भारत सारथी/ कौशिक 

नारनौल। सांस्कृतिक अहीरवाल के निदेशक सत्यव्रत शास्त्री मासिक बैठक में उपस्थित कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि हमने अपनी सांस्कृतिक यात्रा को अहीरवाल के 1100 गांवों में पहुंचा दिया है। इन 1100 गांवों में ऐतिहासिक इतिहास संकलन के लिए सहयोग करने वाले उन लोगों ने आगे तक के सांस्कृतिक यात्रा को सहयोग करने का संकल्प दोहराया है ।

सत्यव्रत शास्त्री ने कहा जिन जिन गांवों में आप और हम सब जाते हैं वहां इस विषय को लेकर लोगों में कौतूहल और आश्चर्य का भाव दिखाई देता है कि आज के इस आपाधापी के जीवन में समाज के लिए, संस्कृति के लिए बात करने वाले लोग कहां से आ गए । न कहीं चंदे की बात करते न ही कहीं सहयोग की बात करते और केवल अपनी परंपराओं के प्रति अपने संस्कृति के प्रति लगाव पैदा करने के लिए अपने ही गांव की पुरानी यादों को यादगार संग्रहित करने के लिए प्रेरित करते हैं। बहुत से लोग इस विषय की चिंता भी करते हैं कि आखिर समय तो मिल सकता है लेकिन समय के साथ गांव गांव जाने के लिए साधन और धन की बड़ी आवश्यकता होती है इस सब की पूर्ति कैसे हो सकती है। 

श्री शास्त्री ने कहा आप और हम सब जानते हैं हम सबका जीवन का संकल्प इस सांस्कृतिक अहीरवाल को विश्व के मानचित्र पर इस प्रकार प्रदर्शित करना कि दुनिया का हर व्यक्ति यहां की मिट्टी की सुगंध को सूंघने के लिए लालायित हो जाए। मासिक बैठक में उपस्थित सभी ने एक स्वर से इस बात को स्वीकार किया इस ऐतिहासिक महत्व के काम को करके समाज के साथ-साथ हमारे प्रति भी लोगों की धारणाएं सकारात्मक हो रही है । इस संगठन के साथ जुडे 10000 लोग अहीरवाल को अपना घर मानकर इसके पुराने वैभव को स्थापित करने के लिए प्रयत्नशील है । कुल 2300 गांवों में  पहुंचकर हर गांव का इतिहास लेखन का काम को पूरा करेगा।बैठक में सुण्डाराम यादव  पाटन ,रामकरण यादव कोटपूतली

ओमप्रकाश रावत ना़ंगल चौधरी हंसराज गुर्जर निजामपुर सांवतसि़ह नारनौल, वेदप्रकाश आर्य नाहड़, सुरेन्द्र  व विजयपाल कनीना, प्रदीप सराय अटेली,यशवीर पटौदी,सतीश खेड़ा महेंद्रगढ़, मनीष शर्मा सुराणी सिहमा उपस्थित रहे।

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