हरियाणा में अब एकजुटता का संदेश देंगे कांग्रेस दिग्गज, राहुल गांधी की मध्यस्थता के बाद हुड्डा और एसआरके गुट में दिखा परिवर्तन

हरियाणा कांग्रेस में फेस क्राइसिस:लोकसभा चुनाव लड़ने से हुड्‌डा-सैलजा का किनारा

पार्टी के दूसरे बड़े नेताओं ने भी लोकसभा चुनाव लड़ने से साफ इनकार कर दिया हाईकमान को चेहरों की तलाश, आवेदन मांगे,बड़े नेताओं की दूरी की वजह क्या?

कांग्रेस ने शुरू की लोकसभा उम्मीदवारों की चयन की प्रक्रिया, इच्छुक उम्मीदवार इस लास्ट डेट तक कर सकते हैं आवेदन

अशोक कुमार कौशिक 

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मध्यस्थता का यह असर हुआ कि हरियाणा के पार्टी नेताओं ने एक दूसरे का हाथ पकड़ने के लिए अपनी तरफ से पहल आरंभ कर दी है। राज्य में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके सांसद बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा का गुट विधायकों के साथ जन आक्रोश रैलियां, जिला कार्यकर्ता सम्मेलन व राज्य स्तरीय समारोहों का आयोजन कर रहा है। एसआरके गुट के नाम से मशहूर कांग्रेस महासचिव कुमारी सैलजा, रणदीप सिंह सुरजेवाला और किरण चौधरी की तिकड़ी पूरे राज्य में कांग्रेस संदेश यात्रा निकाल रही है।

आरंभ में जब इस संदेश यात्रा का खाका तैयार किया गया था, तब यह संदेश गया कि एसआरके गुट की तरफ से हुड्डा गुट के खिलाफ इस संदेश यात्रा का माहौल बनाया जा रहा है। हो सकता है कि यह बात ठीक भी हो, लेकिन अपनी संदेश यात्राओं में एसआरके गुट के तीनों नेताओं का फोकस राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे को मजबूत करने के साथ ही केंद्र व राज्य में कांग्रेस की सरकार बनाने के तरीकों पर रहा है।

बीजेपी और जजपा गठबंधन पर बोला जा रहा हमला

इसके लिए एसआरके गुट के नेता न केवल राहुल गांधी के संघर्ष को याद कर रहे हैं, बल्कि राज्य में कांग्रेस के 10 साल के राज की उपलब्धियां गिनाने के साथ ही भविष्य का एजेंडा भी पेश कर रहे हैं। यही स्थिति हुड्डा गुट के कार्यक्रमों व जन आक्रोश रैलियों की है, जिसमें भाजपा व जजपा गठबंधन की सरकार पर हमला बोला जा रहा है।

दोनों गुट एक-दूसरे पर नहीं कर रहे विवादित टिप्पणी

हुड्डा गुट का कोई नेता एसआरके गुट पर किसी तरह की विवादित टिप्पणी नहीं कर रहा है। हुड्डा व एसआरके गुट के कार्यक्रमों की खास बात यह है कि सभी के समर्थक अपने-अपने नेता के मुख्यमंत्री बनने के नारे लगा रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा इसे सहज और स्वाभाविक प्रक्रिया मानते हैं। हुड्डा का कहना है कि हर कार्यकर्ता की भावना होती है कि उसका नेता मुख्यमंत्री बने।

लोगों तक पहुंचाएं सबके एक होने का संदेश

अगर वह अपने नेता के समर्थन में नारे भी लगाता है तो इसमें कोई हर्ज नहीं है। ऐसी ही सोच रणदीप सुरजेवाला, किरण चौधरी और कुमारी सैलजा की है। राज्य के कांग्रेसियों की इस एकजुटता से प्रभावित कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें सलाह दी है कि वे एक दूसरे के कार्यक्रमों में पार्टी के अधिकृत पोस्टर जरूर लगाएं, जिससे लोगों में यह संदेश जा सके कि सब एक हैं।

हाईकमान को चेहरों की तलाश, आवेदन मांगे,बड़े नेताओं की दूरी की वजह क्या?

लोकसभा चुनाव को लेकर हरियाणा कांग्रेस में फेस क्राइसिस चल रहा है। इसको लेकर पार्टी हाईकमान ने भी चिंता जताई है। पार्टी के बड़े नेताओं ने भी लोकसभा चुनाव को लेकर अपनी राय हाईकमान को दे दी है। इसके बाद अब हाईकमान के निर्देश पर प्रदेश में इलेक्शन फेस लीडर के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू की जा रही है।

सबसे अहम बात यह है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा के साथ कुमारी सैलजा भी लोकसभा चुनाव लड़ने से किनारा कर चुकी हैं। दोनों नेताओं ने हाईकमान से भी अपनी इच्छा जाहिर कर दी है।

पार्टी सूत्रों की माने तो पार्टी के दूसरे बड़े नेताओं ने भी लोकसभा चुनाव लड़ने से साफ इनकार कर दिया है। ऐसे में पार्टी अब नए चेहरों की तलाश कर रही है।

हरियाणा में अभी सभी सीटें भाजपा के पास

हरियाणा में 10 लोकसभा सीटें हैं, इन सभी सीटों पर सूबे की सत्ता में काबिज भाजपा का कब्जा है। 2019 में हुए आम चुनाव में 10 साल तक सीएम रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा सोनीपत में और उनके बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा रोहतक से चुनाव हार गए थे।

इनके अलावा कांग्रेस की दिग्गज नेता कुमारी सैलजा, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अशोक तंवर (ये अभी भाजपा में हैं), पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव, चौधरी निर्मल सिंह, पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा, कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई (ये अभी भाजपा में हैं), किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी और पूर्व सांसद अवतार सिंह भड़ाना लोकसभा चुनाव हार गए थे।

दीपेंद्र सिंह हुड्डा और अरविंद शर्मा के बीच रोहतक में कांटे की टक्कर आखिर तक चली, लेकिन आखिर में दीपेंद्र की 7503 मतों के अंतर से हार घोषित कर दी गई थी।

बड़े नेताओं की दूरी की वजह क्या?

हरियाणा कांग्रेस में बड़े नेताओं की दूरी की 3 बड़ी वजह हैं। पहली वजह यह है कि हरियाणा में भाजपा 10 सालों से सत्ता में है। इस कारण से एंटी-इनकंबेंसी यानी सत्ता-विरोधी लहर है, इसका फायदा लोकसभा के बजाय पार्टी को विधानसभा में मिलने की उम्मीद है। दूसरी बड़ी वजह यह है कि इस बार फिर लोकसभा में मोदी मैजिक चलने के आसार हैं।

इसके साथ हरियाणा में कई बार सर्वे कराने का दावा कर चुकी कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की तलाश आरंभ कर दी है। कांग्रेस के सर्वे में हालांकि संभावित उम्मीदवारों के नाम स्पष्ट रूप से सामने आ चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी पार्टी ने लोकसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक दावेदारों से आवेदन मांगे हैं। लोकसभा चुनाव के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया 30 जनवरी से आरंभ होगी, जो कि सात फरवरी तक चलेगी।

30 जनवरी से शुरू होगी आवेदन की प्रक्रिया

हरियाणा कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चौधरी उदयभान ने रविवार को बताया कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा जारी निर्देशानुसार लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों का चयन शीघ्र किया जाना है। इसलिए हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा लोकसभा चुनाव के लिए आवेदन की प्रक्रिया आरंभ की गई है। आवेदन फार्म चंडीगढ़ के सेक्टर नौ स्थित पार्टी कार्यालय में 30 जनवरी से उपलब्ध रहेंगे। आवेदन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि सात फरवरी सुनिश्चित की गई है।

सात फरवरी तक जमा कराए जा सकेंगे फार्म

ऐसे होगा प्रत्याशियों का चयन

पार्टी की ओर से चुनाव लड़ने के इच्छुक आवेदन फॉर्म पार्टी कार्यालय में 30 जनवरी से बांटे जाएंगे। 9 दिन के बाद यानी 7 फरवरी को आवेदन जमा करने की लास्ट डेट रखी गई है। प्रदेश की सभी 10 लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ने के इच्छुक पार्टी नेता लास्ट डेट को शाम 5 बजे तक अपना आवेदन पत्र प्रदेश कांग्रेस कार्यालय चंडीगढ़ में जमा करवा सकते हैं ताकि प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया शुरू की जा सके।

चौधरी उदयभान ने बताया कि प्रदेश के समस्त 10 लोकसभा चुनाव क्षेत्रों से चुनाव लड़ने के इच्छुक पार्टी कार्यकर्ता सात फरवरी को शाम पांच बजे तक अपना आवेदन पत्र प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में जमा करवा सकते हैं जिससे प्रत्याशियों का चयन अविलंब किया जा सके।

हरियाणा प्रभारी ने ये दी दलील

हरियाणा में कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया ने इसके पीछे दलील देते हुए कहा कि चुनाव में बेहतर परिणाम के लिए पार्टी उपयुक्त उम्मीदवार का चयन करेगी। कांग्रेस पार्टी द्वारा आगामी चुनाव में सक्षम उम्मीदवारों के चयन में मतदाताओं की भागीदारी सुनिश्चित करने और व्यापक फीडबैक लेने की व्यवस्था की जा रही है।

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