वेद पुराणों के मर्मज्ञ महामंडलेश्वर धर्मदेव कल्पवास साधना में है लीन 

शबरी के हाथों बेर खाते भगवान राम और चार मूर्ति चौक आकर्षण 

महत्वपूर्ण अवसर पर संस्था में रंगीन रोशनी और रोशन होते हैं अनगिनत दीपक 

फतह सिंह उजाला 

पटौदी 3 फरवरी । जैसा नाम वैसा ही संस्था का माहौल और संस्था में संस्कृति और संस्कार की प्रेरणा देती प्रतिमाएं । महत्वपूर्ण अवसर पर संस्था को मनभावन आकर्षक रंगीन रोशनी सहित अनगिनत दीपक से रोशन भी किया जाता है। फिर वह मौका चाहे संस्था के वार्षिक महोत्सव का हो,  संस्था के आदि संस्थापक, संचालक की पुण्यतिथि या फिर जन्मोत्सव के साथ-साथ राष्ट्रीय महोत्सव और पर्व ही क्यों ना हो।

जी हां हम बात कर रहे हैं उत्तर भारत की विख्यात शिक्षण संस्था आश्रम हरी मंदिर संस्कृत महाविद्यालय पटौदी की । जब अयोध्या में भगवान श्री राम लला के विग्रह स्वरूप की प्राण प्रतिष्ठा और मंदिर के लोकार्पण के मौके पर कई 100 एकड़ क्षेत्रफल में विस्तारित आश्रम हरी मंदिर संस्कृत महाविद्यालय के चप्पा चप्पा और प्रणकुटी को संस्था के प्रति समर्पित श्रद्धालुओं और भक्तों के द्वारा रंगीन रोशनी सहित अनगिनत दीपक से रोशन किया गया। ऐसा ही दृश्य अक्सर यहां पर देखने के लिए उपलब्ध होता रहता है । मौजूदा समय में आश्रम हरी मंदिर संस्कृत महाविद्यालय पटौदी और आश्रम हरी मंदिर संस्थाओं के संचालक महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव महाराज एक माह की कठोर कल्पवा साधना में ली है। कल्प व साधना के दौरान महामंडलेश्वर धर्मदेव संस्था परिसर से ना तो बाहर जाते हैं और नहीं संस्था से बाहर किसी भी कार्यक्रम या सार्वजनिक समारोह में शामिल होते हैं। साधना के दौरान वह सुबह और शाम केवल मात्र एक-एक घंटा के लिए श्रद्धालुओं से मिलने के लिए उपलब्ध रहते हैं ।

आश्रम हरी मंदिर संस्कृत महाविद्यालय परिसर में चप्पा चप्पा पर देवी देवताओं की जीवन प्रतिमाएं प्रख्यात मूर्तिकारों के द्वारा बनाई गई है । यहीं पर विशाल कक्ष में संस्था के आदि संस्थापक ब्रह्मलीन स्वामी अमरदेव और ब्रह्मलीन स्वामी कृष्ण देव की जीवंत प्रतिमाएं भी अपना आशीर्वाद प्रदान करती प्रतीत हो रही है। मौजूदा दौर में महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव के द्वारा की जा रही 17वीं कल्पवास साधना का केंद्र भी भगवान श्री राम सहित रामायण पर ही केंद्रित रहा है । कल्पवास साधना काल के दौरान प्रतिदिन संध्या के सत्संग में महामंडलेश्वर धर्मदेव के द्वारा रामचरितमानस का बेहद सुंदर और मार्मिक सहित प्रेरणादाई व्याख्यान किया जा रहा है।

इस संस्था के अंदर रामायण और महाभारत के समय की बेहद सुंदर और शिक्षा प्रदान करने वाली प्रतिमाओं की झांकियां भी देखने के लिए उपलब्ध है। विख्यात धनुर्धर अर्जुन के द्वारा अजेय योद्धा भीष्म पितामह के साथ युद्ध के दौरान तीर के प्रहार से जख्मी करने के उपरांत तीरों की सैया पर लेटे होने का जीवंत दृश्य यहां प्रतिमाओं के रूप में उपलब्ध है। इसी प्रकार से भगवान श्री राम के वनवास काल के दौरान शबरी के द्वारा चुन चुन कर मीठे बेर खाने के लिए भेंट करने की जीवंत झांकी देखकर मन प्रफुल्लित होने के साथ श्रद्धा से झुक जाता है। प्रणकुटी में प्रवेश से पहले और पटौदी बिलासपुर मार्ग से प्रवेश किया जाने पर यहां ब्रह्मा विष्णु महेश देवताओं की विशाल प्रतिमाओं से सुसज्जित चार मूर्ति चौक भी श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है ।

आश्रम हरी मंदिर संस्कृत महाविद्यालय संस्था को 100 वर्ष हो चुके हैं और आश्रम हरी मंदिर या फिर आदि संस्थापकों को के नाम पर विभिन्न राज्यों में शिक्षण संस्थाएं कार्यरत हैं। आश्रम हरी मंदिर परिसर में ही भगवान श्री राम के वनवास काल के दौरान भरत के द्वारा महाराजा दशरथ के स्वर्गलोक  गमन की सूचना देने सहित चरण पादुका हाथों में लेने की प्रतिमा वाली जीवंत झांकी भी भारतीय सनातन संस्कृति और भगवान राम की मर्यादा की शिक्षा दे रही है। इतना ही नहीं आश्रम हरी मंदिर संस्कृत महाविद्यालय परिसर में ऑस्कर विजेता विश्व विख्यात अभिनेत्री के अभिनय से सजी हुई, ईट- प्रे- लव बॉलीवुड फिल्म की शूटिंग भी हो चुकी है । यहां आगमन पर विश्व विख्यात अभिनेत्री जूलिया रॉबर्ट भारतीय सनातन संस्कृति, महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव और संस्कारों से इतना अधिक प्रभावित हुई कि अपने तीनों बच्चों का नाम भी क्रम अनुसार लक्ष्मी, गणेश और कृष्ण बलराम रखा। वास्तव में आश्रम हरी मंदिर संस्कृत महाविद्यालय अपने नाम के अनुरूप शिक्षा और संस्कार को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे ले जाने का कार्य कर रहा है।

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