उमेश जोशी

प्रधानमंत्री की अपील को ठेंगा दिखाया गया है या ‘आरोग्य सेतु’ बेअसर है। दोनों में से कोई तो एक वजह तो ज़रूर है। यह सवाल इसलिए उठा है कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता, कृषि मंत्री जेपी दलाल और परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा के अलावा चार विधायक और दो सांसद कोरोना की चपेट में आ गए।  इन्होंने या तो आरोग्य डाउनलोड नहीं कर रख था और यदि इनके पास एप्प था तो इन्हें अपने आसपास के संक्रमित लोगों की जानकारी क्यों नहीं मिली। यदि जानकारी मिल गई थी तो उनसे दूरी क्यों नहीं बनाई गई और लापरवाही क्यों की?

मुख्यमंत्री के ओएसडी भूपेश्वर दयाल मुख्यमंत्री के आइटी सलाहकार ध्रुव मजूमदार, मुख्यमंत्री की कोठी के दस अन्य कर्मचारी कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। क्या इनमें से किसी के पास भी आरोग्य सेतु एप्प नहीं था। किसी एक के पास भी यह एप्प होता तो वो खतरे की आहट सुन लेता; खुद भी सतर्क हो जाता और दूसरों को भी सचेत कर देता।  

 केंद्र में बीजेपी की सरकार ने कोरोना से बचने के लिए मई महीने में ‘आरोग्य सेतु’ एप्प जारी किया था। यह एप्प साधारण नहीं था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद लोगों से अपील की थी कि वे इस एप्प को अपने मोबाइल फोन में डाउनलोड करें।

मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी थी कि खुद डाउनलोड करते और स्टाफ के हर व्यक्ति से डाउनलोड करवाते। विधायक खुद इतने ज़िम्मेदार हैं कि उन्हें प्रधानमंत्री की अपील का सम्मान करते हुए डाउनलोड कर लेना चाहिए था। सभी की सुरक्षा के लिए ऐसा करना ज़रूरी था। 

हालात को देखते हुए ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री समेत बीजेपी के मंत्रियों, सांसदों और विधायकों ने प्रधानमंत्री की अपील का शायद सम्मान नहीं किया यानी सुरक्षा की दृष्टि से बेहद ज़रूरी एप्प आरोग्य सेतु डाउनलोड नहीं किया। यदि वे दावा करते हैं और निश्चित तौर पर दावा करेंगे भी, कि एप्प डाउनलोड की हुई थी तो बड़ा सवाल यह कि मुख्यमंत्री की कोठी में 10 कर्मचारियों को कोरोना संक्रमण क्यों हुआ। संक्रमण का एक मामला होने पर ही एप्प सूचना दे देता है और वो सूचना पाकर आसपास के सभी लोग सतर्क हो जाते हैं। 

यदि बीजेपी के सभी संक्रमित नेता दावा करते हैं कि उनके फ़ोन में आरोग्य सेतु एप्प थी तो वे एप्प के जरिये आसपास के संकमितों की जानकारी पाने के बाद भी सतर्क क्यों नहीं हुए। कोई भी व्यक्ति जानबूझ कर संकमितों के बीच जाने का जोखिम नहीं लेता। इसका सीधा-सा मतलब है कि मुख्यमंत्री, स्पीकर, मंत्रियों, सांसदों और विधायकों को अपने इर्दगिर्द संकमितों की जानकारी ही नहीं थी। वो इसलिए नहीं कि उनके पास एप्प नहीं होगा। यदि एप्प था फिर भी संकमितों के बारे में जानकारी नहीं मिली तो क्या एप्प बेअसर है। यदि ऐसा है तो इन सभी को चाहिए कि इस एप्प के बारे में भारत सरकार को रिपोर्ट दें।

यह एप्प भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक एंड इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी  मंत्रालय ने अपने नेशनल इन्फार्मेटिक्स सेन्टर (एनआईसी) से तैयार करवाया है और बेहद कारगर है। सरकार का दावा है कि यह एप्प कोविड-19 संक्रमण के प्रसार, जोखिम और बचाव एवं उपचार के लिए लोगों तक सही और सटीक जानकारी देने का काम करेगा। लॉकडाउन 4.0 के दिशा-निर्देशों में भी कहा गया है कि ‘आरोग्य सेतु’ मोबाइल एप्प भारत सरकार द्वारा बनाया गया एक शक्तिशाली माध्यम है, जो कोविड-19 से संक्रमित लोगों की तुरंत पहचान की सुविधा देता है।

शक्तिशाली माध्यम है तो बीजेपी नेताओं ने इसका इस्तेमाल क्यों नहीं किया। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता, कृषि मंत्री जेपी दलाल और परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा के अलावा चार विधायक कोरोना की चपेट में आ गए। इन चार विधायकों में रामकुमार कश्यप (इंद्री), असीम गोयल (अम्बाला शहर), लक्ष्मण नापा (रतिया) और हरविंदर कल्याण (घरौंडा) शामिल हैं। इनके अलावा करनाल के सांसद संजय भाटिया और कुरुक्षेत्र के सांसद नायाब सैनी भी कोरोना संक्रमित हैं।

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