चण्डीगढ़, 6 जनवरी-हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि प्रदेश के हर खेत को पानी पहुंचाने के उद्देश्य से एक नई माइक्रो इरीगेशन योजना शुरू की गई है। पहले चरण में इस योजना के तहत चार जिलों-भिवानी, दादरी, महेंद्रगढ़ और फतेहाबाद को शामिल किया गया है। नाबार्ड ने भी इस योजना पर सब्सिडी देने पर सहमति जताई है। 

उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत कम से कम 25 एकड़ या इससे अधिक जमीन का कलस्टर बनाने वाले किसानों को सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली के जरिए पानी मुहैया करवाया जाएगा। इसके लिए जल्द ही एक पोर्टल बनाकर इच्छुक किसानों से आवेदन मांगे जाएंगे। 

मुख्यमंत्री आज यहां राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा ‘किसानों की आय में वृद्धि के लिए कृषि उत्पादों का समूहन’ विषय पर आयोजित स्टेट क्रेडिट सेमिनार 2021-2022 के दौरान बोल रहे थे। सेमिनार में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री जय प्रकाश दलाल तथा सहकारिता मंत्री डॉ. बनवारी लाल बतौर विशिष्ट अतिथि मौजूद रहे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने स्टेट फोकस पेपर 2021-2022 का विमोचन भी किया। 

श्री मनोहर लाल ने कहा कि देश और राज्य की अर्थव्यवस्था को कोविड-19 के कारण बहुत बड़ा झटका पहुंचा है। अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में संकट को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत विभिन्न क्षेत्रों के लिए 20 लाख करोड़ रुपये का जो राहत पैकेज दिया है उसमें से हमें कम से कम 80 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाएं प्रदेश में लेकर आनी हैं ताकि लोगों का जीवन बेहतर हो सके। साथ ही, उन्होंने कहा कि योजनाएं बनाते समय हमें गरीब से गरीब व्यक्ति को ध्यान में रखना है क्योंकि जब तक पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति तक लाभ यानी ‘अंत्योदय’ नहीं हो जाता तब तक हमारा उद्देश्य पूरा नहीं होता। उन्होंने कहा कि समाज में मुख्य तौर पर दो वर्ग हैं जिनमें से एक आत्मनिर्भर है जबकि दूसरा वर्ग ऐसा है जिसे सहायता की जरूरत है। इस वर्ग की सहायता के लिए न केवल सरकार द्वारा कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं बल्कि समाज के उस आत्मनिर्भर वर्ग से भी यह उम्मीद है कि वह भी इस वर्ग की सहायता करे। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रगतिशील किसानों का मूल्यांकन 8-10 मानकों के आधार पर किया जाएगा जिसके लिए एक पोर्टल बनाया जाएगा। इन किसानों के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ऐसा एक किसान आगे कम से कम 10 किसानों को प्रगतिशील किसान बनने के लिए प्रोत्साहित करे। इसी तरह, पैरीअर्बन फार्मिंग के तहत एनसीआर में आने वाले जिलों को परम्परागत खेती की बजाय वहां की जरूरतों के हिसाब से खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि खेती से जुड़ी हर सहायक गतिविधि की लिस्ट बनाकर इसके लिए अलग से योजना बनाई जाए और ‘एक जिला एक उत्पाद’ के हिसाब से कार्य किया जाए। इसके अलावा, लक्ष्य लंबी अवधि का न होकर एक साल के लिए निर्धारित किया जाए। साथ ही, उन्होंने बैंक प्रतिनिधियों से मुखातिब होते हुए कहा कि लगभग 400-500 गांवों में किसी बैंक की शाखा नहीं है। ऐसे गांवों में भी बैंकिंग सुविधाएं पहुंचाने की जरूरत है। इसके लिए 5 गांवों पर एक मोबाइल वैन की व्यवस्था की जा सकती है। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को भी प्रोत्साहित कर रही है। इस दिशा में फसलों की आसानी से बिक्री व उचित मूल्य प्रदान करने के लिए प्रदेश में अब तक 486 एफपीओ बनाए जा चुके हैं। ये संगठन खेती से आय बढ़ाने के लिए कटाई के बाद के प्रबंधन और प्रसंस्करण सुविधाओं के सृजन का कार्य भी कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से सुशासन स्थापित करने की दिशा में अनेक ठोस कदम उठाए गए हैं। इसी कड़ी में, प्रदेश के तकरीबन 7 हजार गांवों में से 42 को छोडक़र सभी गांवों के राजस्व रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण का कार्य पूरा हो चुका है और लिंक भी मुहैया करवा दिया गया है। इससे राजस्व रिकॉर्ड में पारदर्शिता सुनिश्चित होगी और भूमि की खरीद-फरोख्त में भी किसी तरह की धोखाधड़ी की गुंजाइश नहीं होगी। उन्होंने बताया कि फसल का सटीक वार्षिक रिकॉर्ड एकत्र करने के लिए ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ पोर्टल विकसित किया गया है। इसके माध्यम से यह पता लगाया जा सकता है कि किसान ने कितनी भूमि पर कौन सी फसल बोई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की एक-एक इंच जमीन की पहचान करने के मकसद से स्वामित्व के नाम से एक महत्वाकांक्षी योजना शुरू की गई है। हरियाणा की तर्ज पर ही केंद्र सरकार द्वारा भी अब 6 राज्यों में यह कार्यक्रम शुरू किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में लगभग 3-4 लाख  एकड़ लवणीय भूमि है जिसमें से हमें एक साल में एक लाख एकड़ जमीन को ठीक करना है। इस पर प्रति एकड़ लगभग 30 हजार रुपये का खर्च आएगा जिसके लिए पीपीपी पद्धति पर योजना बनाने की आवश्यकता है। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में जल संरक्षण के उद्देश्य से चलाई जा रही ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना के तहत किसानों को प्रति एकड़ 7 हजार रुपये का प्रोत्साहन दिया जा रहा है जिसके परिणामस्वरूप पिछले एक साल के दौरान धान के रकबे में 80 हजार एकड़ की कमी आई है। उन्होंने पानी संरक्षण की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि हमें किसानों को इस बारे में जागरूक करना होगा और फसल बोने से 3 महीने पहले ही यह बताना होगा कि इस बार किस फसल का कितना लक्ष्य निर्धारित किया गया है। खरीफ फसल के लिए उन्होंने कृषि विभाग के अधिकारियों को अभी से तैयारी करने के निर्देश दिए। 

श्री मनोहर लाल ने कहा कि प्रदेश में तालाबों के पुनरोद्धार के लिए तालाब प्राधिकरण का गठन किया गया है।  इसके तहत, पहले चरण में 1700 तालाबों की सफाई की जाएगी ताकि गांवों का पानी गलियों में न फैले और इसे सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया जा सके। इसके लिए अलग से कमांड एरिया निर्धारित किए जाएंगे। जल स्तर में सुधार के उद्देश्य से, ‘अटल भूजल योजना’ भी चलाई जा रही है। इस परियोजना के तहत 13 जिलों के अत्यधिक भूजल दोहन व निरंतर घटते भूजल स्तर वाले और गंभीर श्रेणी में आने वाले 36 ब्लॉक चुने गए हैं।

उन्होंने कहा कि कृषि एवं ग्रामीण विकास तथा ग्रामीण क्षेत्रों के कमजोर वर्गों के लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक अर्थात नाबार्ड की स्थापना की गई थी। इस बैंक ने पिछले 39 वर्षों में ‘ऋण द्वारा विकास’ के सिद्धांत पर चलते हुए अपनी विभिन्न विकासात्मक पहलों के जरिये किसानों के आर्थिक एवं सामाजिक उत्थान तथा कृषि, छोटे उद्योगों एवं ग्रामीण विकास में सराहनीय भूमिका निभाई है। 

इस मौके पर मुख्यमंत्री ने एफपीओ-शक्तिवर्धक मिल्क प्रोड्यूसर कम्पनी, हिसार के निदेशक श्री सात्विक और नीलोखेड़ी फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी, करनाल के चेयरमैन श्री सरदार सिंह को पुरस्कार देकर सम्मानित भी किया।

सेमिनार के दौरान नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक श्री राजीव महाजन, भारतीय रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय निदेशक श्री ज्योति कुमार पांडे और एसएलबीसी के कंवीनर श्री एस.ए.पाणिग्रहि ने भी अपने विचार रखे। नाबार्ड के महाप्रबंधक श्री बी.के.बिष्टï ने हरियाणा से जुड़ी नाबार्ड की परियोजनाओं पर प्रस्तुतिकरण दिया।  

इसके अलावा, वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री टीवीएसएन प्रसाद तथा मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री वी.उमाशंकर ने भी कई रचनात्मक सुझाव दिए। 

सेमिनार में मुख्यमंत्री की उपप्रधान सचिव श्रीमती आशिमा बराड़, एमएसएमई विभाग के महानिदेशक श्री विकास गुप्ता, हैफेड के प्रबंध निदेशक श्री डी.के बेहरा, सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार श्री आर.एस. वर्मा, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के महानिदेशक श्री विजय सिंह सहित राज्य सरकार के कई वरिष्ठï अधिकारी, नाबार्ड के अधिकारी तथा विभिन्न बैंकों और बीमा कंपनियों के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।

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