-कमलेश भारतीय हरियाणा प्रदेश कांग्रेस में सब अच्छा और ठीक-ठाक नहीं है । यह सब प्रदेशवासी जानते हैं और उन्हें देर सबेर इसमें कुछ ठीक हो जाने की कोई आस भी नहीं है । यह सदा से होता आया है । चाहे शुरू में राव वीरेंद्र ने सरकार बनाई हो , विद्रोह करके या फिर चौ भजन लाल और चौ बंसी लाल का जमाना रहा हो । कांग्रेस में ‘तू डाल डाल, मैं पात पात’ वाली कहावत सदा फिट बैठती आई । एक केंद्र में तो दूसरा राज्य में । हाईकमान समस्या का हल ढूंढे बिना यही फार्मूला लागू करता रहा । पहले चौ वीरेंद्र सिंह और चौ भजन लाल में ये दूरियां चर्चा में रहीं और फिर भूपेंद्र सिंह हुड्डा विपक्ष के नेता तो चौ भजन लाल के बीच भी एक दौर चला जब सत्ता न होने पर भी विपक्ष का नेता और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने का खेल और दौड़ चलती रही । एक बार चौ भजन लाल पूरा दम खम लगा कर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बने तो उनसे पूछा ऐसा क्यों किया ? चौ भजन लाल का जवाब था कि आजकल हाईकमान चुनाव जीतने के बाद प्रदेशाध्यक्ष को ही मुख्यमंत्री बना देने का फैसला करती है । इसलिए मुख्यमंत्री बनने से पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनना जरूरी था लेकिन वे फिर भी मुख्यमंत्री पद न पा सके थे । आजकल जमाना है पूर्व मुख्यमंत्री व विपक्ष के नेता चौ भूपेंद्र सिंह हुड्डा व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री सैलजा के बीच बढ़ती दूरियों का । दिन प्रतिदिन ये दूरियां बढ़ती जा रही हैं और राजनीतिक गलियारों में खूब चर्चा होती है इन दूरियों की जबकि सवाल पूछने पर दोनों पक्ष मासूम बने कहते हैं कि हमारे बीच कोई दूरी नहीं । न इनको एक दूसरे के कार्यक्रमों की कोई जानकारी होती है । ये सवाल किये जाने पर बड़ी मासूमियत से कहते हैं कि अपने अपने स्तर पर कांग्रेस को प्रदेश में मजबूत करने में लगे हुए हैं लेकिन हाईकमान या प्रदेश प्रभारी के माध्यम से अपने समर्थकों से शिकायत भिजवाने का कोई मौका नहीं चूकते । अभी इन दिनों पंचकूला में युवा कांग्रेस ने सांसद दीपेंद्र हुड्डा के नेतृत्व में राज्य में नौकरियों के मामले में हो रही धांधलियों के विरोध में प्रदर्शन किया तो प्रभारी बोले कि मुझे विश्वास में लेकर , सूचना तो देते । युवा कांग्रेस के नये अध्यक्ष दिव्यांशु के इस कदम की आलोचना की जा रही है । इधर सात दिसम्बर को जहां प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रदर्शन आयोजित करने जा रही है वहीं आठ दिसम्बर को भूपेंद्र सिंह हुड्डा विधायकों की बैठक आमंत्रित कर रहे हैं । प्रदेश में यह बात कही जाने लगी है कि हरियाणा में दो कांग्रेस चल रही हैं । एक सीएलपी कांग्रेस तो दूसरी प्रदेश कांग्रेस । यही नहीं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष रहे और आजकल नये नये तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए अशोक तंवर कांग्रेस में गुटबाजी पर चुटकी लेकर कह रहे हैं कि प्रदेश में कांग्रेस तो खत्म हो सकती है लेकिन गुटबाजी खत्म नहीं हो सकती । जब अशोक तंवर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष थे तब मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से उनकी भी नहीं पटती थी और जब मुख्यमंत्री कोई विकास कार्य करते तो तंवर आलोचना पर उतर आते । बाद में जब सरकार न रही तब भी ये समांनांतर कार्यक्रम चलाते रहे । हुड्डा रथ यात्रा पर निकलते तो तंवर अपनी साइकिल यात्रा पर चल देते । ये दूरियां बढ़ती चली गयीं और आखिर तंवर कांग्रेस से ही किनारा कर गये । कुछ समय नया ठिकाना ढूंढने के बाद ममता बनर्जी के साथ हो लिए और आजकल उनकी जय गाथा सुना रहे हैं । हरियाणा प्रदेश कांग्रेस में आजकल चल रही ये डाल डाल और पात पात वाली स्थितियां क्या रंग लायेंगी यह तो आने वाले दिन ही बतायेंगे लेकिन अभी इनके समर्थक पाले बदल बदल कर एक से दूसरी ओर जाते जरूर दिख रहे हैं । उदाहरण के लिए जो नरेश सेलवाल सैलजा के साथ दिखते थे , वे आजकल हुड्डा के साथ दिखते हैं और जो बजरंग दास गर्ग पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा के खास होने का दम भरते थे , आजकल सैलजा की हिसार में बैठकों का प्रबंध करते हैं । जिला परिषद के पूर्व अध्यक्ष राजेंद्र सूरा भी पाला बदल कर सैलजा के कार्यक्रमों में शोभा बढ़ाने लगे हैं । आने वाले समय में कुछ और लोग ऐसे ही बदले बदले नज़र आ सकते हैं पर प्रदेश में कांग्रेस का क्या भविष्य है ? कोई नहीं जानता,,–पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी । Post navigation ये इनेलो पार्टी के गद्दार हैं और गद्दारों के साथ कोई समझौता नहीं: चौ. ओम प्रकाश चौटाला हरियाणा पुलिस ने जारी की एडवाइजरी