भिवानी/मुकेश वत्स  

हरियाणा सरकार द्वारा भले ही मेरा पानी-मेरी विरासत योजना के तहत धान न बोने वाले किसानों को प्रोत्साहित करने की योजना बनाई हो। परन्तु भिवानी जैसे मरूस्थली क्षेत्रों के भी किसान कुछ हिस्सों में धान की रोपाई में लग गए हैं। भिवानी जिला में हुई बरसात के बाद प्रवासी मजदूरों की मदद से धान की रोपाई शुरू हो गई हैं।

लॉकडाऊन के दौरान मजदूर बिहार, मध्यप्रदेश व उत्तर प्रदेश चले गए थे, धान रोपाई के लिए वे मजदूर अब वापिस लौट आए हैं। प्रदेश सरकार द्वारा अत्याधिक पानी का प्रयोग करने वाली धान की फसल को कम बोने की अपील सरकार ने किसानों से की थी। जिन क्षेत्रों में पानी की कमी है। वहंा के किसानों को विशेष तौर पर धान की फसल न बोने के लिए अभियान चलाकर प्रेरित किया गया था कि वे धान की बजाए कम पानी खर्च करने वाली अन्य फसलें अपने खेत में लगाएं। क्योंकि एक किलो चावल बनकर तैयार होने में धान की फसल पांच हजार लीटर पानी खर्च करती है, ऐसे में प्रति एकड़ पानी का खर्च धान की फसल पर बहुत बड़ी मात्रा में होता है, जबकि इतने ही पानी में अन्य फसलों की तीन से चार साल तक सिंचाई हो सकती हैं।

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