मांगे नहीं मानी जाने तक जारी रहेगी आशा की स्ट्राइक. आशा नहीं होती तो करोना में अमेरिका से बुरा होता हाल फतह सिंह उजाला पटौदी । अपनी मांगों को लेकर बीते काफी समय से आंदोलनरत आशा वर्कर एक बार फिर से सरकार पर गरजी हैं । आशा वर्कर ने साफ-साफ दो टूक कहा कि जब तक उनकी मांगे नहीं मानी जाएंगी आशा वर्कर्स की स्ट्राइक जारी रहेगी । यह बात सीआईटीयू की प्रधान परवेश ने आशा वर्कर्स को संबोधित करते हुए कही । आशा वर्कर्स संबंध सीआईटीयू की प्रधान परवेश ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि आशा वर्कर को जो 4000 मानदेय मिल रहा है, सरकार उसे महंगाई भत्ते के साथ जोड़ें । उन्होंने कहा कोरोना कोविड-19 महामारी के दौरान महंगाई बेकाबू होती जा रही है। ऐसे में आशा वर्कर के लिए गुजारा करना मुश्किल हो चुका है। आशा वर्कर के परिवार में बच्चे, सास-ससुर स्वयं तथा अन्य सदस्य भी शामिल हैं । सरकार स्वयं सोचे कि 4000 में परिवार का कैसे भरण-पोषण होगा ? इसी 4000 में आशा वर्कर्स के और भी विभिन्न प्रकार के खर्चे शामिल हैं , जो कि उन्हें अक्सर अपने पास से ही खर्च करना पड़ रहा है । उन्होंने कहा कि आशा वर्कर्स को ईएसआई की सुविधा के साथ-साथ पीएफ भी मिलना चाहिए । आशा वर्कर की यह मांगे नई नहीं है , पहले से ही आशा वर्कर विभिन्न स्तर पर धरना प्रदर्शन करते हुए तथा ज्ञापन सौंपते हुए सरकार का ध्यान अपनी इन मांगों की तरफ दिलाती आ रही हैं। लेकिन सरकार आशा वर्कर की मांगों की निरंतर अनदेखी करती आ रही है। आशा वर्कर्स की नेता परवेश नें कहा कि कोरोना कॉविड 19 महामारी के दौरान पूरा देश जानता है और पूरे देश ने देखा भी है कि आशा वर्कर्स ने किस प्रकार से अपना काम किया, अपनी जान जोखिम में डालकर नाम मात्र को सुरक्षा के संसाधन उपलब्ध करवाए जाने के बावजूद घर-घर जाकर सर्वे किया। साथ ही संक्रमित परिवारों की देखभाल के साथ विभिन्न प्रकार के आंकड़े भी सरकार के लिए एकत्रित किए हैं । उन्होंने सरकार से सवाल किया , सरकार यह सोचे यदि कोरोना कोविड-19 महामारी के दौर में आशा वर्कर्स नहीं होती तो इस बात में कोई गुरेज नहीं कि अमेरिका से भी बुरे हालात भारत में हो सकते थे और कोरोना कॉविड 19 बीमारी का कितना भयंकर रूप आज देश और लोगों के सामने होता ? यह सोचकर भी सांस अटक जाती है । उन्होंने सवाल किया कि कोरोना कोविड-19 माहवारी के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े सभी कर्मचारी और आशा वर्कर्स ने एक जैसा मेहनत और काम किया है । आयुष्मान योजना के तहत जो सुविधा मिलनी चाहिए, वह सरकारी अस्पतालों में और सरकार के द्वारा नामित अस्पतालों में नहीं मिल रही है। उन्होंने सीधे-सीधे आरोप लगाया कि अब जब कोरोना कोविड-19 पर किसी हद तक लगाम लग चुकी है तो सरकार ने अपने हाथ खड़े करते हुए कह दिया कि अपना इलाज प्राइवेट अस्पतालों में ही करवाया जाए। जब कि ोिरोना कोविड 19 तहातारी के चरम पर रहते सरकारी अस्पताल में इलाज कराया जा रहा था। लेकिन सरकार की क्या मंशा है ? यह अब समझ से बाहर होता जा रहा है । उन्होंने सरकार से मांग की है कि सभी आशा वर्कर्स को स्वास्थ्य कर्मचारियों के बराबर नियमित और पक्का किया जाए ं यदि सरकार आशा वर्कर्स को नियमित और पक्का नहीं कर सकती है तो जो सरकार ने कम से कम वेतनमान तय किया है वह आशा वर्कर्स को उपलब्ध करवाया जाए। इस मौके पर आशा वर्कर्स सीआईटीयू से संबंध जिला अध्यक्ष रानी, भवन निर्माण कामगार के ब्लॉक सचिव राजेश , सीआईटीयू के जिला सचिव कामरेड धरमवीर सहित अन्य कर्मचारी नेताओं ने भी अपनी अपनी बात रखते हुए सरकार से मांग की कि जो भी लंबित मांगे हैं उन्हें यथाशीघ्र पूरा किया जाए। Post navigation देहात में कोरोना… अभी भी देहात के इलाके में करो ना नहीं हो रहा काबू पटौदी में रिकॉर्ड तोड़ 150 मिली मीटर हुई बरसात