लोकसभा सेक्रिटेरियट ने नोटिफिकेशन जारी किया सेशंस कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देना होगा एक ओर मामले में राहुल गांधी के खिलाफ कार्रवाई की मांग दो साल पुराने इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने मांगा NCPCR से जवाब सत्तारूढ़ गिरोह का असली चेहरा बेनक़ाब क्या अपील से पहले लोकसभा अध्यक्ष को कार्रवाई करने का अधिकार है? अशोक कुमार कौशिक कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को शुक्रवार को बड़ा झटका लगा है. उनकी संसद सदस्यता रद्द कर दी गई है. वह केरल के वायनाड से सांसद थे. वह आज संसद में गए थे. कांग्रेस नेता राहुल गांधी लोकसभा से अयोग्य करार दे दिए गए हैं. राहुल पर यह कार्रवाई सूरत सेशन कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद हुई है, जिसमें वह मोदी सरनेम केस में दोषी करार दिए गए हैं. देश में अब एक नई बहस छिड़ गई है कि क्या लोकसभा अध्यक्ष को अपील दायर करने से पूर्व ऐसी कार्रवाई करने का अधिकार है. इसके पीछे तर्क यह दिए जा रहे हैं कि सत्ता पक्ष मनमाने फैसले ले रहा है और लोकतंत्र को गौण कर रहा है. बताया जा रहा है कि लोकसभा अध्यक्ष से प्रधानमंत्री समेत कुछ नेता देर शाम मिले थे उसके बाद आज यह फैसला आया है. राहुल गांधी के अयोग्यता पर लोकसभा सेक्रिटेरियट ने नोटिफिकेशन जारी किया है, जहां उनपर कार्रवाई रिप्रजेंटेशन ऑफ द पीपल एक्ट-1951 के सेक्शन 8 के तहत की गई है. राहुल गांधी पहले ऐसे नेता नहीं हैं, जिन्होंने कोर्ट से दोषी करार दिए जाने के बाद सदस्यता गंवाई है. इससे पहले लक्षद्वीप से सांसद मोहम्मद फैजल, रामपुर से विधायक आजम खान, बिहार के सारन से विधायक और सीएम रहे लालू यादव पर भी कार्रवाई हो चुकी है. पीएम मोदी को निशाने पर लेते हुए राहुल गांधी ने 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक के कोलार में ‘मोदी’ सरनेम वाले भगोड़ों की चर्चा करते हुए उन्हें चोर करार दिया था. इससे आहत होकर बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी पर मानहानि का केस कर दिया. चार साल बाद सेशन कोर्ट ने फैसला सुनाया और उन्हें दोषी पाया, और दो साल जेल की सजा सुनाई. हालांकि, बाद में उन्हें जमानत मिल गई. राहुल गांधी के पास अपील दायर करने के लिए 30 दिनों का समय है. 30 दिनों के अंदर सेशंस कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देना होगा. फैसले पर स्टे से राहुल की सदस्यता बच सकती है. अगर हाईकोर्ट स्टे नहीं देता तो सुप्रीम कोर्ट जाना होगा. शीर्ष अदालत से स्टे पर भी कांग्रेस नेता की सदस्यता बच जाएगी. वहीं, अगर सुप्रीम कोर्ट से स्टे नहीं हुआ तो सदस्यता जा सकती है. मानहानि केस में सजा मिलने के बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं. दरअसल, राहुल गांधी द्वारा दुष्कर्म पीड़िता के परिजनों की तस्वीर ट्वीट करने के एक मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) से जवाब मांगा है. इस मामले में राहुल गांधी के खिलाफ याचिका दायर की गई है. एक ओर मामले में राहुल गांधी के खिलाफ कार्रवाई की मांग इससे पहले एनसीपीसीआर ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा था कि हम इस मामले में याचिकाकर्ता का समर्थन और और साथ चाहते हैं. बता दें कि एक जनहित याचिका में दिल्ली हाईकोर्ट से दिल्ली पुलिस और ट्विटर को राहुल गांधी के ट्वीट को लेकर उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है। आरोप है कि राहुल ने अपने ट्वीट में दुष्कर्म पीड़िता के परिजनों और रिश्तेदारों पहचान सार्वजनिक की है. क्या है मामला? ये मामला करीब दो साल पुराना है. आरोप है कि 2021 में राहुल गांधी ने 9 साल की दुष्कर्म और हत्या के मामले में पीड़िता के परिजनों से मुलाकात की तस्वीर ट्विटर पर साझा की थी. सामाजिक कार्यकर्ता मकरंद सुरेश ने इसको लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. अधिवक्ता गौतम झा के माध्यम से दायर याचिका में मकरंद सुरेश ने कहा है कि राहुल गांधी ने बच्ची के परिजनों की तस्वीर सार्वजनिक कर बाल अधिकार कानून व पाक्सो के कानून का उल्लंघन किया है. इसलिए उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने का दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया जाए. पाक्सो के तहत केस दर्ज करने की मांग याचिका में कहा गया कि राहुल ने राजनीतिक फायदे के लिए तस्वीर ट्वीट की थी. इसमें राहुल गांधी के खिलाफ बाल अधिकार कानून एवं पाक्सो के तहत मुकदमा दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की गई है. कांग्रेस नेता शशि थरूर ने राहुल गांधी की संसद सदस्यता जाने पर देश के लोकतंत्र के लिए अशुभ संकेत करार दिया है. शशि थरूर ने ट्वीट करते हुए कहा है कि अदालत के फैसले के 24 घंटे के भीतर ही इसकी तेजी से मैं स्तब्ध हूं. यह दस्तानों से ओझल राजनीति है और यह हमारे लोकतंत्र के लिए अशुभ संकेत है. पार्टी नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा है कि पीएम मोदी और सत्तारूढ़ गिरोह का असली चेहरा बेनक़ाब हो गया है. अगर बैंक लूट कर भागे हुए भगोड़ों व पीएम के मित्रों पर सवाल पूछना गुनाह है तो हर भारतीय यह गुनाह बार बार करेगा. अब देश के पैसे की चोरी नहीं, चोरों का नाम लेना जुर्म है. न राहुल गांधी डरेंगे, न कांग्रेस झुकेगी.जयराम रमेश ने लोकतंत्र के लिए कहा ओम शांति कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा है कि हम इस लड़ाई को कानूनी और राजनीतिक दोनों तरह से लड़ेंगे. हम भयभीत या चुप नहीं होंगे. पीएम से जुड़े अडानी महामेगा स्कैम में जेपीसी के बजाय राहुल गांधी अयोग्य करार दिए गए. भारतीय लोकतंत्र के लिए ओम शांति. एक दिन पहले गुजरात में सूरत कोर्ट ने राहुल गांधी के बयान को लेकर 2 साल की सजा सुनाई थी, साथ ही ऊपरी अदालत में चुनौती के लिए 30 दिनों की मोहलत भी दी थी. मामला 2019 का है, जब लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा था, ‘सभी चोरों का सरनेम मोदी कैसे हो सकता है.’ राहुल गांधी के खिलाफ यह मामला गुजरात में बीजेपी नेता पुरनेश मोदी लेकर गए थे. मोहम्मद फैजल- हत्या की कोशिश का केस इसी साल 13 जनवरी को लक्षद्वीप से सांसद मोहम्मद फैजल की सदस्यता रद्द कर दी गई थी. वह हत्या की कोशिशों के एक मामले में लक्षद्वीप सेशन कोर्ट द्वारा दोषी पाए गए थे. कोर्ट के फैसले के महज दो दिनों बाद ही लोकसभा सेक्रिटेरियट ने एक नोटिफिकेशन जारी कर उन्हें संसद से बाहर का रास्ता दिखा दिया. हालांकि, बाद में केरल हाई कोर्ट ने सेशन कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी. सदस्यता रद्द किए जाने के बाद चुनाव आयोग ने यहां 27 फरवरी को उपचुनाव कराया. आजम खान- 2019 हेट स्पीच केस दोषी करार दिए जाने के बाद सदन से बाहर किए जाने वाले नेताओं में आजम खान भी शामिल हैं, जो 27 अक्टूबर 2022 को 2019 हेट-स्पीच केस में दोषी पाए गए थे. समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता रहे आजम खान को रामपुर एमपी-एमएलए कोर्ट के एडिश्नल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट निशांत मोहन ने दोषी पाया था और तीन साल जेल की सजा सुनाई थी. इसके एक दिन बाद ही यूपी विधानसभा सेक्रिटेरियट ने उनकी सदस्यता रद्द कर दी. बाद में उन्हें जेल भी जाना पड़ा. इतना ही नहीं आजम के खिलाफ दर्जनों और केस दर्ज थे, जिसमें अलग-अलग फैसले में वह दोषी करार दिए गए. आजम खान रामपुर से विधायक थे. लालू प्रसाद यादव- चारा घोटाला केस सदस्यता गंवाने वाले नेताओं की लिस्ट में लालू यादव भी शामिल हैं, जो सैकड़ों करोड़ रुपए के चारा घोटाला केस में दोषी पाए गए थे. राष्ट्रीय जनता दल के चीफ लालू यादव को रांची में एक सीबीआई कोर्ट ने 3 अक्टूबर 2013 को दोषी पाया था. उन पर चारा घोटाला केस में कई एफआईआर दर्ज थे. दोषी पाए जाने के बाद 2 अक्टूबर को जारी एक संसदीय नोटिफिकेशन में उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई थी. लालू यादव बिहार के सारन से लोकसभा सांसद थे. विक्रम सैनी, मुजफ्फरनगर दंगा केस मुजफ्फरनगर दंगा केस में बीजेपी विधायक विक्रम सैनी ने दोषी पाए जाने के बाद विधानसभा की सदस्यता गंवा दी थी. वह मुजफ्फरनगर एमपी-एमएलए कोर्ट द्वारा 2013 के दंगा में उनकी भूमिका के लिए दोषी पाए गए थे और उन्हें दो साल जेल की सजा सुनाई गई थी. नवंबर 2022 में यूपी विधानसभा ने खटौली विधानसभा खाली होने का नोटिफिकेशन जारी किया था, इसी सीट से वह विधायक थे. Post navigation परिवर्तन यात्रा से अभय चौटाला अहीरवाल की जमीन पर पार्टी मजबूत करने की कवायद महेंद्रगढ़ में कबीरपंथी आश्रम संचालक को धमकी, दो पर मामला दर्ज