• हिन्दू कन्या महाविद्यालय के वार्षिक महोत्सव में शामिल हुए सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने छात्राओं को किया सम्मानित
• कहा – कृषि कानूनों के दुष्प्रभाव मंडियों में दिखाई देने लगे हैं
• फसल खरीद के समय नये-नये नियम बनाने का औचित्य बताए सरकार
• खरीद के नाम पर बहानेबाजी बंद करे सरकार
• सरकार सुनिश्चित करे कि किसान को कोई परेशानी न हो, फसल के एक-एक दाने की हो खरीद

जींद, 3 अप्रैल। राज्य सभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा आज जींद में कई कार्यक्रमों में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि नमी का बहाना बनाकर किसानों के लिये मुश्किल पैदा करना चाहती है सरकार। हरियाणा में कई जगह पूरी तरह फसल आ चुकी है। लेकिन, सरकार खरीद शुरु होने के समय नये-नये नियम बनाकर किसानों के लिये मुश्किल पैदा करना चाहती है। उन्होंने बताया कि इस साल एफसीआई खरीद के नये नियम लेकर आयी है, जिसके तहत एफसीआई ने नमी का मानक 14 प्रतिशत से घटाकर 12 प्रतिशत कर दिया है। इसके अलावा फॉरेन पार्टिकल के प्रतिशत को घटाने का काम भी किया है। सरकार फसल खरीद के समय नये-नये नियम बनाने का औचित्य बताए। उन्होंने यह भी जोड़ा कि 3 कृषि कानूनों के दुष्प्रभाव मंडियों में अब साफ दिखाई देने लगे हैं। उन्होंने आशंका जताई कि नये नियमों की आड़ में कहीं सरकार की ये मंशा तो नहीं कि खरीद कम की जाए, सरकार अपनी मंशा स्पष्ट करे। सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि जो किसान अपनी फसल लेकर मंडी में पहुंच रहे हैं तो उन्हें वेब पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन और सर्वर डाउन का बहाना बनाकर परेशान किया जा रहा है। सरकार खरीद के नाम पर बहानेबाजी बंद कर ये सुनिश्चित करे कि मंडियों में अपनी फसल बेचने आये किसान को कोई परेशानी न हो, उसकी फसल के एक-एक दाने की खरीद हो।

दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि सरकार फसल खरीद शुरु होने का दावा तो कर रही है, लेकिन मंडियों में तमाम सरकारी दावों की धज्जियां उड़ रही हैं। कहीं बारदाना नहीं है, तो कहीं किसानों को टोकन ही नहीं मिल पा रहा है, मंडियों में अपनी उपज बेचने पहुंचे किसानों को तमाम दुश्वारियों का सामना करना पड़ रहा है और सरकार के तमाम इंतजामों की पोल खुल गयी है। बदइंतजामी के चलते कई जगहों पर तो किसानों को मंडियों के गेट पर या कार्यालय में धरना तक देना पड़ रहा है।

सांसद दीपेन्द्र हुड्डा हिन्दू कन्या महाविद्यालय के वार्षिक महोत्सव में शामिल हुए और छात्राओं को सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में सरकार को जो पहल करनी चाहिए थी वह उससे पीछे हट गयी। बच्चों के भविष्य को निजीकरण के सहारे छोड़ दिया। ग्रामीण अंचल में सरकारी स्कूल और सरकारी शिक्षा प्रणाली का महत्व होता है। इस सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में हरियाणा के युवाओं को धोखा दिया है। यही कारण है कि आज हरियाणा का युवा देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर झेलने पर मजबूर हो गया है। इस सरकार ने प्रदेश के युवाओं के भविष्य को अंधकार में ढकेलने का काम किया है। नये स्कूल खोलने की बात तो दूर सरकार ने छात्रों की संख्या कम दिखाकर बहुत से स्कूल बंद कर दिये। किसान मॉडल स्कूल बंद कर दिये। प्राईमरी शिक्षा हो या सेकेंडरी शिक्षा सरकारी की दिशाहीन नीतियों के चलते सरकारी स्कूलों में ताले लग गये हैं। उन्होंने बताया कि हुड्डा सरकार के 10 साल के कार्यकाम में कई स्कूल अपग्रेड हुए। उच्च शिक्षा की बात की जाए तो 10 साल में 21 यूनिवर्सिटी,18 राष्ट्रीय स्तर के संस्थान खोले गये। वहीँ, मौजूदा सरकार के कार्यकाल में एक भी नया विश्वविद्यालय, कोई मेडिकल कॉलेज स्थापित नहीं हुआ, यही नहीं, पुराने समय के मंजूरशुदा मेडिकल कॉलेज भी अभी तक नहीं बने। इस सरकार ने 7 साल में हरियाणा का भट्ठा बैठा दिया है।

इस दौरान प्रमुख रूप से विधायक सुभाष गांगोली, विधायक बलबीर बाल्मीकि, विधायक इंदुराज नरवाल, पूर्व विधायक परमिंदर ढुल, धर्मेंद्र ढुल, पूर्व विधायक सुल्तान सिंह जडोला, वीरेंद्र गोगड़िया, बलजीत रिढाऊ, जगबीर ढिगाणा, मंजीत लाठर, रोहित दलाल, अनिल दलाल, दलबीर रिढाऊ, दरवेश पुनिया, बलराम कटवाल, संजीव कल्याण, सुरेश गोयत, अंशुल सिंगला, मोहित लाठर, मनदीप धनोदा, जिला पार्षद दिनेश समेत अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।

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