-ग्रामीणों की मांग को गंभीरता से नहीं ले रहे सरकार व प्रशासन : कोहली – – ग्रामीणों को दृढ़ निश्चय जब तक सडक़ मार्ग नहीं मिल जाता धरने से नहीं हिलेंगे – हिसार 22 अप्रैल : गांव तलवंडी राणा के बाई पास पर बरवाला रोड बचाओ संघर्ष समिति के धरने को 75 दिन हो गए हैं। इस दौरान अनेक राजनीतिक, सामाजिक, खाप, पंचायत के प्रतिनिधि व अनेक गणमान्य व्यक्ति धरने को अपना समर्थन पहुंचे हैं और लगातार लोग समर्थन देने आ रहे हैं। फसल कटाई का सीजन होने के बावजूद धरने पर ग्रामीणों की रिकॉर्ड मौजूदगी है। समिति के अध्यक्ष एडवोकेट ओ.पी. कोहली ने बताया कि सरकार व प्रशासन चाहे हमें स्थायी सडक़ मार्ग देने में कितनी ही देरी क्यों न करे हमारा धरना हर हाल में जारी रहेगा। कोहली ने बताया कि धरने को ढाई माह का समय हो चुका है इतने समय में अगर सरकार चाहती तो दो-दो सडक़ बना कर दे सकती थी लेकिन सरकार ग्रामीणों की मांग को अनदेखा कर रही है और सडक़ से जुड़ी फाइलों व कार्यवाही को आगे बढ़ाने में देरी की जा रही है। जिस प्रकार से सरकार ने रातों-रात वर्तमान वैकल्पिक सडक़ मार्ग को उखाड़ दिया था उसी तरह यदि सरकार की इच्छा शक्ति होती और वह ग्रामीणों की मुश्किलों को समझती तो उतनी ही तेजी से सडक़ बन भी सकती थी। एयरपोर्ट के निर्माण में जो भी बाधाएं आ रही हैं उन्हें तुरंत प्रभाव से दूर किया जा रहा है चाहे वह जमीन एक्वायर करने की हो, वन विभाग की प्रमिशन की या अन्य कोई अड़चन उसे तुरंत दूर कर एयरपोर्ट का काम पूरी तेजी गति से बिना व्यवधान के किया जा रहा है। जिस प्रकार से एयरपोर्ट के काम में तेजी दिखाई जा रही है उसी प्रकार से ग्रामीणों को सडक़ भी दी जानी चाहिए। सरकार कभी किसी विभाग और कभी किसी विभाग की प्रमिशन का बहाना बनाकर ग्रामीणों को अंधेरे में रख रही है। एडवोकेट ओ.पी. कोहली ने बताया कि वर्तमान रोड बंद हो जाने से हिसार शहर की दूरी बढ़ जाने से बरवाला व उकलाना के दर्जनों गांवों के छात्र-छात्राएं बस पास की सुविधा से वंचित हो गए हैं क्योंकि उनकी दूरी बस पास की तय सीमा से अधिक हो गई है जिसके चलते उनकी शिक्षा भी बेहद प्रभावित हो रही है और उन्हें सामान्य किराया भरकर शिक्षण संस्थानों तक जाना पड़ रहा है। जो छात्र-छात्राएं पहले अपने शिक्षण संस्थानों पर स्कूटी व साइकिल इत्यादि से चले जाया करते थे उन्होंने अब कई किलोमीटर घूमकर कई वाहन बदलकर व भारी किराया अदा करके अपने शिक्षण संस्थानों तक पहुंचना पड़ रहा है। इस रोड पर दो युनिवर्सिटी, दो कॉलेज व दर्जन भर स्कूल पड़ते हैं। वहीं इस रोड पर अनेक गोदाम, फैक्टरी व उद्योग धंधे स्थापित हैं। रोड बंद हो जाने से ये भी बेहद प्रभावित हुए हैं और बाजार, काम धंधे बर्बाद हो चुके हैं। ग्लोबल सिटी के लोगों को भी सडक़ मार्ग बंद होने से अनेक मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। कोहली ने कहा कि सरकार को वैकल्पिक मार्ग बंद करने से पहले ही ग्रामीणों के लिए स्थायी सडक़ का निर्माण करके देना चाहिए था लेकिन 75 दिनों से धरने प्रदर्शन, सरकार के पक्ष व विपक्ष के अनेक विधायकों द्वारा विधानसभा में आवाज उठाने तथा धरने पर पक्ष व विपक्ष के अनेक बड़े नेताओं के पहुंचने के बाद भी सरकार स्थायी सडक़ मार्ग के काम में कोई दिलचस्पी व तेजी नहीं दिखा रही है। कोहली ने कहा कि चाहे सरकार इसमें कितनी ही देरी क्यों न करे हमें जब तक स्थायी सडक़ नहीं मिल जाती हम धरने से नहीं हटेंगे। धरने पर मुख्य रूप से मनोज राठी आम आदमी पार्टी, दलबीर किरमारा, राजेंद्र सूरा, भूपेन्द्र गंगवा, राजू खेदड़, महिला किसान नेता अंजू बिठमड़ा, कामरेड नृसिंह, धर्मवीर गोयत वरिष्ठ कांग्रेसी नेता, किसान नेता सुरेश कौथ, भारतीय किसान यूनियन जिला अध्यक्ष शमशेर सिंह नंबरदार, भाकियू अंबावता प्रदेशाध्यक्ष दिलबाग हुड्डा, सरपंच प्रतिनितध जुगलान दलबीर, प्रदीप भयाण सरपंच प्रतिनिधि, सरपंच दयाल सिंह, देवेंद्र सरपचं प्रतिनिधि बीड़ बबरान, पूर्व सरपंच धर्मपाल बागड़ी, पूर्व सरपंच बहबलपुर निहाल सिंह, सरपंच धिकताना कृष्ण यादव, नंबरदार राधेश्याम, नंबरदार उमेद सिंह, पूर्व सरपंच दीपक बुगाना, कुरड़ाराम नंबरदार बहबलपुर, दिलबाग चौपड़ा, प्रेम भाटिया, बलबीर ज्याणी, ठंडू राम ग्रोवर, रामस्वरूप, कर्मचारी नेता छबीलदास, भगवानदास गुरी, मनीराम जांगड़ा, रामजीलाल, मांगेराम, कमला, बिमला, अंजू भाटिया, निर्मला सहित फसल कटाई का सीजन होने के बाजवूद भारी संख्या में महिलाएं, पुरुष, बच्चे, बुुजुर्ग व युवा मौजूद रहे। Post navigation किसी के जैसा बनने की कोशिश नहीं , मेरा लिखने का अंदाज अलग : मुनीषा राजपाल 24 अप्रैल – राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस……… महिलाओं की राजनीति में बाधा बनते सरपंच पति