जन स्वास्थ्य विभाग का कारनामा…. राजकीय कालेज जाटौली में खोद खाई कब्जा, अब बना जी का जंजाल

वन विभाग के क्षतिपूर्ति नोटिस के बाद जन स्वास्थ्य विभाग में बेचौनी.

अपने कारनामों को छिपाने को भेजी जेसीबी खड़ी रही कॉलेज के बाहर

जाटोली कॉलेज प्रशासन की दो टूक पहले निकाला जाए गंदा पानी

फतह सिंह उजाला

पटौदी । जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग पटौदी के द्वारा नगर पालिका हेली मंडी प्रशासन के द्वारा उपलब्ध कराई गई राजकीय कॉलेज जटौली के पास जमीन पर बनाया गया सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट अब विभाग के लिए ही परेशानी और चुनौती बनता जा रहा है । सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में ट्रीटमेंट होने वाला पानी की आगे कहीं भी निकासी नहीं होने की वजह से मामूली सी बरसात होते ही मल मूत्र युक्त एवं गंदा पानी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट परिसर में ही चारों तरफ बनाए गए कच्चे गहरे तालाब नुमा गड्ढों में भरना मजबूरी बन चुका है ।

राजकीय कालेज जाटौली की दीवार के साथ में ही इसी प्रकार का बनाया गया तालाब , गंदे पानी से भरने के बाद गंदा पानी कॉलेज की दीवार को धराशाई कर कालेज परिसर में भी भरा हुआ है । जिसके कारण वन विभाग के द्वारा लगाए गए अनेक पौधे दम तोड़ चुके हैं और बाकी पौधों के जीवन पर संकट बना हुआ है । इतना ही नहीं सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में ही हेली मंडी नगर पालिका के द्वारा भी लगाए गए करीब एक सौ पौधे पहले ही दम तोड़ चुके हैं । कालेज परिसर में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का गंदा पानी भरने के बाद इसके और अधिक आगे फैलने से रोकने के लिए कालेज प्रशासन और उच्चतर शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की बिना अनुमति के कथित रूप से जन स्वास्थ्य विभाग पटौदी के द्वारा कॉलेज परिसर में ही इसलिए गहरी खाई खोद कर कथित रूप से कब्जा कर लिया गया कि गंदा पानी और अधिक आगे नहीं खेल सके ।

दूसरी तरफ सत्ता पक्ष के  पूर्व मंत्री की जमीन 

इसी मामले में बेहद रोचक और चौंकाने वाला पहलू यह है कि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के दूसरी तरफ सत्ता पक्ष के ही एक वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री की जमीन है। यदि जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का गंदा पानी दूसरी तरफ छोड़ा जाता है तो फिर यह पानी सारा का सारा नेताजी की खेती-बाड़ी वाली जमीन को अपनी चपेट में ले सकता है । सूत्रों के मुताबिक जन स्वास्थ्य विभाग पटौदी के स्थानीय अधिकारियों को भी शायद इसी बात का सबसे अधिक डर सताता रहता है और यही कारण है कि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का सारा का सारा दूषित मल मूत्र युक्त गंदा पानी जाटोली कॉलेज परिसर की दीवार के साथ ही छोड़ा जा रहा है । इसके अलावा यह मामला जब वन विभाग के संज्ञान में लाया गया तो वन विभाग के द्वारा अपनी जांच में स्पष्ट किया गया कि महचाना सड़क पर एक दर्जन हरे भरे पेड़ गंदे पानी के कारण मर चुके हैं । वही वन विभाग के द्वारा लगाए गए 500 पौधों में से 50 पौधे कालेज परिसर में भी गंदे पानी के कारण मर चुके हैं , अन्य पौधों पर भी गंभीर संकट बना हुआ है । 

खामियों पर पर्दा डालने के लिए  भेजी  जेसीबी 

पेड़ पौधों और हरियाली के साथ-साथ पर्यावरण का दुश्मन बने गंदे पानी के कारण कॉलेज परिसर में भी फैली हुई बदबू की वजह से यहां शिक्षक और गैर शिक्षक स्टाफ के साथ साथ आने वाले छात्र वर्ग भी बीमार होने के डर के साए में सांस लेने को मजबूर हो रहे हैं । अपनी तमाम खामियों पर पर्दा डालने के लिए शुक्रवार को जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग पटौदी के द्वारा बिना रजिस्ट्रेशन नंबर की जेसीबी राजकीय कॉलेज जटौली में इसलिए भेजी गई की गहरी खाई खोद कर गंदा पानी भरने के लिए कथित रूप से जो कब्जा किया गया था , उस गहरी खाई को बंद करके जहां कॉलेज की दीवार है वहीं पर ही मिट्टी की खुदाई करके दीवार के साथ में लगाया जाए । जिससे कि कॉलेज परिसर की दीवार क्षतिग्रस्त नहीं हो सके । 

गंदे पानी को निकालने की  कार्रवाई की जाए 

जानकारी के मुताबिक जन स्वास्थ्य विभाग पटौदी के द्वारा भेजी गई जेसीबी को कॉलेज प्रशासन ने कालेज परिसर में लाने से रोक दिया। इसके बाद में जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग पटौदी के ही अधिकारियों के द्वारा राजकीय कालेज जाटोली प्रशासन से फोन पर अनुरोध किया गया की कॉलेज की दीवार के साथ में जेसीबी के द्वारा मिट्टी खोदकर लगाने की मंजूरी दे दी जाए। कॉलेज प्रशासन के द्वारा दो टूक शब्दों में कहा गया की सबसे पहले विभाग के द्वारा कालेज परिसर में भरे हुए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के गंदे पानी को निकालने की अविलंब कार्रवाई की जाए , इससे पहले अन्य कोई भी कार्यवाही शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारियों की मंजूरी के बिना संभव नहीं है । अंततः जेसीबी चालक प्रमोद बिना रजिस्ट्रेशन नंबर की जन स्वास्थ्य विभाग के द्वारा भेजी गई जेसीबी को दोपहर उपरांत करीब 2 बजे कॉलेज गेट के सामने से वापस ले गया।  अब देखना यह है कि जन स्वास्थ्य विभाग ऐसी कौन सी तकनीक का इस्तेमाल करेगा ? जिससे कि कालेज परिसर में भरा हुआ गंदा पानी जल्द से जल्द साफ होकर कॉलेज स्टाफ और छात्रों को शुद्ध और राहत भरा पर्यावरण सहित माहौल उपलब्ध हो सके।

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