रणदीप सिंह सुरजेवाला, महासचिव, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का बयान निकाय चुनाव के हार के डर से खट्टर सरकार ने वापस लिया फैसला!‘विकास शुल्क’ को घटाकर कांग्रेस सरकार के समान किया जाए!2018 वाली व्यवस्था बहाल करने का फैसला आधा-अधूरा, नाकाफी और अस्वीकार्य! भाजपा-जजपा सरकार ने कांग्रेस के विरोध और जनता के डर से ‘विकास शुल्क’ में 10 गुना बढ़ोत्तरी के फैसले को अभी आधा-अधूरा ही वापस लिया है, जो नाकाफी और अस्वीकार्य है। हमारी मांग है कि विकास शुल्क की दरों को पूरी तरह घटाकर वर्ष 2014 में लागू कांग्रेस सरकार के समान किया जाए। ‘100 जूते और 100 प्याज’ खाना भाजपा-जजपा सरकार की फितरत बन गई है। स्थानीय निकाय चुनाव के बाद विकास शुल्क को 10 गुना बढ़ाने का ‘‘दानवी फरमान’’ फिर वापस ले आएंगे। इसलिए जरूरी यह है कि हरियाणा के शहरों में रहने वाले सूझवान नागरिक ‘वोट की चोट’ से भाजपा-जजपा को हराएं और सबक सिखाएं, ताकि वह फिर लोगों पर इस लूट का भारी बोझ न डाल पाएं। भाजपा-जजपा की सरकार केवल समाज में बंटवारे और जनता को बहकाकर राजनीतिक सत्ता हासिल करने में विश्वास रखती है, इन्हें गलतफहमी थी कि विकास शुल्क में गुपचुप तरीके से की गई बढ़ोत्तरी का प्रदेश की जनता को पता नहीं चलेगा। लेकिन कांग्रेस पार्टी द्वारा इस फैसले के विरोध में चंडीगढ़ में एक प्रेसवार्ता करके जैसे ही आंदोलन चलाने की घोषणा की गई और जिस प्रकार से जनता द्वारा इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर कांग्रेस से सुर मिलाते हुए विरोध किया गया, उसी के बाद चुनावों को देखते हुए सरकार को यह फैसला वापस लेने पर मजबूर होना पड़ा। याद रहे कि कांग्रेस के समय ‘‘विकास शुल्क’’नगर पालिका में नगर पालिकाओं में ₹30 प्रति वर्ग गज, नगर परिषद में ₹50 प्रति वर्ग गज और नगर निगम में ₹100 प्रति वर्ग गज था। इसे बढ़ाकर खट्टर सरकार ने साल 2018 में ₹360 प्रति वर्ग गज (नगर निगम), ₹240 प्रति वर्ग गज (नगर परिषद) व ₹160 प्रति वर्ग गज (नगर पालिका) कर दिया था। लेकिन हैरानी की बात है कि यह सरकार अभी भी अहंकार में डूबी हुई है और केवल 2018 वाली स्थिति को बहाल किया है। लेकिन कांग्रेस सरकार वाली 2014 की व्यवस्था अभी भी पूरी तरह लागू नहीं की गई है। भ्रष्टाचार, कुशासन व वित्तीय कुप्रबंधन से खट्टर-चौटाला सरकार ने हरियाणा के लोगों पर एक तरफ तो टैक्सों का भारी-भरकम बोझ लाद दिया है, वहीं दूसरी तरफ, रिकॉर्ड टैक्स वसूली करने के बावजूद प्रदेश की जनता पर कर्जे का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। पिछले साढ़े सात साल में एक भी बड़ी परियोजना प्रदेश में नहीं आई, प्रदेश में कांग्रेस सरकार द्वारा शुरू की गई परियोजनाएं भी पूरी नहीं हुईं। उसके बावजूद, हरियाणा बनने के बाद से लेकर वर्ष 2014 तक प्रदेश पर कुल जितना कर्ज था, उसमें इस कार्यकाल में दो गुना से ज्यादा बढ़ोत्तरी हो गई है, जबकि प्रदेश की जनता भलीभांति जानती है कि इस सरकार ने लगभग सभी टैक्स, ड्यूटियां और वैट दरों में भारी बढ़ोत्तरी कर दी है, जिससे गरीब और मध्यमवर्गीय लोगों का जीना दूभर हो गया है। हमारी मांग है कि विकास शुल्क में भाजपा सरकार द्वारा की गई सारी बढ़ोत्तरी वापस लेकर कांग्रेस सरकार के समय 2014 की पूर्व स्थिति को बहाल किया जाए। Post navigation कांग्रेस ने न तो सत्तापक्ष और न ही विपक्ष की भूमिका सही निभाई , आपस में लड़ रही कांग्रेस : गृह मंत्री अनिल विज दो आईएएस व 6 एचसीएस अधिकारियों के स्थानांतरण एवं नियुक्ति आदेश जारी…..