पंचकूला। कंजूमर एसोसिएशन पंचकूला ने मंगलवार को तम्बाकु निषेध दिवस मनाया।  दुनिया भर में हर साल विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है। कंजूमर एसोसिएशन ने वीडीयो कान्फ्रेसिंग से इस विषय पर गोष्ठी आयोजित की । संस्था के चीफ पैटन एसके जैन ने कहा कि इस दिन का उद्देश्य तंबाकू सेवन के व्यापक प्रसार और नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभावों की ओर ध्यान आकर्षित करना है, जो वर्तमान में दुनिया भर में हर साल 70 लाख से अधिक मौतों का कारण बनता है, जिनमें से 890,000 गैर-धूम्रपान करने वालों का परिणाम दूसरे नंबर पर हैं। संस्था के प्रधान एनसी राणा ने बनाया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के सदस्य राज्यों ने 1987 में विश्व तंबाकू निषेध दिवस बनाया। पिछले इक्कीस वर्षों में, दुनिया भर में सरकारों, सार्वजनिक स्वास्थ्य संगठनों, धूम्रपान करने वालों, उत्पादकों से उत्साह और प्रतिरोध दोनों मिले हैं। उन्होने  कहा कि आज विश्व तम्बाकू निषेध दिवस के अवसर पर हम सभी संकल्प करें कि जीवन में हम कभी भी किसी भी प्रकार के तम्बाकू उत्पादों का सेवन नहीं करेगें। तंबाकू एक धीमा जहर है,जो कि व्यक्ति के शरीर को अंदर से कमजोर एवं खोखला बना देता है। जिससे व्यक्ति तमाम तरह की घातक बीमारियों का शिकार हो जाता है, और तो और कई बार व्यक्ति को इसकी वजह से मृत्यु तक का सामना करना पड़ता है। इसलिए तंबाकू के दुष्प्रभावों के बारे में लोगों को बताने के लिए ही यह दिन मनाया जाता है । उन्होने कहा कि तम्बाकू के सेवन से व्यक्ति के जीवन में शारीरिक एवं मानसिक दुषप्रभाव होते हैं, जिसके लिए आमजन को जागरूक करने तथा तम्बाकू के सेवन से रोकथाम संबंधित नीतियों का कड़ाई से पालन किया जाये।

संस्था के महासचिव वीके शर्मा ने कहा कि कोरोना संक्रमण के चलते दुनिया पर मंडराते मौत के साये के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि धूम्रपान करने वालों को यह बीमारी होने का जोखिम अधिक रहता है और बीमारी की चपेट में आने पर उन्हें सघन चिकित्सा और वेंटिलेटर की जरूरत भी धूम्रपान न करने वालों के मुकाबले कहीं अधिक होती है। वैश्विक वयस्क तंबाकू सर्वेक्षण (जीएटीएस) की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में 15 साल या उससे अधिक उम्र के करीब 30 करोड़ लोग तंबाकू का सेवन करते हैं। इनमें से लगभग 20 करोड़ लोग तंबाकू को गुटखा, खैनी, पान मसाला या पान के रूप में सीधे अपने मुंह में रख लेते हैं, जबकि दस करोड़ लोग ऐसे हैं जो सिगरेट, हुक्का या फिर सिगार में तंबाकू भरकर कश लगाते हैं और इसका धुआं अपने फेफड़ों में भर लेते हैं। वरिष्ठ उपप्रधान केसी जिन्दल व कर्नल गोपाल ने कहा कि दुनिया को तंबाकू के सेवन के दुष्प्रभावों के प्रति सजग करने और इसके प्रयोग को हतोत्साहित करने के इरादे से विश्व स्वास्थ्य संगठन की पहल पर हर वर्ष 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता   उन्होने  ने बताया कि धूम्रपान करने वाले लोगों के शरीर में मुंह से फेफड़ों तक को सुरक्षा देने वाली प्राकृतिक आंतरिक प्रणाली क्षतिग्रस्त हो जाती है और उनके फेफड़ों की हवा को साफ करने की क्षमता भी समय के साथ कम होती जाती है। ऐसे लोग सामान्य परिस्थितियों में भी लंबी सांस नहीं ले पाते हैं। ऐसे में जब ये लोग कोरोना के संपर्क में आते हैं तो इनपर बीमारी का असर अधिक होता है। 

उन्होंने कोरोना संक्रमण के कारण लागू लॉकडाउन को दोहरा अवसर करार देते हुए तंबाकू छोड़ने के इच्छुक लोगों से दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ इससे निजात पाने की अपील की।ने कहा कि धूम्रपान करने वाले लोगों के शरीर में मुंह से फेफड़ों तक को सुरक्षा देने वाली प्राकृतिक आंतरिक प्रणाली क्षतिग्रस्त हो जाती है, जिससे उनके फेफड़ों की हवा को साफ करने की क्षमता भी समय के साथ कम हो जाती है। ऐसे लोग सामान्य परिस्थितियों में भी लम्बी साँस नहीं ले पाते हैं। ऐसे में जब ये लोग कोरोना के संपर्क में आते हैं, तो इन पर बीमारी का अधिक असर होता है।

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