24 अक्टूबर 2020 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि जिस तरह दक्षिणी हरियाणा में न्यूनतम समर्थन मूलय पर मंडियों में बाजरा की सरकारी खरीद की नौटंकी चल रही है, उससे लगता है कि 14 नवम्बर को खरीद बंद होने की तारीख तक सरकारी पोर्टल पर रजिस्टेऊशन करवाने वाले आधे किसानों का भी बाजरा सरकारी भाव पर नही खरीदा जा सकेगा।

विद्रोही ने कहा कि खरीद प्रक्रिया को शुरू हुए 25 दिन बीत गए है, अभी तक सरकारी एजेंसियों ने पोर्टल पर रजिस्ट्रशन करवाने वाले दस प्रतिशत किसानों का भी बाजरा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नही खरीदा है। अब खरीद प्रक्रिया को बंद होने में मात्र 20 दिन बचे है, जिसके बीच में 6-7 रोज मंडियों में सरकारी खरीद का अवकाश रहने वाला है। ऐसी स्थिति में खरीद के बचे 13-14 कार्य दिवसों में सरकार पोर्टल पर रजिस्टेऊशन करवाने वाले 45 प्रतिशत से ज्यादा और किसानों का बाजरा नही खरीद पायेगी।

विद्रोही ने कहा कि कोरोना की आड़ में कछुआ गति से बाजरा खरीद प्रक्रिया से साफ है कि 14 नवम्बर तक सरकारी पोर्टल पर रजिस्टेऊशन करवाने वाले केवल 45 प्रतिशत किसानों का ही बाजरा एमएसपी पर खरीदा जा सकेगा और 55 प्रतिशत किसान रजिस्टेऊशन के बाद भी अपना बाजरा नही बेचे पाएंगे और वह भी जब किसानों के भारी विरोध व असंतोष के बाद सरकार ने अब पहले से तीन गुणा ज्यादा किसानों को रोज मंडी में बुलाने का फैसला किया है। अब देखना यह है कि उक्त फैसला केवल कागजों रहेगा या जमीन पर उतर पायेगा।

विद्रोही ने इसका उदाहरण देते हुए बताया कि अकेले रेवाड़ी जिले में 48627 किसानों ने अपना बाजरा एमएसपी पर बेचने के लिए सरकारी पोर्टल पर अपना रजिस्टेशन करवाया है, जिसमें विगत 25 दिनों में लगभग 3500 किसानों का ही बाजरा सरकार ने खरीदा है। इस गति से खरीद प्रक्रिया के बचे 13-14 कार्यदिवयों में कितने किसानों का और बाजरा खरीद पायेगी, स्वयं अनुमान लगा ले। हरियाणा भाजपा सरकार बाजरा, धान, कपास, मूंग, मक्का की न्यूनतम समर्थन मूलय पर खरीदने की नौटंकी करके मीडिया में बयानबाजी करके लोगों को मूर्ख बना रही है, पर वास्तव में खरीद नही रही है।

 विद्रोही ने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर का पंजाब विधानसभा में पारित किसान कानूनों को किसान विरोधी व मोदी सरकार द्वारा पारित किसान बिलों को किसान हितैषी बताने से ही संघीयों की असली नियत सबके सामने आती है। सवाल उठता है कि पंजाब कांग्रेस सरकार द्वारा बनाये गए कानून अनुसार एमएसपी पर अनिवार्य रूप से फसले खरीदना व एमएसपी से कम भाव पर फसले खरीदने पर 3 साल की सजा का प्रावधान कैसे किसान विरोधी है? और मोदीजी के कानून अनुसार बिना एमएसपी गंारटी के बड़े पूंजीपतियों को मनमाने भाव पर फसले हडपना कैसे किसान हितैषी है?

विद्रोही ने कहा कि केन्द्र की सरकार हो या हरियाणा की भाजपा की सरकार, ये संघी सरकारे जुमलेबाजी, नौटंकी, महाझूठ से किसानों को ठगकर उनकी फसले व जमीन पंूजीपति सस्ते में कैसे हडपे, इसका षडयंत्र रच रही है और इस षडयंत्र की पोल खोलकर किसानों को इस लूट से बचाने के लिए कानूनी प्रावधान करने वाली कांग्रेस सरकार को किसान विरोधी बताने का महाझूठ पेलकर लोगों को ठग रही है। 

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