सरकार किन्तु-परन्तु की बजाए 35400 वेतनमान लागू करे : सर्व कर्मचारी संघ

फतेहाबाद ,26 जुलाई। हरियाणा मिनिस्टीरियल स्टाफ एसोसिएशन सम्बन्धित सर्व कर्मचारी संघ के आह्वान पर लगातार 15 वें दिन लिपिकों ने हड़ताल कर जिला कन्वीनर शिवकुमार श्योराण की अध्यक्षता में धरना दिया। सर्व कर्मचारी संघ के जिला प्रधान भूप सिंह भडोलावाली,सचिव सुरजीत दूसाद, फतेहाबाद के प्रधान राजपाल ने कहा लिपिक वर्ग की 35400 ₹ वेतनमान की जायज मांग मानते हुए भी सरकार बार बार बातचीत का एकतरफा ड्रामा कर रही है। उन्होंने पुरजोर मांग की सरकार बिना किन्तु परन्तु किए बिना देरी से तुरन्त 35400 वेतनमान लागू करने की नोटिफिकेशन जारी करें। कर्मचारियों को सम्बोधित करते हुए कहा प्रदेश का लिपिक वर्ग इस मांग को लेकर 2012 से सड़कों पर उतर आंदोलन कर रहा है। पूर्व सरकार द्वारा मंत्रीमंडल में मंजूरी के बाद भी वर्तमान सरकार ने 35400 वेतनमान देने का नोटिफिकेशन जारी नही करने से कर्मचारियों में भारी रोष है। उन्होंने कहा सरकार लगातार बड़े आंदोलन को दरकिनार कर रही है। उन्होंने बताया लिपिकों को 35400 वेतनमान देने का वादा भाजपा ने सत्ता में आने से अपने घोषणा पत्र में लिखा था। परन्तु आज सरकार वादाखिलाफी कर रही है।

हरियाणा मिनिस्टीरियल स्टाफ एसोसिएशन के जिला कन्वीनर शिवकुमार श्योराण ने कहा सरकार लिपिक वर्ग में फूट डालने की साज़िश रचने की बजाए 35400 वेतनमान देने की मांग लागू करें। श्री श्योराण ने प्रदेश के सभी लिपिकीय संगठनों को आह्वान करते हुए कहा एकता और सांझा संघर्ष के बल पर ही 35400 वेतनमान देने की मांग को हासिल किया जा सकता है। उन्होंने कहा वर्तमान हालात में सरकार की साज़िश में फंसने की बजाए आन्दोलन व हड़़ताल अकेले करने की बजाए सभी विभागों के फील्ड व हैड आफिस के मिनिस्टीरियल स्टाफ के संगठनों को सांझा मंच पर सांझा आंदोलन करना चाहिए। उन्होंने कहा लिपिक वर्ग के साथ वेतनमान में लंबे समय से भेदभाव हो रहा है । इस अन्याय व भेदभाव से सांझा संघर्ष ही निजात दिला सकता है। उन्होंने कहा सरकार की फूट डालने की नीति से कर्मचारी सावधान रहे।इस मौके पर बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान का० देवीलाल के अलावा कर्मचारी नेता इन्द्र घासी, रत्न जांगड़ा,अशोक सिहाग, सतबीर सिंह, सुबेसिंह धनाणा,,रमेश तुशामड़, बेगराज, वीरेंद्र कुलेरी, जोगिंदर रेढू, इन्द्र पाल सहारण आदि नेताओं नेताओं ने सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों की जमकर आलोचना की।

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