रोडवेज पंचकूला के ड्राइवर की विधवा को फैमली पेंशन देने का था मामला
बुरे फंसे हरियाणा रोडवेज महाप्रबंधक, पेंंशन में अटकाया रोड़ा, जुर्माने के साथ चलेगा अवमानना का केस

चंडीगढ़। हरियाणा रोडवेज चंडीगढ़ के महाप्रबंधक को 29 साल से पेंशन का इंतजार कर रही एक कर्मचारी की विधवा की पेंशन में रोडा अटकाना महंगा पड़ गया। हाईकोर्ट ने महाप्रबंधक पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए हाई कोर्ट की रजिस्ट्री को उनके खिलाफ संज्ञान लेकर अवमानना का केस शुरू करने का भी निर्देश दिया है।

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक कर्मचारी की विधवा को पेंशन देने के निर्देश दिए थे लेकिन महाप्रबंधक ने इसमें रोड़ा अटका दिया। हरियाणा रोडवेज पंचकूला के एक ड्राइवर की विधवा को फैमली पेंशन देने का मामला था। विधवा रामरती के पति सजन सिंह हरियाणा रोडवेज में ड्राइवर के पद पर तैनात थे। उनकी 28 सितंबर 1991 को मौत हो गई थी। तब से लेकर आज तक महिला फैमली पेंशन व अन्य लाभ की आस लगाए बैठी है। महिला ने 2017 में हाई कोर्ट में याचिका भी दायर की थी। हाई कोर्ट ने पिछले साल 28 दिसंबर को हरियाणा रोडवेज के महानिदेशक के आश्वासन के बाद याचिका का निपटारा कर दिया था। हाई कोर्ट ने विभाग को आदेश दिया था कि विभाग तीन महीने में ब्याज समेत रामरती को उसकी सभी लाभ राशि जारी कर देगा, लेकिन हरियाणा रोडवेज चंडीगढ़ के महाप्रबंधक अमरिंदर सिंह ने इस आदेश के खिलाफ समय सीमा बीत जाने के बाद भी पिछले महीने हाई कोर्ट में एक पुनर्विचार याचिका दायर कर इस आदेश को गलत बताते हुए दोबारा विचार करने की मांग कर डाली।

हाई कोर्ट ने महाप्रबंधक की पुनर्विचार याचिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि विभाग कैसे एक विधवा महिला को पिछले 29 साल से मानसिक तौर पर प्रताड़ित कर रहा है, जबकि वह सभी लाभ की हकदार है। रोडवेज के महानिदेशक ने भी हाईकोर्ट में इस बात को स्वीकार किया है, लेकिन महाप्रबंधक कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग कर है।

हाई कोर्ट कोरोना के चलते प्रतिबंधित सुनवाई कर रहा है, लेकिन महाप्रबंधक ने अनावश्यक तौर पर कोर्ट के आदेश की अवहेलना की व कोर्ट का समय बर्बाद किया है। हाई कोर्ट के जस्टिस एचएस सेठी ने पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए महाप्रबंधक को पचास हजार रूपये का जुर्माना लगाते हुए प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा करवाने का आदेश दिया। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि जुर्माने की यह राशि महाप्रबंधक के जेब से ली जाए न कि सरकारी खजाने से अदा की जाए। जुर्माना भरने की जानकारी हाई कोर्ट को भी दी जाए। हाई कोर्ट ने हाई कोर्ट की रजिस्ट्री को भी आदेश दिया कि इस मामले में संज्ञान लेकर महाप्रबंधक के खिलाफ हाई कोर्ट की अवमानना का मामला चलाया जाए।

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