ग्रुप सी की भर्तियां लगातार विवादों में, हाईकोर्ट की टिप्पणी का लें संज्ञान

लाखों युवाओं के सपनों पर पानी फेरने वालों को सलाखों के पीछे करे सरकार

चंडीगढ़, 11 फरवरी। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री, हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष एवं उत्तराखंड की प्रभारी कुमारी सैलजा ने कहा कि ग्रुप सी की ताजा भर्तियों को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (एचएसएससी) पर प्रतिकूल टिप्पणी की है। हाईकोर्ट ने साफ कहा कि एचएसएससी पर न तो आवेदकों को विश्वास है और न ही कोर्ट को। ऐसे में विश्वसनीयता खो चुके एचएसएससी को भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार द्वारा तुरंत भंग कर देना चाहिए।

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि ग्रुप सी की भर्तियां शुरू से ही विवादों में उलझी हुई हैं। बार-बार इन भर्तियों में गड़बड़ी व प्रक्रिया में बदलाव को भांपते हुए पढ़े-लिखे बेरोजगार न्याय की आस में हाईकोर्ट का सहारा ले रहे हैं। लेकिन, भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार मनमानी पर उतारू हो चुकी है। इसलिए ही कोर्ट से स्टे हटवाने के चंद घंटे के अंदर भर्ती परीक्षा का परिणाम जारी कर दिया। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इससे सिद्ध होता है कि पहले से ही लिस्टें तैयार कर ली गई थी। भाई-भतीजावाद व पर्ची-खर्ची के सहारे आरएसएस व भाजपाइयों के चहेतों को नौकरी देने का षड्यंत्र रच लिया गया था। इस मनमानी के खिलाफ कोई आवाज न उठे, इसलिए ही बिना चरित्र सत्यापन के ज्वाइनिंग कराई जा रही हैं। मेडिकल भी नियमों को ताक पर रखते हुए जिला अस्पतालों में कराने की बजाए पंचकूला के ही सरकारी अस्पताल में कराए जा रहे हैं।

कुमारी सैलजा ने कहा कि जब भी एचएसएससी की काली करतूतों के खिलाफ युवा हाईकोर्ट की शरण में जाते हैं तो मुख्यमंत्री उन्हें भर्ती रोको गैंग कहना शुरू कर देते हैं, क्योंकि कोर्ट के सामने ये बुरी तरह एक्सपोज हो जाते हैं। कुछ हद तक इनकी मनमानी पर लगाम लगती है, लेकिन बाद में फिर ये नए सिरे से रोजगार बेचने की कोशिशों में जुट जाते हैं। इसलिए ही हाई कोर्ट ने हाई कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस की अध्यक्षता में कमेटी बनाने के लिए प्रदेश सरकार को कहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सिर्फ 02 दिन के अंदर हजारों की संख्या में ग्रुप सी भर्ती के खिलाफ हाईकोर्ट मे याचिकाएं लगने से साफ है कि बड़े पैमाने पर एचएसएससी में धांधली हुई है। प्रदेश सरकार के पूरे प्रकरण पर मौन धारण करने से लगता है कि सरकार में बैठे लोगों की मिलीभगत व शह पर ही सब कुछ चल रहा है। इसलिए एचएसएससी में बैठे लोगों को बचाने के लिए हाई कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश होती है और वहां भी सरेआम झूठ बोला जाता है।

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