धर्म पाल वर्मा

आज देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री जननायक स्वर्गीय चौधरी देवी लाल का जन्मदिन है lचौधरी देवी लाल को किसानों का हीं नहीं मजदूरों और समाज के दबे कुचले लोगों का भी मसीहा कहां जाता है वह इसलिए की उन्होंने जीवन भर उपरोक्त इन्हीं लोगों के लिए संघर्ष किया और इन सब को राजनीतिक तौर पर मजबूत करने और सत्ता में भागीदार बनाने का काम किया l चौधरी देवीलाल ने राजनीति मैं कभी वैराग्य नहीं देखा l

आप सब जानते हैं की मेवाड़ के महाराणा प्रताप प्रताप सिंह ने कभी कोई युद्ध नहीं जीता परंतु हारे हुए ऐतिहासिक युद्ध में वह वीरता आक्रामकता और शौर्य के परिचायक बन गए lचौधरी देवीलाल ने भी चुनाव जीते कम, हारे ज्यादा lलेकिन हार के बाद भी वह सदा नेता बने रहे lयह सबके बस की बात नहीं l

चौधरी देवी लाल एक शुद्ध राजनीतिक व्यक्ति थे और किसी तरह का रिस्क लेने में 1 सेकंड का भी वक्त नहीं लगाते थे l चौधरी देवी लाल देश के अकेले ऐसे नेता हैं जिन्होंने वक्त आने पर यह कहा था कि मैं किसान पहले हूं और मुख्यमंत्री बाद में l परंतु यह भी सच है कि उनके इस वक्तव्य के बाद उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी से हाथ धोना पड़ गया था परंतु उन्हें इस बात का कभी मलाल नहीं रहा lइसी एक बात ने चौधरी देवीलाल को राजनीति के शिखर पर पहुंचा दिया थाl

यह घटना उस समय की है जब मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री होते थे l चौधरी चरण सिंह गृह मंत्री थे l किसी बात पर चौधरी चरण सिंह ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और अपने जन्मदिन के उपलक्ष में दिल्ली में बोट क्लब पर रैली करने का फैसला ले लियाl चौधरी देवी लाल हरियाणा के मुख्यमंत्री थे l प्रधानमंत्री श्री मोरारजी देसाई ने उन से अनुरोध किया कि वे चौधरी चरण सिंह की रैली में शामिल ना हो और लोगों को भी दिल्ली में भेजें lलेकिन चौधरी चरण सिंह ने देवीलाल ने ऐसा करने से इंकार कर दिया और रैली में हिस्सा लिया lउस समय उन्होंने कहा था कि मैं किसान पहले हूं और मुख्यमंत्री बाद में l

चौधरी देवी लाल कभी चुनाव से नहीं घबराते थे lजब चुनाव आता वह नामांकन दाखिल करने पहुंच जाते थे l चुनाव की यह कमाई आज चौधरी देवीलाल के पद चिन्हों पर होने वाले सभी लोगों के काम आ रही है l

इस बारे में एक उदाहरण दिया जा सकता है lचौधरी देवीलाल 1980 में सोनीपत से सांसद थे l परंतु जब 1982 में विधानसभा के चुनाव हुए तो उन्होंने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया और विधानसभा का चुनाव महम से लड़ा lचुनाव जीत गए l उन्हें लगता था कि वे मुख्यमंत्री बनेंगे परंतु मुख्यमंत्री बन गए चौधरी भजन लाल lफिर 1983 में सोनीपत का लोकसभा उपचुनाव हुआ lउन्होंने वह चुनाव भी लड़ा lइसमें कांग्रेस के रिजक राम जीत गए lचो देवीलाल चुनाव हार गए l

1984 का लोकसभा चुनाव हुआ चौधरी देवी लाल ने फिर सोनीपत से चुनाव लड़ा और कांग्रेस के उम्मीदवार धर्मपाल सिंह मलिक से थोड़ी से मतों से हार गए l उसके बाद वे 1989 का लोकसभा का चुनाव आया तो उन्होंने एक दो नहीं तीन जगह से चुनाव लड़े रोहतक सीकर( राजस्थान ) और फिरोजपुर( पंजाब) lक्या देश में कोई और नेता कभी ऐसा कर पाया है l चौधरी देवी लाल रोड़ी सिरसा फतेहाबाद महम विधायक रहे l परंतु 1972 में भी उन्होंने इसी तरह चुनाव लड़ने का क्रम जारी रखा था l

आपको बता दें कि इस चुनाव में उन्होंने एक साथ आदमपुर से चौधरी भजन लाल किला तो तोशाम से चौधरी चौधरी बंसीलाल के खिलाफ चुनाव लड़े और दोनों जगह से हार गए परंतु इससे उनके जुझारूपन का पता लगता है l चौधरी देवीलाल कहा करते थे कि लोकतंत्र में जो व्यक्ति लोगों के बीच में रहेगा वह कभी हार नहीं सकता l उनके बारे में एक बात सारा जहान जानता है कि वे यदि रूठ जाते थे तो हाथ जोड़ने से ही मान जाते थे पुरानी लड़ाई नाराजगी को दिल में नहीं रखते थे l यही कारण था जिस व्यक्ति ने भी चौधरी देवीलाल के साथ धोखा किया उसी का राजनीतिक कैरियर चौपट हुआ l क्योंकि देवीलाल ने समाज के हर व्यक्ति का भला करने की कोशिश की

उन्होंने वृद्धावस्था और विधवा पेंशन की व्यवस्था की l गरीब महिला दलित महिला के प्रसव के समय आर्थिक सहायता देने की शुरुआत की घुमक्कड़ लोगों को भी तरह-तरह की मदद पहुंचाने का काम किया lपिछड़े वर्गों के लोगों को राज्यसभा विधानसभा भेजने की शुरुआत चौधरी देवी लाल के हाथ से हुई lचौधरी देवी लाल मजबूत इच्छाशक्ति के राजनीतिक व्यक्ति थे l उन्होंने पूरे देश के किसानों को प्रभावित किया और अपना प्रभाव जमाया lप्रधानमंत्री के रूप में नाम आने के बावजूद उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह का नाम आगे कर त्याग और तपस्या का जो उदाहरण पेश किया उसे सदियों तक भुलाया नहीं जा सकेगा l

बेशक 1989 के बाद चौधरी देवीलाल लोकसभा या विधानसभा का कोई चुनाव नहीं जीत पाए अंत में राज्यसभा के सदस्य बने परंतु एक समय ऐसा था जब उनका बेटा देश का मुख्यमंत्री एक पोता लोकसभा का सदस्य एक पोता विधायक और वे खुद राज्यसभा के सांसद थे चौधरी देवी लाल संयुक्त पंजाब में पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने l

चौधरी देवीलाल धुन के बड़े पक्के थे वे संयुक्त पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री सरदार प्रताप सिंह कैरों का सहयोग भी करते थे और वे गलत चलते तो उनके लिए परेशानी भी पैदा कर देते थे l

बहुत कम लोगों को पता है कि जब सरदार प्रताप सिंह कैरों ने हरियाणा क्षेत्र के नेता राव बिरेंदर सिंह को अपने मंत्रिमंडल से ड्रॉप कर दिया तो चौधरी देवीलाल खफा हो गए बाद में उनकी लड़ाई प्रताप सिंह कैरों से इतनी मुखर हो गई कि उन्होंने उनके खिलाफ राष्ट्रपति को एक पत्र लिख दिया जिसमें उन के विरुद्ध भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे l इस पर एक कमीशन का गठन हुआ जांच हुई प्रताप सिंह कैरों दोषी पाई गई और वह भ्रष्टाचार के आरोप में पद से हटाए गए देश के पहले मुख्यमंत्री हो गए l

चौधरी देवी लाल के निधन के बाद पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस के नेता चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा किस तरह किसानों में लोकप्रिय हुए उसका एक वाक्य या आपकी नजर है भूपेंद्र सिंह हुड्डा प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और सत्ता के लिए संघर्ष कर रहे थे उन्होंने 9 अप्रैल 2003 को पानीपत में ललकार रैली का आयोजन कर रखा था सारी तैयारियां कर ली गई थी अप्रैल को देवीलाल का निधन हो गया चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कल के खिलाफ चुनाव लड़े परंतु उनके निधन की खबर सुनते ही चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पानीपत की ललकार रैली स्थगित कर दी यह एक तरह से चौधरी देवीलाल को दी गई श्रद्धांजलि थी इस फैसले का किसानों ने अर्थ निकाला भूपेंद्र सिंह हुड्डा जहां शानदार राजनीतिक व्यक्ति हैं वही उनका सामाजिक दृष्टिकोण भी काबिले तारीफ है समझा जाता है कि फैसले ने चौधरी भूपेंद्र सिंह हरियाणा की राजनीति मे स्थापित कर दिया l

आज चौधरी देवीलाल का एक गीता रंजीत सिंह हरियाणा सरकार में कैबिनेट मंत्री 2 पोते विधायक एक पोत्रवधू विधायक एक पर पोत्र प्रदेश का उपमुख्यमंत्री और एक पोता सिरसा जिला भाजपा का अध्यक्ष है यह कोई छोटी बात नहीं है l

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