सिरसा – किसानों के विरोध के चलते कई नेता अपनी राजनीति जमीन बदल रहे हैं। अब भाजपा नेता पवन बेनीवाल ने भाजपा को अलविदा कह दिया है। पवन बेनीवाल ने किसानों के समर्थन में भाजपा को अलविदा कहने का निर्णय लिया है। भगत सिंह स्टेडियम में चल रहे पक्का मोर्चा में पवन बेनीवाल ने अपने समर्थकों सहित भाजपा को छोड़ने का फैसला किया।

आपको बता दें कि पवन बेनीवाल ऐलनाबाद विधानसभा से दो बार चुनाव लड़ चुके है। पवन बेनीवाल भाजपा के पहले शाशनकाल में हरियाणा बीज निगम के चेयरमैन भी रह चुके है। लेकिन तीन कृषि कानून के विरोध में भाजपा के रूख को देखते हुए पवन बेनीवाल ने यह फैसला किया है।

पवन बैनीवाल 2014 के विधानसभा चुनाव से कुछ समय पहले सक्रिय सियासत में आए। भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। अक्तूबर 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें ऐलनाबाद से टिकट दे दिया। सामने थे उनके सखा रहे अभय सिंह चौटाला। पवन बैनीवाल ने पहले ही चुनाव में खूब मेहनत की, पसीना बहाया। उन्हें 57,623 वोट मिले। पवन बैनीवाल 11,539 वोट से हार गए।

इससे पहले भाजपा ऐलनाबाद में इतनी प्रभावी कभी नजर नहीं आई। एक तरह से 50 हजार से अधिक वोट लेकर पवन बैनीवाल ने अपना व्यक्तिगत वजूद साबित किया। 2019 में भी पार्टी ने उन पर भाग्य आजमाया। इस चुनाव में पवन बैनीवाल को 45,133 वोट मिले और वे करीब 11,922 वोट से हार गए। 2014 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को महज 10 हजार वोट मिले थे जबकि 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया।

पवन बैनीवाल ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र के गांव दड़बा कलां से ताल्लुक रखते हैं। यह एक राजनीतिक गांव है। कांग्रेस के प्रत्याशी भरत सिंह बैनीवाल इसी गांव के रहने वाले हैं। भरत ङ्क्षसह बैनीवाल और पवन बैनीवाल रिश्ते में चाचा-भतीजा लगते हैं। दशकों तक इन दोनों परिवारों में दुश्मनी रही। कुछ अरसा पहले दुश्मनी खत्म हो गई। राजनीतिक जंग फिर भी जारी रही। कई मौकों पर दोनों ही राजनीतिक रूप से एक होने की बात कह चुके हैं।

पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से ग्रेजुएट पवन बैनीवाल कभी अभय सिंह चौटाला के खास रहे। अभय और पवन बैनीवाल की दोस्ती की दुहाई लोग दिया करते थे। दोनों एक साथ घुमने जाते। सिनेमाई दुनिया के सितारों के साथ वक्त बिताते। एक वक्त ऐसा आया जब दोनों की दोस्ती दुश्मनी में बदल गई। दुश्मनी भी ऐसी कि पवन न केवल सियासत में आए, बल्कि अभय के सामने ही चुनावी ताल भी ठोक दी।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि पवन बैनीवाल का अगला कदम क्या होता है। ऐलनाबाद में जुलाई माह में चुनाव संभावित है। पवन बैनीवाल का कांग्रेस में शामिल होना तय माना जा रहा है। भरत ङ्क्षसह बैनीवाल साल 2005 दड़बा विधानसभा से विधायक रह चुके हैं। 2010 में अभय के सामने उपचुनाव लड़ा। 2019 में भी वे कांग्रेस के उम्मीदवार थे। उनकी छवि भी एक दबंग राजनेता की है। वे बेबाक हैं। ऐसे में कांग्रेस में रहते हुए चाचा-भतीजे की जुगलबंदी क्या गुल खिलाती है, यह आने वाला समय ही बताएगा? पर यह तय है कि अगर चाचा-भतीजे दोनों एक हो गए तो बिल्लू भैय्या के लिए ऐलनाबाद की सियासी राह मुश्किल हो सकती है

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