किसानों की एमएसपी, कर्मचारियों की पेंशन, युवाओं के रोजगार, नागरिकों की सुरक्षा पर चुप रही सरकार- हुड्डा

नौकरी नहीं बल्कि डिजिटल लेबर चौक है कौशल निगम, युवा का हो रहा शोषण- हुड्डा

कौशल निगम के जरिए पक्की नौकरियों और आरक्षण व्यवस्था का किया जा रहा खात्मा- हुड्डा

चंडीगढ़, 28 फरवरीः पूरे बजट सत्र के दौरान बीजेपी-जेजेपी सरकार विपक्ष के सवालों और अपनी जिम्मेदारी से भागती नजर आई। ना ये सरकार किसानों की एमएसपी, खराबे का मुआवजा, कर्मचारियों की पुरानी पेंशन, युवाओं के रोजगार, नागरिकों की सुरक्षा, महंगाई से राहत पर कोई माकूल जवाब दे पाई और ना ही ऐसा बजट पेश कर पाई, जिससे कोई उम्मीद जाग सके। ये कहना है पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का।

हुड्डा ने कहा कि बार-बार मांग के बावजूद सरकार ने बजट सत्र की अवधि नहीं बढ़ाई। बजट में सरकार ने प्रदेश के विकास को लेकर कोई सकारात्मक पहल नहीं की। ऐसा लगता है कि बीजेपी-जेजेपी ने खुद मान लिया था कि ये उसका आखिरी विधानसभा सत्र होगा। इसके बाद दोनों की विदाई तय है।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि आज प्रदेश कानून व्यवस्था की भयंकर चुनौतियों का सामना कर रहा है। सरकार अपराध, बदमाश और गैंगस्टरों पर नकेल कसने में पूरी तरह नाकाम साबित हुई है। हरियाणा में हत्या, लूट, डकैती, फिरौती, अपहरण और रेप जैसी वारदातें आम हो गई हैं। इसपर गंभीरता से चर्चा की बजाय सरकार सदन के भीतर ‘इसकी टोपी, उसके सिर’ खेलती नजर आई।

आज हरियाणा का युवा रोजगार नहीं होने के चलते अपना प्रदेश छोड़कर पलायन कर रहा है। लेकिन सरकार पढ़े-लिखे युवाओं का शोषण करने वाले कौशल निगम की कच्ची नौकरियों को ही बड़ी उपलब्धि मानकर चल रही है। जबकि ये कोई रोजगार नहीं बल्कि दिहाड़ी है, जिसमें काम करने वाले को कर्मचारी नहीं बल्कि दिहाड़ी मजदूर माना जाता है। इसमें युवा को सैलरी नहीं बल्कि नाममात्र मजदूरी दी जाती है। एचएसएससी-एचपीएससी की बजाय डिजिटल लेबर चौक के जरिए कौशल निगम में युवाओं का चयन होता है। पक्की सरकारी भर्ती 58 साल के लिए होती है, जबकि कौशल निगम का ठेका 1 साल के लिए होता है, उसे भी किसी भी पल बीच में खत्म किया जा सकता है। सरकार द्वारा कौशल निगम के जरिए युवाओं का लगातार शोषण, पक्की नौकरियों औऱ आरक्षण व्यवस्था का खात्मा किया जा रहा है।

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