मूल लेखक अब्राहम लिंकन……….. अनुवादक अजीत सिंह, पूर्व समाचार निदेशक, दूरदर्शन हिसार।

अब्राहम लिंकन
  एक पिता जब अपने पुत्र को स्कूल में दाखिल करने जाता है तो वह कामना करता है कि अध्यापक सभी श्रेष्ठ गुण उसके पुत्र में डाल दे।
  अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने इसी भावना को लेकर अपने पुत्र के अध्यापक को एक पत्र लिखा जो प्राय: हर पिता की कामना को बड़े ही प्रभावी ढंग से उल्लेखित करता है। अध्यापक दिवस पर इस पत्र का हर बार जिक्र होता है। पत्र अंग्रेज़ी भाषा में है। प्रस्तुत है इसका हिंदी  अनुवाद ।

माननीय अध्यापक जी,
      आज मेरा बेटा स्कूल में पढ़ने जा रहा है,
इसे प्यार से वह सब पढ़ाइए,
जो इसे पढ़ना चाहिए।

जीवन संघर्ष में इसे सात समुंदर पार भी जाना पड़ सकता है,
हो सकता है उसे युद्ध, विपदाओं और संकटों का सामना भी करना पड़े,
  इस के लिए उसे आत्मविश्वास, हौसले और प्यार की जरूरत होगी,
  अत: हे अध्यापक महोदय, कृपया उसका हाथ थामिए और सहज भाव से उसे वे सब गुण सिखाइए जो उसे सीखने चाहिएं।

उसे यह भी बताना कि जहां दुश्मन होते हैं,
वहां दोस्त भी होते हैं।
   उसे यह भी पता होना चाहिए कि सभी आदमी सही नहीं होते,
सभी आदमी सच्चे भी नहीं होते।
पर जहां एक दुष्ट मानव होता है, वहां एक श्रेष्ठ नायक भी होता है।
एक बेईमान राजनीतिज्ञ  होता है तो एक निष्ठावान नेता भी होता है।

अजीत सिंह, पूर्व समाचार निदेशक, दूरदर्शन हिसार

अध्यापक महोदय,
मेरे बेटे को यह भी शिक्षा देना कि अपनी कमाई के दस पैसे,
कहीं से मुफ्त में मिले एक रूपये से कहीं बेहतर होते हैं।
उसे यह भी बताना कि
परीक्षा में नकल करने की बजाए फेल हो जाना,
कहीं अधिक सम्मानजनक होता है।
यह भी समझाना कि हार को किस तरह सम्मानपूर्वक स्वीकार करना है,
और जीत का आनंद कैसे उठाना है।
उसे समझाना कि आम लोगों के साथ नरमी से पेश आए,
पर टेढ़े लोगों के साथ सख्ती से पेश आए।

अध्यापक महोदय,
मेरे बेटे को ईर्ष्या से दूर रहना सिखाना,
उसे मंद मुस्कान का रहस्य भी समझाना।
उसे सिखाना उदासी के समय मुस्कुराना,
आंख में आंसू आने पर नहीं शर्माना, यह भी आप उसे बतलाना।
उसे बताना कि असफलता में भी गरिमा हो सकती है,
और सफलता में दुख भी जुड़ा हो सकता है।
मेरे बेटे को सनकी लोगों से दूर रहना भी सिखाना।
पुस्तकों के चमत्कार से उसका परिचय कराना,
आकाश में उड़ते परिंदों के रहस्य समझाना,
पर्वत घाटियों में उगते फूलों को दिखाना,
मधुमक्खियों के संगीत को समझाना।
उसे बताना कि वह अपने विचारों व आदर्शों पर पूरा यकीन रखते हुए अडिग रहे ,
भले ही पूरी दुनिया उसे गलत कहे।

अध्यापक महोदय,
मेरे बेटे को समझाना कि वह औरों की तरह भीड़ के पीछे न चले,
उसे शिक्षा देना कि वह हर किसी की बात सुने,
उसे सत्य की कसौटी पर परखे और केवल अच्छाई ग्रहण करे।
उसे सिखाना कि वह अपने दिमाग की योग्यता उसे दे जो सबसे ऊंची बोली लगाए,
पर अपने दिल और आत्मा को किसी भी कीमत पर न बेचे।
   उसके हौसले में बेसब्री हो और उसकी बहादुरी में सब्र हो।
उसे अपने आप में गहन मधुर विश्वास रखना सिखाना,
तभी वह मानवता और  ईश्वर में अटूट गहन विश्वास रख पाएगा।

  अध्यापक महोदय,
   यह मेरी कामना की सूचि है।
  अध्यापक होने के नाते आप देखना किस सीमा तक आप मेरे बेटे को श्रेष्ठ बना सकते हैं।
वह छोटा सा, प्यारा सा बच्चा है।
वह मेरा बेटा है।

error: Content is protected !!