अब मानेसर क्षेत्र के प्रभावित गांवों की महिलाओं ने संभाली कमान
प्रभावित आधा दर्जन गोवों की महिलाओं ने जरावता को सौंपा ज्ञापन
जमीन अधिग्रहण से मुक्ति के लिए 105 दिनों से चल रहा है धरना
31 अगस्त को राष्ट्रपति से मांगी गई थी इच्छा मृत्यु की इजाजत
आगामी 9 अक्टूबर को फिर से 72 गांवों में प्रस्तावित है महापंचायत

फतह सिंह उजाला

मानेसर/पटौदी । दक्षिणी दिल्ली के साथ लड़ते साइबर सिटी गुरुग्राम के दूसरे नगर निगम और सब डिवीजन घोषित किए जा चुके मानेसर नगर निगम क्षेत्र में शामिल विभिन्न गांवों की अधिग्रहित की गई जमीन को अधिग्रहण के दायरे से मुक्त करने का मामला एचएसआईडीसी सहित गठबंधन सरकार के लिए जी का जंजाल बनता जा रहा है । दिल्ली-जयपुर नेशनल हाईवे के किनारे मौजूद मानेसर नगर निगम और सब डिवीजन सहित औद्योगिक क्षेत्र के दायरे में आने वाले आधा दर्जन गांवों की महिलाओं ने अब जमीन अधिग्रहण की मुक्ति की कमान अपने हाथ में संभाल ली है।

इसी सिलसिले में सोमवार को प्रभावित गांवों की महिलाओं के द्वारा पटौदी के एमएलए भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश सचिव एडवोकेट सत्य प्रकाश जरावता के मानेसर स्थित आवास पर पहुंचकर अपनी मांगों के समर्थन में मांग पत्र सहित प्रार्थना पत्र सौंपकर एक बार फिर से मांग की गई है कि 18 10 एकड़ जमीन को अधिग्रहण के दायरे से मुक्त किया जाए या फिर गठबंधन सरकार से और एचएसआईडीसी से इस जमीन को रिलीज करवाया जाए । सोमवार को मानेसर क्षेत्र के गांव कासन, मोकलवास, सहरावण, खरखड़ी , बांसलांबी , कुकरोला व अन्य गांव से हेमलता, कोयल देवी, सुशीला ,रेनू, मुन्नी, मुकेश देवी, संतोष शर्मा, प्रीति ,बीना देवी, सुमन, संतोष देवी, ललिता, संतरा, वीरमति, सुरेश, सोमवती, सरला, कविता, अनीता, बाला, निशा, पूजा, सरोज, रोशनी, विमला, सत्यवती, योगिता, रेनू सहित अन्य महिलाएं एमएलए एडवोकेट जरावता के मानेसर स्थित आवास पर पहुंची ।

यहां पहुंचकर महिलाओं ने एमएलए एडवोकेट सत्य प्रकाश जरावता को गांव कासन की 18 10 एकड़ जमीन को अधिग्रहण से मुक्त किया जाने की मांग करते हुए एक बार फिर से मांग पत्र सहित प्रार्थना पत्र सौंपा । गौरतलब है कि मानेसर क्षेत्र की 18 10 एकड़ जमीन के अधिग्रहण किया जाने के बाद इसका जो मुआवजा का भुगतान किया जा रहा है , उस मुआवजा की रकम को लेकर प्रभावित किसान और निवासी पूरी तरह से असंतुष्ट दिखाई दे रहे हैं । स्थानीय निवासियों सहित किसानों और ग्रामीणों की मांग है कि अधिग्रहण की गई जमीन का मुआवजा मौजूदा बाजार भाव से ही उपलब्ध करवाया जाए । यदि सरकार और एचएसआईडीसी यह कार्य करने में नाकाम है, तो 18 10 एकड़ जमीन को अधिगम के दायरे से पूरी तरह रिलीज कर दिया जाए या मुक्त कर दिया जाए । दूसरी ओर मानेसर तहसील के सामने इसी मांग को लेकर बीते 105 दिनों से अनिश्चितकालीन धरना जारी है । बीती 18 सितंबर को भी पचगांव में आसपास के 72 गांवों की महापंचायत का आयोजन किया गया था और वहां मौके पर पहुंचे प्रशासन के अधिकारियों के द्वारा एचएसआईडीसी और सरकार के प्रतिनिधियों से किसान बचाओ-जमीन बचाओ कमेटी के प्रतिनिधि मंडल की बात करवाने का आश्वासन दिया गया था । इसके साथ ही महापंचायत में यह भी घोषणा की गई थी कि यदि समाधान नहीं किया गया तो आगामी 9 अक्टूबर को एक बार फिर से पचगांव चौक पर ही महापंचायत का आयोजन किया जाएगा ।

सोमवार को कासन, मोकलवास,  सहरावन, खरखड़ी, बांस लांबी, कुकरोला व अन्य गांव की महिलाओं के द्वारा पटौदी के एमएलए एडवोकेट सत्य प्रकाश जरावता को दिए  गए प्रार्थना पत्र सहित मांग पत्र मैं कहा गया है कि संबंधित 18 10 एकड़ जमीन, खेती योग्य -उपजाऊ जमीन है और इसी जमीन में ही जमीन के मालिक और जमींदार छोटे-छोटे मकान अथवा ढ़ानिया बनाकर रह रहे हैं । ऐसे सभी लोगों का मुख्य काम खेती-बाड़ी करते हुए अपना गुजर बसर करना है । पहले भी अलग-अलग छह चरणों में बेहद कीमती जमीन अधिग्रहण की जा चुकी है । आज हालात यह है बने हुए हैं कि स्थानीय निवासियों और किसानों के सामने केवल मात्र अपना जीवन यापन करने के लिए 1810 एकड़ जमीन ही बाकी बची हुई है । यदि यह जमीन भी एचएसआईडीसी और सरकार के द्वारा अधिग्रहण कर ली गई तो संबंधित परिवार पूरी तरह से बर्बाद होकर सड़क पर आ जाएंगे ।

महिलाओं के द्वारा एमएलए एडवोकेट सत्य प्रकाश जरावता का ध्यान आकर्षित करते हुए उनसे अनुरोध किया गया है कि 1810 एकड़ जमीन को रिलीज करवाने या फिर अधिग्रहण के दायरे से मुक्त करवाने के लिए हरियाणा सरकार के सामने ग्रामीणों की तरफ से पुरजोर पैरवी की जाए। इसके साथ ही महिलाओं के द्वारा यह भी कहा गया है कि यदि एचएसआईडीसी और हरियाणा सरकार को 18 10 एकड़ जमीन की बहुत अधिक आवश्यकता या फिर जरूरत है तो इस जमीन का प्रति एकड़ 11करोड़ मार्केट वैल्यू के हिसाब से भुगतान किया जाए और यदि सरकार या फिर एचएसआईडीसी 11करोड़ मार्केट वैल्यू के हिसाब से भुगतान नहीं कर सकती तो इस जमीन को अधिग्रहण के दायरे से मुक्त करे या फिर पूरी तरह से रिलीज कर दिया जाए। महिलाओं के द्वारा कही गई बात और दिए गए ज्ञापन सहित प्रार्थना पत्र पर संज्ञान लेते हुए एमएलए एडवोकेट सत्य प्रकाश जरावता के द्वारा आश्वासन दिलाया गया है कि वह उपरोक्त मामले में पूरी तरह से प्रभावित सभी किसानों और गांवों के लोगों के साथ हैं । जैसा भी ग्रामीण चाहेंगे उनके साथ मिलकर जमीन के मुद्दे को लेकर एचएसआईडीसी और सरकार के समक्ष ग्रामीणों की बात को मजबूती से रखते हुए कोई ना कोई राहत अवश्य उपलब्ध करवाने का प्रयास किया जाएगा।

6 को पीएम मोदी आवास पर प्रस्थान
किसान बचाओ-जमीन बचाओं कमटी के द्वारा कहा गया है आने वाली 6 अक्टूबर तक हरियाणा सरकार हमारी 1810 और 1128 एकड के किसानों की समस्या का अगर समाधान नहीं करती है तो हम सभी किसान बुजुर्ग नौजवान मातृशक्ति और बच्चों को लेकर पशुओं को लेकर धरना स्थल से दिल्ली माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने के लिए पैदल यात्रा निकालेंगे । पीएम मोदी से मिलकर अपनी जमीन का समाधान करवाएंगे, हमने सरकार से अपनी मांग बता रखी है कि सरकार सबसे पहले तो हमारी जमीन छोड़ दे,े अगर किसी कारण जमीन नहीं छोड़ सकती है तो सरकार 11 करोड प्रति एकड के रेट से मुआवजा दें । इसके साथ हमारी कॉलोनियों और ढाणीयो को छोड़ने का काम करें , लेकिन सरकार केवल 55 लाख रुपया मुआवजा दे रही है और 1000 गज का प्लाट देने की बात कर रही है । जो दोनों की कीमत मिलाकर लगभग ढाई करोड़ के आसपास पहुंचती है , यह हमें मंजूर नहीं है ।

11 करोड दे या हमारी जमीन छोड़ दें
किसानों ने अपनी बात रखी है 11 करोड या हमारी जमीन छोड़ दें , इसके अलावा हमें और कोई बात मंजूर नहीं है। इसलिए सभी किसान 6 तारीख सुबह 9 बजे दिल्ली चलने के लिए तैयार रहे। यात्रा धरना स्थल मानेसर से शुरू होकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक जाएगी । जिनकी जमीन है , उनको बढ़ चढ़कर हिस्सा लेना चाहिये,। क्योंकि यह हमारे हक की लड़ाई है, अगर यह लड़ाई हमें जितनी है तो हमें अपना पूर्ण बलिदान देना होगा।

हमारे बच्चों का कोई भविष्य नहीं
इलाके की समस्त सरदारी एवं जितने भी प्रदेश में देश में किसान यूनियन है या मजदूर किसान कर्मचारी संगठन है उनसे भी हम किसानों के द्वारा अनुरोध करते समर्थन मांगा गया हैं कि किसान-किसानी की इस लड़ाई में पदयात्रा में हमारा सहयोग करें। अगर जमीन नहीं बची तो हमारे पास हमारे बच्चों का कोई भविष्य नहीं बचेगा।

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