डॉ मनोज कुमार तिवारी 
वरिष्ठ परामर्शदाता , ए आर टी सेंटर, एसएस हॉस्पिटल, आईएमएस, बीएचयू वाराणसी

परिवार समाज की और समाज राष्ट्र की महत्वपूर्ण इकाई है। परिवार के निर्माण में शादी एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसके द्वारा समाज एक जोड़े को पति-पत्नी के रूप में स्वीकृति प्रदान करता है। विवाह केवल दो व्यक्तियों नहीं अपितु परिवारों और समाज का भी मिलन होता है। शादी के माध्यम से दो संस्कारों का संगम होता है। अच्छे समाज के निर्माण के लिए लोगों के स्वस्थ मानसिकता का होना आवश्यक है, स्वस्थ मानसिकता के दंपति से परिवार और फिर स्वस्थ समाज का निर्माण होता है। आजकल भावनात्मक मूल्य में कमी के कारण युवा दंपतियों के बीच प्रेम में कमी देखी जा रही है तथा लोगों में रिश्तो के बजाय पैसों के प्रति अधिक झुकाव देखने को मिल रहा है। आज का युवा अपने अहम् को सर्वोपरि रखने के कारण अपनी एवं अपने परिवार की खुशियों को दांव पर लगा रहा है।

भारत में तलाक की दर दुनिया के अन्य देशों की अपेक्षा बहुत कम था किंतु विगत कुछ वर्षों में भारत में तलाक की दर में 50 से 60% की तीव्र वृद्धि देखी जा रही है यद्यपि की अभी भी भारत में तलाक की दर 1% से भी कम है। ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा शहरी क्षेत्रों में तलाक की दर अधिक है। एक अनुमान के अनुसार भारत में लगभग 23.43 लाख तलाकशुदा महिलाएं हैं जिसमें 1.96 महिलाएं केरल में रहती हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार एवं राजस्थान में तलाक की दर कम है। भारत में तलाक की दर कम होने के पीछे यहां की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है जिसमें भौतिक विकास की अपेक्षा आध्यात्मिक विकास पर अधिक बल दिया जाता है।

समाज में बढ़ रहे विवाह विच्छेदन/तलाक के अनेक कारण हैं जिसको समझना और उसे निवारित करना नितांत आवश्यक है अन्यथा भविष्य में विवाह जैसी प्रक्रिया जिसके माध्यम से स्वस्थ समाज एवं राष्ट्र का निर्माण होता है के लिए खतरा उत्पन्न हो जाएगा। विवाह विच्छेदन के लिए युवक-युवतियों की अपेक्षाओं में बढ़ोतरी के साथ-साथ परिवार एवं समाज की भी भूमिका महत्वपूर्ण होती है।

युवक पक्ष के कारण:

जीवनसाथी से अत्यधिक अपेक्षा ………….. शारीरिक अक्षमता ……………..अतीत के प्रेम प्रसंग……………शादी के बाद भी दहेज की मांग करना …………….विवाहेत्तर संबंध…………..पत्नी का शारीरिक उत्पीड़न करना……………पत्नी का मानसिक उत्पीड़न करना…………. यौन दुर्बलता…………….महत्वाकांक्षा …………….समायोजन की क्षमता की कमी …………..अहम् को सर्वोपरि मानना

हर छोटी- छोटी बात को तिल का ताड़ बनाना …………….नशा करना …………….कन्या पक्ष के लोगों की बेईज्जती करना ……….अपने उत्तरदायित्व के प्रति लापरवाही……………पत्नी को आदर और प्रेम न देना………….पत्नी को काम की मशीन समझना ……….शादी में गलत सूचनाएं साझा करना …………..पत्नी की बात बिल्कुल न मानना ………… शारीरक संबंध की अत्यधिक मांग करना या उसके प्रति अनिच्छा रखना ……………. मानसिक अस्वस्थता ……………अपने को कन्या पक्ष से श्रेष्ठ समझना

युवती के पक्ष के कारण:-

पति से अत्यधिक अपेक्षा रखना ……………मायके वालों का अत्यधिक हस्ताक्षेप …………घर के काम को न करना ……….बच्चे की परवरिश न करना ………….बड़ों का आदर सम्मान न करना ………….ससुराल को अपना न मानना …………..पति पर एकाधिकार की प्रबल भावना …………….शादी में गलत सूचना साझा करना …………….शारीरिक अक्षमता ……………..रोग ग्रस्तता …..शारीरिक संबंध में असंतुष्टी महसूस करना …………..पति व ससुराल के लोगों की बात न मानना …………..बच्चे न होना ……….विवाहेत्तर संबंध…………..महत्वाकांक्षा…. ………स्वेच्छाचारिता …………..मानसिक अस्वस्थता…………..परंपराओं का निर्वहन न करना

सामान्य कारण:-

समानता के अवसरों का अतार्किक उपयोग ………….. …धार्मिक छूट…………… कानूनी छूट ………….. शहरीकरण …….. औद्योगिकरण …………..भौगोलिक गतिशीलता में वृद्धि ………….सामाजिक गतिशीलता में वृद्धि ………….भावनात्मकता की कमी ……….. व्यक्तिवादी सोच का बढ़ना …………. परवरिश में कमी ……………. आर्थिक आत्मनिर्भरता …………… व्यक्तिगत स्वतंत्रता का दुरुपयोग …………… एकांकी परिवार का प्रचलन ……………फिजूलखर्ची की आदत …………….. फिल्म एवं धारावाहिक में वैवाहिक जीवन का अवास्तविक चित्रण

निवारण के उपाय:-

महिला और पुरुष दोनों को धैर्य रखना चाहिए …………… पति- पत्नी दोनों जिम्मेदारियों को साझा उत्तरदायित्व समझें …………… पत्नी यदि जॉब करती हो तो पति को घरेलू कार्यों में सहयोग करना चाहिए ………….. ससुराल की अन्य महिलाओं (सास, ननंद व अन्य) को सामंजस्य बैठा कर रखना चाहिए …………… घर की बहू को भी उचित सहभागिता व सम्मान मिलना चाहिए ……….. परिवार वालों को युवक एवं युवतियों को सफल वैवाहिक जीवन के उपायों से अवगत कराना चाहिए …………. शादी से पूर्व वर एवं कन्या को वैवाहिक जीवन की वास्तविक स्थितियों से अवगत कराया जाना चाहिए …………… विवाह पूर्व परामर्श को अनिवार्य किया जाना चाहिए …………. फिल्म व धारावाहिक में वैवाहिक जीवन के अवास्तविक चित्रण पर रोक लगाया जाय. ……..वैवाहिक जीवन में समायोजन की क्षमता के विकास हेतु प्रशिक्षण की सुबिधा उपलब्ध हो ……………. वैवाहिक जीवन के बारे में जानकारी प्रदान करने हेतु इससे पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए ।…………… पति-पत्नी में आपसी मतभेदों को संवाद के द्वारा दूर किया जाना चाहिए

यद्यपि की विवाह विच्छेद या तलाक अनेक की स्थितियों में अनिवार्य रूप से अंतिम विकल्प होता है इसी कारण धार्मिक एवं कानूनन दोनों रूप से इसे मान्यता प्राप्त है किंतु वर्तमान समय में इसका अनेक रूपों में दुरुपयोग भी किया जा रहा है यह एक व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक तथा कानूनी समस्या बनता जा रहा है। तलाक का दुष्प्रभाव न केवल पति-पत्नी पर पड़ता है बल्कि इसका खामियाजा सबसे अधिक बच्चों को भुगतना पड़ता है। इसे रोकने के लिए व्यक्ति, परिवार, समाज, धर्म, कानून, सरकार एवं गैर सरकारी संस्थाओं को संयुक्त रूप से प्रयास करने की आवश्यकता है तभी इस विकराल होती समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है।

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