राहुल ने शुरु की सर्जरी, क्या कांग्रेस अब राहुल कांग्रेस बनने जा रही है?

बघेल- कमलनाथ गए, राजस्थान में बदलाव की तैयारी, कई लाइन में 

हरियाणा में भी बदलाव होगा?………. नई टीम ही नई इबारत लिख सकतीं हैं

सत्ता सुख भोग चुके भ्रष्टाचारी नेता ईडी सीबीआई के भय से कांग्रेस की नैया पार लगा सकते है ?

गठबंधन I.N.D.I.A बैठक के बाद 21 दिसंबर को होगी कार्यसमिति की बैठक

अशोक कुमार कौशिक 

विधानसभा चुनावों में निराशाजनक परिणाम के नतीजों से उबरने की कसरत में जुटी कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों को गति देने के लिए पार्टी की शीर्ष नीति निर्धारण इकाई कांग्रेस कार्यसमिति की 21 दिसंबर को बैठक बुलाई है। विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए की बैठक के दो दिन बाद ही कार्यसमिति की बैठक बुलाने के फैसले से साफ है कि कांग्रेस नेतृत्व 2024 अगले लोकसभा चुनाव में सीट बंटवारे से लेकर तमाम मुद्दों पर पार्टी में व्यापक सहमति का आधार तैयार करना चाहता है। 

कांग्रेस की एक लड़ाई भाजपा के साथ है तो वही एक लड़ाई उसके अपने नेताओं के साथ भी है। कांग्रेस का ऐसा कच्चा चिट्ठा जीत के बाद नहीं उसकी हार के बाद खुला है। इन राज्यों में चुनाव के समय नेताओं के मन की स्थिति क्या थी उसकी परत अब खुलती जा रही है। जिसमें जिनकी टिकट कटने थे उनके काटे नहीं गए। इन नेताओं ने पार्टी पर इतना नियंत्रण कर लिया था कि वह स्वयं के ही सर्वे को अहमियत दे रहे थे। उन्हें दिल्ली का वह दिखलाया गया जबकि दिल्ली तो खामोश थी। इन लोगों की स्पष्ट रणनीति थी हम अपने बलबूते पर जीत जाएंगे और यदि नहीं जीते तो पार्टी में अपने प्रतिद्वंद्वी को भी आगे नहीं आने देंगे।

इन तीनों राज्यों में घाघ नेताओं के साथ यहां के प्रभारी भी शामिल रहे। हार के बाद राहुल गांधी द्वारा शुरू की गई सर्जरी अत्यंत जरूरी है। यह कांग्रेस में भविष्य में अच्छा बदलाव देगी और लोकसभा चुनाव में इसका पार्टी को फायदा होगा। राहुल गांधी का डरो मत नारा भी असर कारक तभी होगा जब जुंडली के सिकंजे से कांग्रेस निकल जाएगी। दिसंबर के महीने में ही सब कुछ तय होना है। अब कांग्रेस को नया प्रयोग करना ही होगा कांग्रेस को उनका कद्दावर नेताओं को दरकिनार करना होगा जो हाई कमान की बात को नजर अंदाज करते हैं। 

उन नेताओं को भी दरकिनार करना होगा जो सत्ता का सुख भोग चुके हैं। जो भ्रष्टाचार में लिप्त होने के कारण ईडी और सीबीआई के भय के कारण अपने को बचाने के लिए कांग्रेस को जिता नहीं सकते। अब नई टीम को आगे लाना समय की मजबूरी है।

पता तो यहां तक भी चला है कि तीनों राज्यों में दिल्ली से सर्वे करने के लिए सुनील कांगो की टीमें भेजी गई थी उनको वापस भेज दिया गया। इस टीम को मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ से वापिस कर दिया गया। दिल्ली की सुनील कांगो टीम ने तेलंगाना में बखूबी काम किया और जीत का सेहरा बंधवाया। अब यहां सवाल यह उठता है कि कांग्रेस में कुछ लोग दिल्ली का नाम लेकर इतने प्रभावशाली हो गए कि वह मनमानी करने लग गए। उन्हें पार्टी की बजाय स्वयं के हित की ज्यादा परवाह रही। वैसे अब कांग्रेस में दक्षिण के लोगों को संख्या ज्यादा होती जा रही है जो उत्तर भारत के प्रभावशालियों के लिए सबक का कार्य करेगी।

राहुल गांधी द्वारा पार्टी की शुरू की गई सर्जरी में मध्य प्रदेश में परिवर्तन के बाद अब कांग्रेस में परिवर्तन का युग दिखाई दे रहा है। राहुल गांधी का मानना है कि तीनों राज्यों में पार्टी के अंदरुनी नेताओं ने पार्टी को शिकस्त दिलाई है।हिंदी पट्टी के राज्यों में यह बदलाव अब दिखाई देगा। मध्य प्रदेश के बाद छत्तीसगढ़ और राजस्थान में नए चेहरों को कमान सौंपी जा रही है। नए परिवर्तनों पर राहुल गांधी की छाप साफ दिखाई देगी । दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि अब कांग्रेस राहुल गांधी की कांग्रेस बनने जा रही है।

छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश व राजस्थान की हार ने राहुल गांधी को विचलित कर दिया है। इन तीनों राज्यों में कांग्रेस ने बीजेपी से लड़ाई ने लड़कर अपने क्षेत्रपों से लड़ाई लड़ी है। तीनों राज्यों में पुराने घाघ कांग्रेसी नेता इस फेर में रहे कि उनके पार्टी प्रतिद्वंदी कहीं सिंहासन की तरफ ना बढ़ जाए। पार्टी की इस आंतरिक रार ने पार्टी को हार के कगार पर ला दिया। राहुल गांधी की यह सर्जरी छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश राजस्थान होती हुई हरियाणा में भी होने की संभावना है। राहुल गांधी की सर्जरी की छाप अब स्पष्ट दिखाई देगी। पुराने घाघ चेहरों की बजाय नए चेहरे पर दांव खेला जाएगा।

लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी कांग्रेस

लोकसभा चुनाव में पार्टी की राजनीति उम्मीदों को परवान चढ़ाने के लिए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दूसरे चरण की शुरूआत को लेकर भी इस बैठक में फैसला किया जा सकता है। पांच राज्यों के चुनाव नतीजों के आने के बाद कांग्रेस कार्यसमिति की यह पहली बैठक होगी और स्वाभाविक रूप से पार्टी के प्रदर्शन की भी इसमें समीक्षा होगी।

21 दिसंबर को होगी CWC बैठक

पार्टी सूत्रों ने 21 दिसंबर को कार्यसमिति की बैठक बुलाए जाने की पुष्टि करते हुए कहा कि तेलंगाना में जीत ही नहीं हिन्दी पटटी के तीन राज्यों में हार को लेकर इसमें चर्चा जरूर होगी। इसमें इस बात पर भी चर्चा होगी कि कांग्रेस परंपरागत तरीके से चले या नई सोच नई लीडरशिप और कार्यकर्ताओं के सहारे नई बुलंदी को छुए। लेकिन अभी मुख्य मुद्दा 2024 के चुनाव में भाजपा को चुनौती देना है और इसीलिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का पूरा फोकस लोकसभा चुनाव की तैयारियों से जुड़े मुद्दों पर होगा। चूंकि यह बैठक आइएनडीआइए के शीर्षस्थ नेताओं की बैठक के दो दिन बाद ही हो रही है ऐसे में स्वाभाविक रूप से सीट बंटवारे के मसले पर विशेष चर्चा होगी। 

28 दिसंबर को स्थापना दिवस और नागपुर में रैली

कांग्रेस की कार्य समिति की बैठक में अभी यह निर्णय भी लेना है की आने वाले चुनावों में किसकी अगुवाई में चुनाव लड़े जाएं। किस प्रदेश में किस नेता को आगे लाया जाए ताकि चुनाव में मात न खानी पड़े। छत्तीसगढ़ में मिली पराजय को लेकर कांग्रेस के महासचिव के वेणुगोपाल के समक्ष सरगुजा के पूर्व विधायक बृहस्पति ने खुलकर सारी बातें बताई। उन्होंने राज्यों में कराए गए सर्वे पर भी उंगली उठाई। स्पष्ट कहा कि जिन 22 कांग्रेसी विधायकों की टिकट काटे गए थे उन 22 पर भाजपा ने कब्जा किया है। उन्होंने प्रभारी और सह प्रभारी पर मुकदमा दर्ज करने की बात कही क्योंकि उनकी वजह से पार्टी गुमराह हुई और पार्टी को पर राज्य का सामना करना पड़ा।

इन मुद्दों पर होगी चर्चा

विपक्षी दलों के बीच सीट बंटवारे की कसरत में कांग्रेस को उत्तरप्रदेश व बिहार जैसे बड़े राज्यों समेत कुछ अन्य सूबों में अपेक्षा से काफी कम सीटों पर समझौता करना पड़ सकता है और इस पर कार्यसमिति को विश्वास में लेना नेतृत्व के लिए अहम है। इसके साथ ही कांग्रेस और विपक्ष की साझा चुनावी रणनीति और प्रचार अभियान से जुड़े मुद्दों पर भी बैठक में चर्चा होगी। उन्होंने कहा कि सीट साझा करना और प्रचार करना एजेंडे में सबसे ऊपर रहने की संभावना है।

भारत जोड़ो यात्रा ने निभाई अहम भूमिका

खरगे के अध्यक्ष बनने के करीब सवा साल बाद भी पार्टी के शीर्ष संगठनात्मक ढांचे को पुनर्गठित नहीं किया गया है और इस लिहाज से कार्यसमिति की बैठक में लोकसभा चुनाव के लिए अलग-अलग कुछ समितियों के गठन पर भी मंत्रणा होगी। साथ ही चुनावी मुद्दों की प्राथमिकताएं तय करने से लेकर कांग्रेस और विपक्ष का सकारात्मक वैकल्पिक नैरेटिव देने पर भी चर्चा की संभावनाएं हैं।

कांग्रेस का मानना है कि भले ही हाल में तीन हिन्दी पटटी राज्यों में पार्टी को चुनावी शिकस्त का सामना करना पड़ा है मगर राहुल गांधी की कन्याकुमारी से कश्मीर तक की हुई पांच महीने की पैदल भारत जोड़ो यात्रा ने कांग्रेस की राजनीति को ट्रैक पर वापस लाने में अहम भूमिका निभाई है।

दूसरे चरण की भारत जोड़ो यात्रा को मिल सकती है मंजूरी

ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले सुदूर पूर्व अरूणाचल प्रदेश से पश्चिम में गुजरात के कच्छ तक भारत जोड़ो यात्रा का दूसरा चरण शुरू करने पर कांग्रेस में लंबे समय से मंथन चल रहा है। सूत्रों ने कहा कि बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दे को चुनावी एजेंडा बनाने के लक्ष्य के साथ राहुल गांधी के दूसरे चरण की भारत जोड़ो यात्रा को कार्यसमिति की मंजूरी दी जा सकती है। लोकसभा चुनाव में चूंकि अब ज्यादा समय नहीं है इसलिए राहुल की यात्रा का दूसरा चरण हाईब्रिड हो सकता है जिसमें वे कहीं पैदल तो कहीं वाहनों के जरिए यात्रा कर सकते हैं।

सूत्रों ने कहा कि बैठक में उस यात्रा की संभावना पर भी चर्चा होने की संभावना है जिसे कांग्रेस नेता राहुल गांधी 2024 के चुनावों से पहले बेरोजगारी और महंगाई को मुख्य मुद्दा बनाकर निकाल सकते हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी पैदल यात्रा सहित हाइब्रिड मोड में पूर्व से पश्चिम यात्रा पर विचार कर रही है और जल्द ही अंतिम निर्णय लिए जाने की उम्मीद है।

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