा से सहमत होते हैं, वह परिवार कहलाने लगता है। जिस प्रकार खाटू श्याम परिवार, पूर्वांचल परिवार, वैश्य परिवार, आर्य समाज परिवार, जैन समाज परिवार, ब्रह्मकुमारी परिवार आदि-आदि। अर्थात जिन लोगों की विचारधारा समान होती है, वह भी एक परिवार कहलाने लगता है।

इस प्रकरण में लालू यादव ने मोदी के खून के परिवार पर तंज कसा था न कि विचारधारा के परिवार पर लेकिन राजनैतिक हलकों में चर्चा है कि यह लालू के तंज का प्रधानमंत्री का जवाब है और जवाब कुछ और ही रूप ले गया, जिसमें इंडिया गठबंधन की ओर से कहा जा रहा है कि यह तो प्रधानमंत्री अपने परिवार की बात न कर विचारधारा की बात कर रहे हैं। अत: यह लालू के तंज का उत्तर हो नहीं सकता।

इन सबसे अलग हटकर कुछ अधिक विचारनीय लोग इस बात को अन्य तरीके से ले रहे हैं। वह इसे मोदी के लोकसभा चुनाव में 400 + के नारे से जोड़ रहे हैं। उनका कहना है कि यह भाजपा की ओर से केवल और केवल अपने प्रचार का जरिया है, जिससे वह सोशल मीडिया पर मोदी का नाम अत्याधिक प्रचारित-प्रसारित कर सकें और हो भी रहा है, क्योंकि इसकी चर्चा बहुत हो रही है। भाजपा के ग्रुप और भाजपा के नेता पता लगा है कि व्हाट्सअप पर अपने ग्रुपों में अपील डाल रहे हैं कि अन्य लोग भी अपने स्टेटस पर मोदी का परिवार लगाकर बनाएं, जिससे कि सर्वत्र मोदी का नाम ही गुंजायमान होता रहे।

इसके साथ-साथ जनता की प्रतिक्रियाएं यह भी हैं कि भाजपा बहुत मंझी हुई राजनैतिक पार्टी है। वह हर कार्य बहुत सोच-समझकर और सधी हुई रणनीति के तहत करते हैं। इसके पीछे इनकी क्या रणनीति है, यह तो समय के साथ ही समझ आ पाएगा, किंतु वर्तमान में चर्चाकारों का यह कहना कि भाजपा अपने सर्वे अपनी एजेंसियों से समय-समय पर कराती रहती है और उसकी जानकारी भाजपा के शीर्ष नेताओं तक ही होती है। भााजपा के भी अनेक नेताओं को इनके बारे में ज्ञान भी नहीं होता परंतु यह मोदी का परिवार भी एक प्रकार का सर्वे बन गया है लेकिन इस सर्वे की विशेषता यह है कि इसे भाजपा के शीर्ष नेता ही नहीं अपितु प्रत्येक जागरूक नागरिक इसे देख सकता है, प्रश्न उठेगा कि कैसे?

इसका उत्तर यह है कि सोशल मीडिया हर आदमी देखता है और ट्विटर पर भी वर्तमान में करोड़ों लोग सक्रिय रहते हैं। ऐसे में यह सर्वविदित हो जाएगा कि ट्विटर पर जितने अकाउंट हैं, उनमें कितने प्रतिशत लोगों ने मोदी का परिवार लगाया है। इसी प्रकार व्हाट्सअप, फेसबुक पर कितने लोग अपने स्टेटस पर मोदी का परिवार लिखते हैं और यह अपने आप बता देगा कि मोदी की विचारधारा से देश में कितने प्रतिशत लोग जुड़े हुए हैं और माना यह जाएगा कि जिनके स्टेटस पर मोदी का परिवार नहीं है, वे मोदी के समर्थक तो कतई नहीं है विरोधी अवश्य हो सकते हैं।

यह प्रक्रिया आम जनता के सामने प्रस्तुत कर देगी कि मोदी के इस कथन में कितनी सच्चाई कि देश के कितने करोड़ लोग या यूं कहें कितने प्रतिशत लोग ऐसे हैं जिन्हें मोदी तो अपना परिवार मानते हैं लेकिन वे मोदी को अपना परिवार नहीं मानते।

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