दस राज्यों के कलाकारों ने दिखाए लोक रंग, नृत्यों की दी प्रस्तुतियां।कला कीर्ति भवन में दिखा लघु भारत। रंगबिरंगे परिधानों में सजे कलाकारों ने दिखाई संस्कृति की झलक। वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक कुरुक्षेत्र 1 नवम्बर :- विविधता में एकता ही भारत की पहचान है। अनेक वेशभूषा, बोली, लोक संस्कृति इस देश की विशेषता है। देश के लोगों के बीच पारंपरिक रुप से विद्यमान भावनात्मक बंधनों के ताने-बाने को और मजबूत करने के लिए कला कीर्ति भवन की रंगशाला में हरियाणा कला परिषद व उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र पटियाला के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया गया। जिसमें जम्मू – कश्मीर, तमिलनाडू, हिमाचल प्रदेश, केरल, उत्तराखण्ड, कर्नाटक, हरियाणा, तेलंगाना, पंजाब व आंध्रप्रदेश आदि दस राज्यों के लगभग 150 कलाकारों ने अपने प्रदेश की संस्कृति की झलक दिखाई। कार्यक्रम में विद्या भारती संस्कृति शिक्षण संस्थान के निदेशक डा. रामेंद्र सिंह बतौर मुख्यअतिथि शामिल हुए। इस मौके पर उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र से अधिकारी जगजीत सिंह, राजेश बस्सी, जरनैल सिंह, कमलेश, हरियाणा कला परिषद के कार्यालय प्रमुख धर्मपाल गुगलानी व मीडिया प्रभारी विकास शर्मा आदि उपस्थित रहे। राष्ट्रीय एकता दिवस पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत दीप प्रज्जवलित कर की गई। कार्यक्रम में मंच संचालन डा. मोहित गुप्ता द्वारा किया गया। दस राज्यों से आए कलाकारों में सबसे पहले जम्मू-कश्मीर के कलाकारों ने अपने प्रसिद्ध नृत्य रउफ को प्रस्तुत कर कार्यक्रम का आगाज किया। रंगबिरंगे परिधान में सजे कलाकार जब मंच पर आए तो दर्शकों ने जोरदार तालियों से स्वागत किया। इसके बाद तमिलनाडू के कलाकारों ने कड़गम काबड़ी नृत्य प्रस्तुत कर लोगों को दांतो तले उंगलियां दबाने पर मजबूर कर दिया। इसके बाद हिमाचल प्रदेश का गददी नाटी नृत्य प्रस्तुत किया गया, जिसमें कलाकारों ने ढोल और दमऊ आदि वाद्ययंत्रों की ताल पर अपनी संस्कृति को दिखाया। वहीं केरल की महिला कलाकारों ने ईसाई समुदाय द्वारा किया जाने वाले पारम्परिक नृत्य मरगमकली प्रस्तुत किया। उत्तराखण्ड के छपेली तथा तेलंगाना के माथुरी लोकनृत्य ने भी खूब धूम मचाई। एक के बाद एक लोकनृत्य ने अपनी गहरी छाप छोड़ी। कर्नाटक से आए कलाकारों ने डमरु की ताल पर बोरबारा कुनिता प्रस्तुत कर सभी का भरपूर मनोरंजन किया। वहीं हरियाणा का घूमर तथा आंध्रप्रदेश का धीमसा नृत्य भी आर्कषण का केंद्र रहे। पंजाब से आए कलाकारों द्वारा पंजाब का लोकनृत्य भांगड़ा प्रस्तुत कर लोगों को झूमने पर मजबूर किया गया। मंच पर थिरकते कलाकारों का दर्शकदीर्घा में बैठे लोग तालियों से साथ देते नजर आए। अंतिम प्रस्तति एक भारत श्रेष्ठ भारत की रही, जिसमें सभी प्रांतों के कलाकारों ने एक साथ मंच सांझा किया और देशभक्ति गीत पर अपनी अपनी प्रस्तुति दी। माहौल ऐसा था कि लोग खड़े होकर तालियां बजाते हुए कलाकारों का हौंसला बढ़ा रहे थे। सभी कलाकारों को एक साथ मंच पर अपनी प्रतिभा दिखाते देख दर्शक भी खुद को नहीं रोक पाए और कलाकारों के साथ ठुमके लगाते नजर आए। सभी राज्यों की उम्दा प्रस्तुतियों ने दर्शकों को बांधे रखा। लगभग दो घण्टे तक चले कार्यक्रम का लोगों ने जमकर लुत्फ उठाया। जहां कलाकारों की प्रतिभा देखने लायक थी वहीं मंच संचालक मोहित गुप्ता का कुशल संचालन भी कार्यक्रम को बेहतरीन बनाने में सहायक रहा। अंत में हरियाणा कला परिषद की ओर से मुख्यअतिथि डा. रामेंद्र सिंह व जगजीत सिंह को स्मृति चिन्ह भेंटकर आभार व्यक्त किया गया। Post navigation यज्ञ और वेदों का है अन्योन्याश्रय संबंध : स्वामी हरिओम महाराज। यज्ञ करने से सहबन्धुत्व की सद्भावना के साथ स्थापित होती विकास में शांति : स्वामी हरिओम महाराज