ऑक्सिजन की गड़बड़ी में सेठ एयर प्रोडक्ट्स पर लगे गंभीर आरोप

फरीदाबाद : जब कोटा फिक्स था, ये ऑक्सिजन टेंकर हरियाणा के हैं या दिल्ली के यह लिखकर बताया जा रहा था फिर क्यों हरियाणा के हिस्से की ऑक्सिजन दिल्ली भेजी जा रही थी? यहां मीडिया को जारी एक प्रेस नोट में विधायक एनआईटी फरीदाबाद नीरज शर्मा ने यह सवाल उठाया है।श्री शर्मा ने विस्तार से ब्योरा देते हुए यह आरोप लगाया है कि पिछले लगभग एक महीने से हरियाणा खासतौर से फरीदाबाद और गुरुग्राम ऑक्सिजन किल् लत के भीषण संकट से गुजर रहे हैं। ऐसे में हरियाणा के कोटे की ऑक्जिन को दिल्ली भेज देना बहुत बड़ा अपराध है और इस मामले में सर्व दलीय कमेटी बनाकर सरकार को जांच करवानी चाहिए ताकि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई हो सके।

श्री शर्मा ने बताया कि पानीपत से लिक्विड ऑक्सिजन ततारपुर-जटौला रोड स्थित पलवल की सेठ एयर प्रोडेक्ट कंपनी में आती थी यहां से उसे टैंकरों के माध्यम से हरियाणा व दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों में भेजा जाता था। लेकिन लगातार हरियाणा के कोटे की अनदेखी कर कंपनी से दिल्ली ऑक्सिजन सप्लाई होती रही। यही वजह थी कि हरियाणा में ऑक्सिजन को लेकर लगातार अफरातफरी का माहौल था। जिसके कारण सारा दबाव शहर के अन्य ऑक्सिजन प्लांट पर पड़ गया। 23 अप्रैल 2021 को तो हालात इतने खराब हुए कि प्राइवेट अस्पतालों की टॉप मैनेजमेंट को लिंडसे कंपनी के बाहर जाकर डेरा डालना पड़ा और लगातार प्रशासन से गुहार लगानी पड़ी कि अगर ऑक्सिजन सप्लाई नहीं हुई तो मरीज मर जाएंगे।

हरियाणा के लिए ऑक्सिजन आ रही थी लेकिन ऑक्सिजन हरियाणा को मिल नहीं रही थी ऐसे में अधिकारियों ने बजाय एक ही टैंकर में दिल्ली और हरियाणा के लिए ऑक्सिजन भेजने के 24 अप्रैल 2021 को दो अलग-अलग टैंकर ऑक्सिजन पानीपत से पलवल सेठ एयर प्रोडेक्ट्स को भेजे । टैंकर नंबर एचआर 38 पी 8458 में 13.69 मैट्रिक टन ऑक्सिजन हरियाणा के लिए और एचआर 38 डब्ल्यू 9938 में 16.22 मैट्रिक टन ऑक्सिजन दिल्ली के लिए पलवल प्लांट पहुंची। लेकिन हरियाणा की ऑक्सिजन हरियाणा को नहीं मिली। श्री शर्मा ने कहा कि फरीदाबाद और ग्रुरुग्राम में मरीज ऑक्सिजन के लिए तड़प-तड़प कर दम तोड़ते रहे लेकिन सेठ एयर प्रोडेक्टस से हरियाणा के हिस्से की ऑक्सिजन उन्हें नहीं मिली ।

श्री शर्मा ने कहा कि इस मामले की जांच के लिए उच्च स्तरीय सर्व दलीय कमेटी बनाई जाए और जो भी दोषी हो उसके खिला$फ सख्त से सख्त कार्रवाई हो। विधायक एनआईटी फरीदाबाद का कहना था कि हरियाणा को वैसे भी उसके खाते की ऑक्सिजन नहीं मिल रही है। केंद्र सरकार ने 257 मैट्रिक टन ऑक्सिजन का कोटा हरियाणा को अलॉट किया है लेकिन अप्रैल के अंतिम सप्ताह या मई के पहले सप्ताह में औसतन सिर्फ 160 मैट्रिक टन ऑक्सिजन ही हरियाणा को मिली है यह मैं नहीं कह रहा हूं बल्कि प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव विजय वर्धन ने भारत सरकार के कैबिनेट सैक्रेटरी राजीव गॉबा को 3 मई को पत्र लिखकर यह चिंता जताई जिसमें खुद चीफ सेक्रेटरी ने माना कि हरियाण को वर्तमान कोटा नाकाफी है और उसे 330 मैट्रिक टन ऑक्सिजन चाहिए। 7 मई का उल्लेख करते हुए श्री शर्मा ने कहा कि फरीदाबाद के लिए 20 मैट्रिक टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन का कोटा फिक्स किया गया था लेकिन मिला सिर्फ 13.250 मैट्रिक टन।

श्री शर्मा ने सवाल उठाया कि दिल्ली में औसतन हफ्ते के 18 हज़ार कॉरोना मरीज आ रहे हैं तो उन्हें 800 मैट्रिक टन ऑक्सीजन दी जा रही है जबकि हरियाणा में लगभग 14 हज़ार कॉरोना मरीज औसतन आ रहे हैं लेकिन यहां सिर्फ 160 मैट्रिक टन ऑक्सीजन मिल रही है। ऐसा क्यों? उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में हरियाणा की ऑक्सिजन को दिल्ली भेजे जाने के मामले में गहनता से जांच हो।

श्री शर्मा ने कहा कि मैंने मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखकर सूचित किया है कि जब तक इस मामले की सर्वदलीय कमेटी जांच नहीं करेगी तब तक दूध का दूध और पानी का पानी नहीं होगा। अतः सरकार इस मामले की जांच के लिए सर्व दलीय कमेटी गठित करे। श्री शर्मा ने आरोप लगाया कि इस कंपनी की कालाबाजारी को बचाने के लिए पूरा तंत्र लगा है। 3 मई को सेक्टर 31 में ऑक्सिजन की कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ जब सोशल मीडिया पर लाइव चला कर गोदाम में बंद पड़े 50 से भी ज्यादा ऑक्सिजन भरे सिलेंडरों को दिखाया गया तो कालाबाजारियों को बचाने के लिए उस जगह को इस कंपनी का गोदाम बता दिया गया जबकि उस पूरी बिल्डिंग पर कोई बोर्ड नहीं लगा था। श्री शर्मा ने कहा कि हरियाणा की जनता अपने परिजनों की सांस के लिए अंतिम सांस तक संघर्ष करेगी।

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