भारत सारथी के पाठकों को शिक्षा दिवस की बधाई

ऋषि प्रकाश कौशिक 

आज राष्ट्रीय शिक्षा दिवस है। भारत में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस हर साल 11 नवंबर को मनाया जाता है। बहुत कम लोग जानते हैं कि 11 नवंबर का क्या महत्त्व है। देश के पहले उपराष्ट्रपति सर्वपल्ली डॉक्टर राधाकृष्णन के जन्मदिन 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है, यह बात पूरा देश जानता है लेकिन शिक्षा दिवस के बारे में शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों के अलावा शायद ही कोई जानता होगा। शिक्षा क्षेत्र के भी सभी लोग जानते होंगे, इसमें संदेह है। किसी भी देश की तरक्की के लिए शिक्षा बेहद जरूरी है लेकिन इस घटक को समर्पित दिन से देश की अधिकांश आबादी अनभिज्ञ है। 

 शिक्षा दिवस स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जयंती मनाने के लिए एक वार्षिक उत्सव है। वे 15 अगस्त 1947 से 2 फरवरी 1958 तक शिक्षा मंत्री रहे। केंद्र सरकार ने सितंबर 2008 में फैसला किया था कि मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के जन्मदिन 11 नवंबर को हर शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाएगा। पहले शिक्षा दिवस का भव्य आयोजन विज्ञान भवन में हुआ था और तब की राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने समारोह का उद्घाटन किया था।      

मौलाना साहब ने देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी और 1912 में उन्होंने क्रांतिकारियों की संख्या बढ़ाने के लिए उर्दू में एक साप्ताहिक पत्रिका ‘अल-हिलाल’ शुरू की।  एक स्वतंत्रता सेनानी और एक शिक्षाविद् के रूप में उनके योगदान के लिए उन्हें 1992 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।

मौलाना साहब उद्भट विद्वान और कवि थे; कई भाषाओं के जानकार थे। उनका असली नाम अबुल कलाम गुलाम मुहियुद्दीन था और उन्हें एक शानदार वक्ता के रूप में जाना जाता था। वह सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा, 14 वर्ष तक के सभी बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण और तकनीकी शिक्षा में दृढ़ विश्वास रखते थे।

  उन्होंने महिलाओं की शिक्षा की पुरजोर वकालत की। उन्होंने 1949 में सेंट्रल असेंबली में आधुनिक विज्ञान और ज्ञान में शिक्षा देने के महत्त्व पर जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा का कोई भी कार्यक्रम तब तक उपयुक्त नहीं हो सकता जब तक कि वह समाज के आधे हिस्से यानी महिलाओं की शिक्षा और उन्नति पर पूरा ध्यान न दे।

  हमारे देश की मौजूदा अधिकतर प्रमुख सांस्कृतिक और साहित्यिक अकादमियों की स्थापना उन्हीं प्रयासों से हो पाईं। उनमें संगीत नाटक अकादमी, ललित कला अकादमी, साहित्य अकादमी और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद शामिल हैं। उनके कार्यकाल में पहले IIT, IISc, स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की स्थापना की गई थी।     

मौलाना साहब उर्दू, फारसी और अरबी के प्रख्यात विद्वान थे। उन्होंने शैक्षिक लाभ के लिए अंग्रेजी भाषा को बनाए रखने की भी वकालत की। उनका यह भी मानना ​​था कि प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में ही दी जानी चाहिए।

उचित और अच्छी शिक्षा हम सभी के लिए बहुत जरूरी है। यह किसी भी आयु वर्ग, जाति, पंथ, धर्म और क्षेत्र के लोगों के बीच जीवन भर गुणवत्तापूर्ण जीवन की सुविधा प्रदान करता है। यह ज्ञान, मूल्य, कौशल, विश्वास और नैतिक मूल्यों को पाने की प्रक्रिया है। लोगों को पहले से ज्यादा ज्ञान के महत्त्व के बारे में उच्चस्तरीय जागरूकता लाने की जरूरत है। जीवन भर ज्ञान, जीने के तरीके के साथ-साथ सामाजिक और आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए शिक्षा हर किसी के लिए बहुत आवश्यक है। उचित शिक्षा प्राप्त करना हर किसी का जन्मसिद्ध अधिकार है जिसे प्रतिबंधित करना अपराध है। शिक्षा सभी व्यक्तिगत और सामाजिक समस्याओं पर विजय पाने का अंतिम तरीका है। शिक्षा हम सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमारे जीवन में बहुत अहम् भूमिका निभाती है। एक बेहतर और शांतिपूर्ण जीवन जीने के लिए हमें शिक्षित होने की आवश्यकता है। यह हमारे दिमाग और व्यक्तित्व को बदलने के साथ-साथ हमारे आत्मविश्वास के स्तर में सुधार करके हमें अंदर और बाहर से पूरी तरह से बदल देती है।

शिक्षा पाने की कोई उम्र नहीं होती। शिक्षा ऐसा धन है जिसे चोर चुरा नहीं सकता, भाई बंटा नहीं सकता। इसे खर्चने पर कम होने के बजाय बढ़ता है। घर से बाहर शिक्षा ही एक सच्चे मित्र की तरह हमेशा साथ रहती हैं। शिक्षा से अज्ञान का अंधकार दूर होता है। अशिक्षित व्यक्ति को बिना पूँछ और सींग वाले पशु की संज्ञा दी. गई है। किसी भी समाज और देश की मजबूती के लिए शिक्षा का प्रचार प्रसार बेहद जरूरी है। 

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