महामंडलेश्वर धर्मदेव ने भगवान शिव शंकर का किया रुद्राभिषेक

सूर्य देव को अर्घ अर्पित कर पक्षियों को खिलाया अपने हाथों दाना

हवन कुंड परिक्रमा और रुद्राभिषेक के समय मौजूद रहे श्रद्धालु-भक्तजन

फतह सिंह उजाला 

पटौदी 14 फरवरी । आश्रम हरी मंदिर संस्कृत महाविद्यालय परिसर में ही एक माह की कठोर कल्पवास साधना का समापन हवन कुंड की परिक्रमा के साथ हो गया। आश्रम हरी मंदिर संस्कृत महाविद्यालय के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर धर्मदेव के द्वारा 17वीं कल्पवा साधना का आरंभ 14 जनवरी को किया गया । इस दौरान वह पूरी तरह से साधनारत रहते हुए धर्म शास्त्रों और वेद पुराणों का अध्ययन करते  लोक कल्याण के लिए हवन में आहुतियां अर्पित कर समर्पित रहे।

कल्पवास साधना के दौरान महामंडलेश्वर धर्मदेव  महाराज संस्था परिसर अथवा साधना स्थल परिसर से बाहर किसी भी परिस्थिति में नहीं निकलते हैं। इस एक माह की तपस्या के दौरान उनके द्वारा प्रतिदिन सुबह और शाम को श्रद्धालुओं और भक्तजनों से मिलने के लिए समय का निर्धारण किया गया है । रात्रि के समय सत्संग नियमित रूप से किया जाता है । कल्पवास साधना के समापन से पहले महामंडलेश्वर धर्मदेव के द्वारा तड़के प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में ही देव वंदना सहित संस्था के संस्थापक दादा गुरु और गुरु ब्रह्मलीन स्वामी अमरदेव और स्वामी कृष्ण देव का वंदन किया गया । 

महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव के शब्दों में इस एक महीने की कठोर तपस्या में सभी देवी देवताओं का आह्वान कर केवल और केवल लोक कल्याण और सभी के सुखमय जीवन सहित धन-धान्य से संपन्न होने की ही परमपिता परमेश्वर से कामना कामना की गई । उन्होंने कहा जप- तप से जो कुछ भी पुण्य अर्जित हुआ, उसमें से उन्हें कुछ भी नहीं चाहिए। जितना भी पुण्य है वह सब भक्तों श्रद्धालुओं के बीच उनकी आवश्यकता के मुताबिक उपलब्ध हो जाए। साधना के समापन के मौके पर तड़के प्रातः ही हवन यज्ञ में भक्तों और श्रद्धालुओं के साथ लोक कल्याण की कामना को लेकर पवित्र अग्नि में आहुतियां अर्पित की गई । 

इसके साथ ही सूर्य देव को  अर्घ अर्पित करने के उपरांत साधना स्थल परिसर में ही पक्षियों परिंदों को दाना डाला गया। देवों के देव महादेव भगवान शंकर का संपूर्ण विधि विधान और मंत्र उच्चारण के साथ रुद्राभिषेक किया गया। इसके साथ ही संपूर्ण जगत के कल्याण राष्ट्र की एकता अखंडता और मजबूती सभी के स्वस्थ जीवन सहित सदैव परमपिता परमेश्वर का आशीर्वाद और कृपा बनी रहे । यही कामना की गई, इसी मौके पर श्रद्धालुओं भंडारा का प्रसाद उपलब्ध करवाया गया।

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