-कमलेश भारतीय

धर्म बड़ा पेचीदा , लचीला और काफी नाजुक मामला है और धर्म के नाम पर बहुत कुछ कहा सुना जाता है । मैं शिक्षक के रूप में जब पढ़ाता था तब एक पाठ में बहुत शानदार बात कही गयी थी कि बुद्धू मियां और पासी चाहे धर्म का क, ख, ग, न जानते हों लेकिन धर्म खतरे में है, का नारा सुनते ही लाठी लेकर निकल पड़ते हैं । धर्म कोई युद्ध नहीं लेकिन धर्म युद्ध लड़े जाते हैं । हालांकि हर धर्म सहिष्णुता का , सद्भाव का और सबसे प्रेम भाव करना ही सिखाता है फिर भी धरातल पर धर्म के नाम पर कुछ और ही होता दिखता है । हमारे देश में हिंदू मुस्लिम , सिख , ईसाई सहित अनेक जातियों के लोग रहते हैं और इसीलिए नारा दिया जाता है :

हिंदू , मुस्लिम , सिख , ईसाई
हम सब है भाई भाई ,,,

पर क्या यह सच है ? हम एक दूसरे को भाई भाई मानते हैं ? अंग्रेजों के राज के समय दूर दराज के गांवों , खासकर आदिवासियों के बीच उन्हें ईसाई बनाने की बात सामने आती है जिससे स्वतंत्र भारत मे धर्म परिवर्तन शुरू हुआ और जो लोग हिंदू धर्म से दूर हो गये थे उन्हें वापस अपने घर लाने की कोशिशें भी हुईं । धर्म का मामला बहुत निजी है । यह भी स्पष्ट है और संविधान भी धार्मिक स्वतंत्रता देता है । इसके बावजूद धर्म के नाम पर काफी विवाद सामने आते रहते हैं ।

इधर हरिद्वार में हुई धर्म संसद विवाद का विषय बनी हैं और इसकी जांच के लिए सिट का गठन भी किया गया है । ऐसा आरोप है कि इस संसद में नफरत फैलाने वाले भाषण दिये गये हैं । हालांकि इस कदम पर आयोजक स्वामी यति नरसिम्हाराव सहित कई संतों ने नाराजगी व्यक्त की है । दूसरी ओर इसी ओर संकेत करते हुए प्रसिद्ध अभिनेता नसीरूद्दीन शाह भी अपनी नाखुशी जाहिर कर चुके हैं । देहरादून में मुस्लिम संगठनों ने धर्म संसद करने वाले साधु संतों के खिलाफ प्रदर्शन किया जिसे प्रदेश कांग्रेस की चुनाव अभियान समिति के मुख्य संयोजक व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी समर्थन दिया है । उन्होंने कहा कि यह मामला केवल मुस्लिम समाज से ही नहीं बल्कि यह मामला पूरे समुदाय से संबंध रखता है । धर्म संसद के संयोजक यति नरसिम्हाराव ने कहा कि राज्य सरकार कुछ तथाकथित धर्मनिरपेक्ष और धर्म विरोधी लोगों के दबाब में आकर विवादास्पद फैसले ले रही है और केस दर्ज कर रही है । हमने तो सरकार और देश का ध्यान इस समुदाय की गतिविधियों की ओर खींचा था तो हमें इसकी सजा दी जा रही है । जो लोग देश को तोड़ने में लगे हैं उन्हें सम्मानित किया जा रहा है ।

खैर । उत्तराखंड में भी निकट भविष्य में विधानसभा चुनाव आने वाले हैं ।इस तरह के विवाद का समय रहते ही सुलझाना बेहतर होगा बजाय धरने प्रदर्शनों से बात बिगड़ने देने से । धर्म की भी रक्षा हो जाये और सरकार भी निरापद रहे ऐसा फैसला होने की उम्मीद है । इसी तरह छत्तीसगढ में कालीचरण महाराज की महात्मा गांधी पर की गयी टिप्पणी भी विवादित हुई और उन्हें गिरफ्तार भी किया गया है । वहां भी साधु संत गिरफ्तारी का विरोध कर रहे हैं । ऐसी टिप्पणियों से भी बचा जाना चाहिए धार्मिक आयोजनों में ।
-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।

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