प्राण शक्ति के बिना जीवन का अस्तित्व नहीं :  डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि।
भागवत पुराण कथा में जीवन तत्वों पर हुई चर्चा।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र, 29 सितम्बर : भगवान श्री कृष्ण के श्री मुख से उत्पन्न पावन गीता की जन्मस्थली, तीर्थों की संगम स्थली एवं धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के अखंड गीता पीठ शाश्वत सेवाश्रम में चल रही देश के लिए शहीद हुए सैनिकों को समर्पित पितृ मोचनी श्रीमद भागवत कथा के दूसरे दिन व्यासपीठ से महामंडलेश्वर डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि महाराज ने कहा कि भागवत पुराण में जीवन तत्वों का दर्शन है। प्राणी आश्रय की खोज करता है। आश्रय वहीं है जहां शरीर, आत्मा तथा मन स्थिर रहे।

दूसरे दिन की कथा शुभारम्भ से पूर्व रमेश चंद मिश्रा तथा अन्य श्रद्धालुओं ने महामंडलेश्वर डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि महाराज के सान्निध्य में श्रीमद भागवत पुराण एवं भारत माता की पूजा अर्चना की। इस मौके पर डा. शकुंतला शर्मा, भूपेंद्र शर्मा, अजय शर्मा, प्रेम नारायण शुक्ला एवं यमुना दत्त पांडे इत्यादि भी मौजूद रहे।

कथा में आगे महामंडलेश्वर डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि महाराज ने कहा कि मनुष्य जीवन में प्राण ऊर्जा ही महत्वपूर्ण है। प्राण ऊर्जा से ही संवेदना है। उन्होंने कहा कि जीवन में कोई भी कार्य उत्साहपूर्ण करें तभी जीवन में ऊर्जा होगी। मनुष्य जीवन में हमेशा उत्साह एवं उल्लास रहना चाहिए। अगर मन में उल्लास होगा तो जीवन में प्राण होगा। डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि ने कहा कि। प्राण शक्ति को ध्वस्त करने वालों से बचना चाहिए। दूसरे दिन की कथा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए।

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