आधार द्वारा निर्मित डिजिटल बुनियादी ढांचे और सिद्धांतों से लिया है पीपीपी का सिद्धांत

जिन सूचनाओं को आधार का डाटा सत्यापित नहीं करता पीपीपी में उन सभी सूचनाओं का समावेश

25 अगस्त तक 6.66 लाख से अधिक अनुसूचित प्रमाण पत्र, 4.69 लाख से अधिक बीसी (ए) व बीसी (बी) प्रमाण पत्र किए गए जारी

बीपीएल के लोगों को पीपीपी के तहत राशन, वृद्धावस्था सम्मान पेंशन, दिव्यांग पेंशन जैसी योजना का क्रियान्वयन हुआ संभव

चंडीगढ़, 29 अगस्त – हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि परिवार पहचान पत्र (पीपीपी) एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है, जिसका प्राथमिक उद्देश्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं और अन्य सेवाओं को लाभार्थी के घर द्वार पर पहुंचाना है।

मुख्यमंत्री आज हरियाणा विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान सदस्यों द्वारा परिवार पहचान पत्र पर लाए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर बोल रहे थे।

श्री मनोहर लाल ने कहा कि पीपीपी आधार द्वारा निर्मित डिजिटल बुनियादी ढांचे और सिद्धांतों से लिया गया है। हालांकि इसकी प्रदायगी में यह आधार से कई गुना अधिक जटिल है। आधार में मुख्य रूप से यूनीक पहचान की जानकारी होती है, जबकि पीपीपी में आधार के रूप में विशिष्ट पहचान की जानकारी के अलावा सामाजिक-आर्थिक जानकारी भी होती है। आधार पहचान के अलावा किसी भी डेटा को सत्यापित नहीं करता है। उदाहरण के तौर पर आधार में जन्मतिथि सत्यापित नहीं होती। दूसरी और पीपीपी में उपलब्ध प्रत्येक जानकारी फील्ड को विशिष्ट प्रक्रियाओं के माध्यम से सत्यापित किया जाता है। यह पीपीपी को लाभार्थियों की सक्रिय रूप से पहचान करने में सक्षम बनाता है, जबकि आधार लाभार्थियों की पहचान करने में सक्षम नहीं है बल्कि दोहराव को ही समाप्त कर सकता है।

उन्होंने कहा कि आधार को बड़े पैमाने पर तैयार करने और योजनाओं के साथ एकीकरण करने में 6 साल से अधिक का समय लगा, जबकि पीपीपी, बीच में कोरोना वायरस महामारी के बावजूद 2 साल में तैयार कर लिया गया। आधार के समान पीपीपी को भी कार्यान्वयन में आने वाली कठिनाइयों और मुद्दों को दूर करने के लिए सुधार की प्रक्रिया से गुजरना पड़ा है। इन परिस्थितियों में हरियाणा ने देश के हर राज्य को आधार से जुड़े लाभों को आगे बढ़ाने का रास्ता दिखाया है।

पीपीपी का प्राथमिक उद्देश्य किसी सरकारी कार्यालय जाए बिना लाभार्थी को घर द्वार पर लाभ प्रदान करना

मुख्यमंत्री ने कहा कि पीपीपी का प्राथमिक उद्देश्य प्रत्येक सरकारी एजेंसी द्वारा अलग से निरीक्षण या सत्यापन की प्रक्रिया पूरी करने या प्रमाण के रूप में दस्तावेज जमा करने या किसी सरकारी कार्यालय जाए बिना लाभार्थी को उसके घर द्वार पर सक्रिय रूप से लाभ प्रदान करना है। पिछले वर्ष में सक्रिय प्रदायगी के लिए कई योजनाओं और सेवाओं को पीपीपी से जोड़ा गया है।

उन्होंने कहा कि पीपीपी में एक परिवार के सभी व्यक्तियों के डेटा तत्वों का संकलन होता है, जो योजनाओं और सेवाओं के लिए पात्रता निर्धारित करने के उद्देश्य से विभिन्न सरकारी एजेंसियों द्वारा अपेक्षित है। प्रत्येक डेटा फील्ड को अनुकूलित और परिभाषित प्रक्रियाओं के माध्यम से सत्यापित किया जाता है। प्रत्येक परिवार का डेटा परिवार के एक वयस्क सदस्य द्वारा हस्ताक्षरित स्व- घोषणा के आधार पर एकत्र किया जाता है और फिर अलग से सत्यापित किया जाता है। पीपीपी में पारिवारिक रिश्ते भी उल्लिखित होते हैं और प्रत्येक परिवार को 8 अंको की पारिवारिक आईडी प्रदान की जाती है।

उन्होंने कहा कि पारिवारिक संरचना को भी हर समय अपडेटेड रखा और अद्यतन किया जाता है, जिसमें जन्म, मृत्यु या विवाह के कारण होने वाले परिवर्तन, जहाँ तक संभव हो इलेक्ट्रॉनिक रूप से स्वचालित रूप से, एकत्रित और अद्यतन किए जाते हैं।

पीपीपी का लाभ – सक्रिय सेवा

मुख्यमंत्री ने कहा कि परिवार पहचान संख्या से कई योजनाओं और सेवाओं के लिए शपथ पत्र या दस्तावेज जमा करने की आवश्यकता नहीं है। उदाहरण के लिए, अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र जारी करने के लिए आवेदक को पहले एक आवेदन के साथ एक हलफनामा जमा करना पड़ता था, जिसे नंबरदार, पटवारी, कानूनगो द्वारा सत्यापित किया जाता था और उसके बाद भौतिक पद्धति में तहसीलदार द्वारा जारी किया जाता था।

25 अगस्त, 2023 तक 6.96 लाख से अधिक एससी प्रमाणपत्र जारी किए गए

श्री मनोहर लाल ने कहा कि अप्रैल, 2022 में पीपीपी के माध्यम से अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र को सक्रिय रूप से जारी करने की शुरुआत के बाद आवेदक को ऑनलाइन ढंग से पंजीकृत मोबाइल नंबर पर ओटीपी का उपयोग करके अपनी पहचान प्रमाणित करनी होती है और उसके बाद एससी प्रमाणपत्र प्रिंट करना होता है। यह योजना शुरू होने के बाद 25 अगस्त, 2023 तक 6.96 लाख से अधिक प्रमाणपत्र जारी किये जा चुके है।

4.69 लाख से अधिक बीसी (ए) और बीसी (बी) प्रमाणपत्र जारी

मुख्यमंत्री ने कहा कि जुलाई 2022 में सेवा के शुभारंभ के बाद से 4.69 लाख से अधिक बीसी (ए) और बीसी (बी) प्रमाणपत्र सक्रिय रूप से जारी किए गए हैं। राज्य सरकार के शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के दौरान आवेदक छात्र को केवल अपना पीपीएन प्रदान करना होगा, जिसके बाद एससी, बीसी (ए) और बीसी (बी) स्थिति स्वचालित रूप से सत्यापित हो जाती है। सभी कॉलेजों में प्रवेश जुलाई 2022 में शुरू किया गया था और चालू शैक्षणिक वर्ष से सभी स्कूलों, विश्वविद्यालय आईटीआई और पॉलिटेक्निक में प्रवेश के लिए यह सुविधा प्रदान की गई है।

बीपीएल लोगों को पीपीपी के तहत राशन, वृद्धावस्था सम्मान पेंशन, दिव्यांग पेंशन जैसी योजना का क्रियान्वयन हुआ संभव

श्री मनोहर लाल ने कहा कि गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) के लोगों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत सब्सिडी वाले राशन का लाभ, वृद्धावस्था सम्मान भत्ता, दिव्यांग पेंशन, मुख्यमंत्री विवाह शगुन योजना, मुख्यमंत्री अंत्योदय परिवार उत्थान योजना आदि जैसी जन कल्याण योजनाओं का विस्तार पीपीपी के कार्यान्वयन के कारण संभव हुआ है।

उन्होंने बताया कि जनवरी 2022 के बाद से कुल 9.67 लाख से अधिक राशन कार्ड जोड़े गए हैं, जिससे बड़ी संख्या में अयोग्य लाभार्थियों को बाहर कर देने से पात्र आबादी के एक बड़े हिस्से को लाभ हुआ है, जिन्हें पहले पीडीएस के लाभ से वंचित किया जा रहा था। उन्होंने कहा कि इसकी तुलना पीपीपी की शुरुआत से पहले की स्थिति से की जा सकती है। 2004 में एक बीपीएल सर्वेक्षण करवाया गया था जिसे जनता के भारी विरोध के कारण रद्द करना पड़ा था। इसके बाद 2007 में हरियाणा पूर्व सैनिक लीग द्वारा एक नया सर्वेक्षण किया गया। जनता के आदेश और मुकदमेबाजी के कारण यह भी पूरा नहीं हो सका। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के समक्ष 2010 की सीडब्ल्यूपी संख्या 1581 दायर की गई, जिसमें पात्र परिवारों को बीपीएल की सूची से हटाने की प्रार्थना की गई थी, जिनकी पहचान 2007 के सर्वेक्षण के आधार पर की गई थी।

श्री मनोहर लाल ने कहा कि याचिका में ऐसे परिवारों के कई उदाहरण उद्धृत किये गये थे। सीडब्ल्यूपी में ऐसे परिवारों के उदाहरण दिए गए थे जिनमें सरकारी कर्मचारी शामिल थे, जिनके पास बड़ी भूमि जोत यो या उच्च आय थी और उन्हें राशन कार्ड जारी किए गए थे। एक ऐसे परिवार का भी उदाहरण दिया गया जो एक संयुक्त परिवार होते हुए भी एक से अधिक राशन कार्ड प्राप्त करने के लिए कई भागों में विभाजित किया गया था। उच्च न्यायालय के निर्देश पर हरियाणा पूर्व सैनिक लीग के खिलाफ कार्रवाई के अलावा कई अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की गई थी।

उन्होंने बताया कि पीपीपी को कई अन्य डेटाबेस को जोड़ने से इन मुद्दों का समाधान करने का प्रयास किया गया है, जो आय या संपत्ति की विशेषताओं को दर्शाते हैं और परिवारों के विभाजन की जांच करने के अलावा अपवर्जन (एक्सक्लूजन) की अवधारणा को प्रस्तुत करते हैं, जिसका उद्देश्य उक्त सिविल रिट में उल्लिखित प्रकृति की धोखाधड़ी को रोकना है। पीपीपी में किसी भी विसंगति को दूर करने के लिए डेटा में प्रगतिशील सुधार की प्रक्रियाएं भी हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि जो पात्र है, ये लाभ प्राप्त करने में सक्षम हो और जो अपात्र है, उनकी पहचान की जाती है और लाभ बंद कर दिए जाते हैं।

वृद्धावस्था सम्मान भत्ता लाभ को पीपीपी से जोड़ा गया

मुख्यमंत्री ने कहा कि वृद्धावस्था सम्मान भत्ता लाभ को सक्रिय रूप से पीपीपी से जोड़ा गया है। सत्यापन प्रक्रिया में 59 से 70 आयु वर्ग के सभी लोगों की पहचान की जा रही है और उन लोगों की भी पहचान की जा रही है जो पिछली प्रक्रिया में छूट गए थे और भत्ता शुरू करने के लिए उनकी सहमति ली जा रही है। यह प्रक्रिया सितंबर 2023 तक पूरी होने की संभावना है। हालांकि, जब भी किसी लाभार्थी की पहचान की जाती है तो सामग्री की सहमति और पेंशन शुरू करने के लिए डेटा को सामाजिक न्याय, अधिकारिता कल्याण और एससी/ बीसी विभाग और अंत्योदय (सेवा) विभाग को भेज दिया जाता है।

25 अगस्त, 2023 तक 1,03,828 लाभार्थियों को वृद्धावस्था सम्मान पेंशन हुई प्राप्त

श्री मनोहर लाल ने बताया कि 25 अगस्त, 2023 तक 1,03,828 लाभार्थियों को सक्रिय पद्धति से वृद्धावस्था सम्मान भत्ता प्राप्त हुआ है और हाल ही में अन्य 90,000 लाभार्थियों का डेटा सहमति लेने के लिए पीपीपी द्वारा सेवा को भेज दिया गया है। सक्रिय स्कीम की शुरुआत के बाद से गलत सत्यापन के कारण सहमति से इनकार करने वालों की संख्या 18,871 है, जो कुल का केवल 10.1 प्रतिशत है। परिवारों द्वारा पीपीपी में स्व घोषित डेटा के कारण 63,353 लाभार्थियों का वृद्धावस्था सम्मान भत्ता रोक दिया गया। सत्यापन के बाद 44,050 लाभार्थियों को भत्ता बहाल कर दिया गया है। इस प्रकार केवल 19,303 लाभार्थियों का पीपीपी के कारण वृद्धावस्था सम्मान भत्ता रोका गया है, जिनमें से 17,561 मामले ऐसे हैं, जहां भारत के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा ऑनलाइन बनाए गए मृत्यु के रजिस्टर के डेटा के आधार पर लाभार्थी को निर्णायक रूप से मृत साबित कर दिया गया है। पहचान में त्रुटियों को और कम करने और सक्रिय प्रदायगी प्रक्रिया के उचित संचालन को सुनिश्चित करने के प्रयास लगातार जारी हैं।

उन्होंने कहा कि इसकी तुलना फिर से उस स्थिति से की जा सकती है जो पहले मौजूद थी। वृद्धावस्था सम्मान भत्ता के मामले में भी 2017 की सीडब्ल्यूपी नं. 801 दायर की गई थी जिसमे लाभार्थियों की पहचान गलत ढंग से करने का आरोप लगाया गया था और  भत्ता  राशि की वसूली के अलावा 2010 से गलत तरीके से वृद्धावस्था सम्मान भत्ता स्वीकृत करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी। मामला फिलहाल अदालत में विचाराधीन है।

उन्होंने कहा कि पीपीपी योजना के कार्यान्वयन से कई और नियमित जांच करने का प्रयास किया जाता है ताकि यदि किसी लाभार्थी की गलत पहचान हो भी जाए, तो भी सहमति प्राप्त करने के समय उसकी पहचान की जा सके।

चालू शैक्षणिक वर्ष में पीपीपी डाटा के आधार पर निजी व सरकारी स्कूलों में 3.52 लाख नए प्रवेश हुए

श्री मनोहर लाल ने कहा कि चालू शैक्षणिक वर्ष 2023-24 में पीपीपी डेटा के आधार पर निजी और सरकारी स्कूलों में 3.52 लाख नए प्रवेश हुए हैं। इसी प्रकार उच्च शिक्षा विभाग के ऑनलाइन प्रवेश पोर्टल के माध्यम से पीपीपी डेटा का उपयोग करके कॉलेजों में 1.28 लाख दाखिले किए गए है। औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) में प्रवेश अभी भी चल रहा है और अब तक कौशल विकास और औद्योगिक प्रशिक्षण विभाग के ऑनलाइन प्रवेश पोर्टल पर आईटीआई में प्रवेश के लिए पीपीपी का उपयोग करते हुए 1.01 लाख पंजीकरण हुए हैं, जिनमें से 61,405 का दाखिला हो चुका है। पिछले वर्ष पीपीपी आधार पर तकनीकी शिक्षण संस्थानों में 37,531 प्रवेश किये गए और इस वर्ष प्रवेश की प्रक्रिया चल रही है। गत वर्ष पीपीपी डाटा के आधार पर राज्य सरकार द्वारा वित्तपोषित विश्वविद्यालयों में 31,071 प्रवेश किये किये गए और इस वर्ष की प्रवेश प्रक्रिया चल रही है। पी पी पी डाटा के कारण प्रवेश से वंचित करने का कोई भी मामला सरकार के ध्यान में नहीं आया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा परिवार पहचान अधिनियम सितंबर 2021 में लागू हुआ है। एचपीपीए अधिनियम एक व्यापक कानून है जो गोपनीयता और डेटा विश्वसनीयता जैसे मौलिक मुद्दों के साथ-साथ डेटा रिपॉजिटरी, डेटा फील्ड जो कि पीपीपी में संग्रहीत किया जा सकता है, डेटा अपडेशन के लिए तंत्र आदि जैसे परिचालन क्षेत्र के लिए कानूनी सिद्धांतों को स्पष्ट रूप से बताता है। आधार के कार्यान्वयन के संदर्भ में निजता के अधिकार पर यह के. एस. पुट्टुस्वामी बनाम भारत संघ के मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित कानूनी संरचना के अनुपालन में है। सिविल रिट याचिकाओं के माध्यम से पीपीपी के कार्यान्वयन की दो चुनौतियों को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया गया है।

श्री मनोहर लाल ने कहा कि पीपीपी में ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से एक मजबूत सुधार और शिकायत निवारण तंत्र है। पीपीएन के संबंध में नागरिकों द्वारा सामना किए जाने वाले सामान्य मुद्दों में मुख्य रूप से व्यक्तिगत डेटा फ़ील्ड जैसे कि माता-पिता या पति या पत्नी का नाम, मोबाइल नंबर स्थिति आदि में सुधार, आय या जन्मतिथि जैसे फील्ड के लिए अपूर्ण या गलत डेटा सत्यापन, मुख्य रूप से वृद्धावस्था सम्मान पेंशन और अन्य सामाजिक सुरक्षा पेंशन और राशन कार्ड की सेवा के लाभ से वंचित करना शामिल है। पीपीएन में शिकायतों का निपटान और प्रत्येक डेटा फील्ड का सत्यापन एक विस्तृत और अनुकूलित प्रक्रिया के माध्यम से किया जाता है।

जुलाई 2021 से अब तक सुधार मॉड्यूल में 52.98 लाख अनुरोध प्राप्त हुए, जिनमें से 46.75 लाख का समाधान किया गया

मुख्यमंत्री ने बताया कि डेटा मुद्दों का समाधान करने के लिए विस्तृत क्षेत्र और मानक संचालन प्रक्रियाएं (एसओपी) तैयार की गई है। डेटा क्षेत्रों में डेटा अपडेशन और सुधार के लिए सुधार मॉड्यूल और शिकायत मॉड्यूल के माध्यम से सेवा से इनकार के मामले में शिकायत उठाने के लिए इन दोनों के लिए, नागरिक सीधे स्वयं या पोर्टल पर सहायता प्राप्त मोड पर अनुरोध कर सकता है। जुलाई 2021 से अब तक सुधार मॉड्यूल में 52,98,352 अनुरोध प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 46,75,211 का समाधान किया गया है। इसी प्रकार, शिकायत मॉड्यूल में जून 2022 से अब तक 10,07,210 शिकायत प्राप्त हुई हैं, जिनमें से 9,62,419 का समाधान किया जा चुका है।

श्री मनोहर लाल ने कहा कि जुलाई 2021 से 26 अगस्त तक जाति श्रेणी के लिए 77,111 सुधार अनुरोध प्राप्त हुए थे, जिनमें से 74,290 का समाधान कर दिया गया है और 2191 अनुरोध लंबित है। मार्क एस अलाइव से संबंधित जुलाई 2021 से 26 अगस्त तक 7,583 सुधार अनुरोध प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 7,423 मामलों का निपटारा किया जा चुका है और केवल 160 अनुरोध लंबित है।

इसी प्रकार, पति/पत्नी के नाम में सुधार के मामले में, इसी अवधि में 16,362 सुधार अनुरोध प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 16,290 मामलों का निपटारा कर दिया गया है और 272 मामले लंबित है। परिवार के मुखिया के आधार नंबर से जुड़े मोबाइल नंबर के आधार पर मोबाइल नंबर का सुधार स्वचालित मोड पर किया जाता है। मोबाइल नंबर सुधार के 11,56,222 मामले प्राप्त हुए हैं, जिनमें से सभी का समाधान कर दिया गया है।

फील्ड ऑपरेटरों द्वारा कुछ हेराफेरी की गई है, जिनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा रही है

श्री मनोहर लाल ने कहा कि सदस्य जोड़ें सुधार सुविधा में फील्ड ऑपरेटरों द्वारा कुछ हेराफेरी की गई है और ऐसे ऑपरेटरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा रही है। इस तरह की हेरा फेरी को रोकने के लिए “सदस्य जोड़ें” सुधार सुविधा के लिए परिभाषित प्रक्रिया में सुधार किए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि प्रदायगी के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र में सत्यापन प्रक्रियाएं पूरी होने वाली हैं। अपने स्व-घोषणा मे किसी विशिष्ट जाति श्रेणी की स्थिति (36.42 लाख) का दावा करने वाले सभी परिवारों में से 89.5 प्रतिशत का सत्यापन पूरा हो चुका है। सभी व्यक्तियों (2.78 करोड़ नागरिक) में से 90.7 प्रतिशत की जन्मतिथि का सत्यापन पूरा हो चुका है। पीपीपी में दर्ज सभी परिवारों (68.29 लाख) में से 97.26 की आय का सत्यापन पूरा हो चुका है। व्यवसाय सत्यापन अभी भी चल रहा है और अक्टूबर 2023 तक पूरा होने की संभावना है।

उन्होंने कहा कि पीपीपी को अपने संसाधनों के माध्यम से डिजाइन विकसित और कार्यान्वित किया गया है और इस उद्देश्य के लिए किसी या कंपनी को नियुक्त नहीं किया गया है। पीपीपी के कार्यान्वयन पर व्यय न्यूनतम रहा है और बड़े पैमाने पर सरकारी कर्मचारियों पर किया गया है, जिन्हें क्षेत्र में गठित 19,825 स्थानीय समितियां और 1082 सेक्टर समितियों में टीम लीडर के रूप में शामिल किया गया है। टीम  लीडर और स्थानीय ऑपरेटर के अलावा स्थानीय समितियां और सेक्टर समितियों के अन्य सदस्यों को कोई पारिश्रमिक प्रदान नहीं किया जाता है।

उन्होंने बताया कि बजट का बड़ा हिस्सा सरकारी कर्मचारियों और विभिन्न कंप्यूटर ऑपरेटर्स और विभिन्न सत्यापन जिम्मेदारियां वाले सरकारी अधिकारियों के भुगतान पर खर्च किया गया था। वित्त वर्ष 2022-23 में 47.82 करोड़ रुपये के कुल खर्च में से 21.97 करोड़ रुपये सरकारी कर्मचारियों को सत्यापन के लिए, 3.16 करोड़ रुपये स्थानीय ऑपरेटरों को और 18.54 लाख रुपये आशा कार्यकर्ताओं को दिए गए। यह अतिरिक्त उपायुक्तों के कार्यालय में कर्मचारियों को वेतन भुगतान के अलावा है, जिन्हें क्षेत्र में पीपीपी के प्रशासन के लिए जिला नागरिक संसाधन सूचना अधिकारी के रूप में नामित किया गया है।

श्री मनोहर लाल ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर आधार और यूपीआई जैसी अन्य बड़े पैमाने की डिजिटल पहलों की तरह, राज्य के लोगों को अपेक्षित लाभ पहुंचाने के लिए पीपीपी तंत्र लगातार विकसित हो रहा है।

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