– हिट एंड रन कानून बनाने से पहले जनता के बीच तैयार करनी चाहिए थी आम राय

– अपने अड़ियल रवैये के कारण हर व्यक्ति के जीवन पर डाल दिया विपरीत असर

चंडीगढ़,2 जनवरी – अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा की केंद्र सरकार की जिद्द का खामियाजा आज देश-प्रदेश भुगत रहे हैं। हिट एवं रन कानून का जो विरोध हो रहा है, वह केंद्र सरकार के आत्ममुग्ध होने की वजह से हो रहा है। इस तरह के कानून बनाने से पहले जनता के बीच आम राय तैयार करने की जरूरत थी, फिर उसी हिसाब से कदम उठाते। लेकिन अपने अड़ियल रवैये के कारण हिट एंड रन कानून में मनमर्जी से किए गए प्रावधान और इन्हें जबरन लागू करने से हर किसी के जीवन पर विपरीत असर पड़ रहा है।

मीडिया का जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि सबसे ज्यादा जरूरत किसी भी सड़क दुर्घटना को लेकर आम लोगों को जागरूक करने की है। लोगों को बताना चाहिए था कि सड़क के तुरंत बाद घायल को अस्पताल पहुंचाना हर किसी व्यक्ति की जिम्मेदारी है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का सख्ती से लागू करवाना चाहिए था, जिसमें कहा गया है कि जो भी व्यक्ति घायल को अस्पताल पहुंचाता है, उससे किसी तरह की पूछताछ न की जाए। उसे किसी तरह के कानूनी झमले में न उलझाया जाए। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हिट एंड रन को लेकर जो मौजूदा कानून लागू किया गया है, उसे तैयार करने से पहले न तो किसी ड्राइवर संगठन को चर्चा के लिए बुलाया गया, न ही किसी ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन से सलाह ली गई। इस कानून को तैयार करने में ऐसे प्रभावित लोगों को भी नजरअंदाज किया गया, जिनके परिजन तुरंत इलाज न मिलने के कारण मृत्यु को प्राप्त हो गए हों। यह कानून सिर्फ और सिर्फ सरकार के हठ की उपज है, इसलिए ही इसका चारों तरफ विरोध हो रहा है।

कुमारी सैलजा ने कहा कि आज विरोध के स्वर इतने मजबूत हो चुके हैं कि ऑटो चालक से लेकर निजी बस संचालक और ट्रक ड्राइवर तक हड़ताल पर चले गए हैं। इससे आम जनजीवन प्रभावित होने लगा है। कहीं पेट्रोल पंपों व पेट्रोल-डीजल की कमी होने लगी है, तो कहीं सब्जी मंडियों में सब्जी की आवक में गिरावट आनी शुरू हो गई है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से जिस तरह के हालात देश-प्रदेश में बने हैं, उससे लगता है कि केंद्र सरकार लोगों को धरने-प्रदर्शन में उलझा कर रखना चाहती है, इसलिए ही अपनी जिद्द पर अड़ी हुई है। कितनी हैरानी की बात है कि चौतरफा विरोध के बीच प्रदेश की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार का कोई भी नुमाइंदा न तो हड़ताल, धरने या प्रदर्शन के बीच जाने की हिम्मत जुटा पा रहा है, न ही केंद्र से इस बारे में बातचीत कराने  का आश्वासन दे पा रहा है।

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