·        खिलाड़ियों के समर्थन में जंतर-मंतर पहुंचे सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा खिलाड़ियों की अन्य मांगों को भी माना जाए

·        सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच हो कि आरोपी को संरक्षण देने और बचाने में कौन-कौन शामिल- दीपेंद्र हुड्डा

·        खेल मंत्री देश को स्पष्टीकरण दें कि वो खिलाड़ियों को न्याय दिलाने में सक्षम क्यों नहीं हुए – दीपेंद्र हुड्डा

·        भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष पीटी ऊषा को अपने पद पर रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं- दीपेंद्र हुड्डा

चंडीगढ़, 28 अप्रैल। सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हुए कोर्ट का धन्यवाद किया और कहा कि दिल्ली पुलिस को इस आपराधिक मामले की एफआईआर दर्ज करने के आदेश देना न्याय की तरफ बढ़ा पहला कदम है। उन्होंने आरोपी को हर पद से हटाने की खिलाड़ियों की मांग का भी समर्थन किया और कहा कि खिलाड़ियों की अन्य मांगों को भी माना जाए। दीपेंद्र हुड्डा दिल्ली के जंतर मंतर स्थित धरनास्थल पर खिलाड़ियों के समर्थन में पहुंचे और कहा कि न्याय के लिये तीन महीने बाद फिर से खिलाड़ियों को सड़कों पर आना पड़ा। इससे सरकार की नीयत पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा होता है। सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि आरोपी को बचाने में पूरा सिस्टम लग गया है। जो लोग अन्याय को ढंकने में आरोपी को बचाने में आज चुप हैं या उस अन्याय के साथ खड़े हैं वो भी दोषी हैं। ये खिलाड़ी हैं, पीछे हटने वाले नहीं इन्होंने तो मैट पर मेडल जीतने के लिये दुनिया को झुका दिया। बड़े खेद की बात है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में जो खिलाड़ी स्टेडियम में प्रदर्शन करते थे और उनके प्रदर्शन से दुनिया में तिरंगा फहराया जाता था, राष्ट्रगान की धुन बजती थी, सारा देश तालियां बजाता था; क्या वजह है कि आज उनको मजबूर होकर जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करना पड़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक बेटियों को न्याय नहीं मिलेगा न तो हम चैन से सोयेंगे न ही इस सरकार को चैन से सोने देंगे। बेटियों को न्याय दिलाने के लिये कोई भी कुर्बानी देनी पड़ेगी तो हम पीछे नहीं हटेंगे।

भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष पीटी ऊषा द्वारा खिलाड़ियों पर अनुशासनहीनता के आरोपों पर गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि आज सुप्रीम कोर्ट ने दर्शा दिया कि खिलाड़ी अनुशासनहीनता नहीं कर रहे थे बल्कि न्याय के लिये अपने अधिकारों का प्रयोग कर रहे थे। देश को उम्मीद थी कि पीटी ऊषा देश के खिलाड़ियों के साथ खड़ी होंगी लेकिन वे आरोपी के साथ खड़ी हो गयीं। पीटी ऊषा ने देश को और देश के खिलाड़ियों को निराश किया है। ऐसे में भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष पीटी ऊषा को अपने पद पर रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं रहा।

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि आरोपी व्यक्ति को बचाने के प्रयास की बात सामने आ रही है। इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि वो कौन कौन लोग थे जिन्होंने आरोपी व्यक्ति को संरक्षण देने का प्रयास किया। सरकार के अंदर किस स्तर तक तार जुड़े हुए थे जो न्याय की प्रक्रिया को बाधित करने का काम कर रहे थे। ये बात सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच के माध्यम से देश के सामने आनी चाहिए। उन्होंने कहा कि न्याय में विलंब और सरकारी तंत्र द्वारा आरोपी को संरक्षण देने की बात की नैतिक जिम्मेदारी से खेल मंत्री भी बच नहीं सकते। उनको भी देश के सामने आकर बताना चाहिए कि इन खिलाड़ियों को न्याय दिलाने में खेल मंत्री भी सक्षम क्यों नहीं हुए।

उन्होंने कहा कि खिलाड़ी की न कोई जाति होती है न धर्म होता है न ही प्रदेश होता है, खिलाड़ी देश के होते हैं। उन्हें किसी धर्म, जाति या दलगत राजनीति से देखने की बात नहीं होनी चाहिए। खुद के गुनाहों को छुपाने के लिये इस तरह की बात करना उससे भी बड़ा अन्याय है। खिलाड़ियों का इससे ज्यादा अपमान देश में पहले कभी नहीं हुआ। देश में अगर ऐसा वातावरण बनाया जायेगा तो कौन माता-पिता अपने बच्चों को खेल की तरफ प्रोत्साहित करेगा।

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि पिछले 4 ओलंपिक में सबसे ज्यादा मेडल हमारे पहलवानों ने जीते हैं। ये वही खिलाड़ी है जिन्होंने ओलंपिक व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तिरंगे का मान बढ़ाया है। 3 महीने पहले कुश्ती संघ अध्यक्ष पर आरोप लगने के बाद से न्याय माँग रहे खिलाड़ियों की इज्जत को दलगत राजनीति की दृष्टि से कैसे देखा जा सकता है? दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि आज बेटियाँ न्याय मांग रही हैं, न्याय से ज्यादा कुछ नहीं मांग रही। सरकार धर्म, जाति और दलगत राजनीति से ऊपर उठकर कार्रवाई करे।

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