हालांकि वर्षों-दशकों से स्थानीय मतदाताओं और आम लोगों द्वारा वार्ड पार्षद ही कहकर किया जाता है संबोधित

हरियाणा नगरपालिका कानून, 1973 और हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 में पार्षद शब्द का उल्लेख तक नहीं — हेमंत

इलेक्शन सर्टिफिकेट, निर्वाचन नोटिफिकेशन और शपथग्रहण में सदस्य (मेम्बर) शब्द का होता है प्रयोग

चंडीगढ़ — हरियाणा प्रदेश के कुल 33 नगर निकायों ( 8 नगर निगमों, 4 नगरपालिका परिषदों एवं 21 नगरपालिका समितियों ) के आम चुनाव एवं अम्बाला और सोनीपत नगर निगमों के मेयर पद उपचुनाव. 1 नगरपालिका परिषद एवं 2 नगरपालिका समितियों के अध्यक्ष पद ला उपचुनाव एवं 3 नगरपालिका समितियों में 1-1 वार्ड सदस्यों (पार्षदों) के उपचुनाव हेतू आगामी 2 मार्च ( पानीपत नगर निगम के लिए 9 मार्च) को मतदान निर्धारित है जबकि 12 मार्च को मतगणना होगी.

इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट और म्यूनिसिपल कानून जानकार हेमंत कुमार (9416887788) ने एक रोचक परन्तु महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए बताया कि बेशक ऐसा पढ़ने और सुनने में आश्चर्यजनक प्रतीत हो परन्तु सत्य यही है कि हरियाणा में कुल 87 निकायों अर्थात 11 नगर निगमों, 23 नगर परिषदों और 53 नगर पालिका समितियों में कानून कोई भी वार्ड पार्षद, जिसे म्युनिसिपल कौंसलर (एम.सी.) भी कहते हैं, नहीं है.

हर नगर निकाय के आम चुनाव के बाद राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा प्रकाशित निर्वाचन नोटिफिकेशन में वार्डों से निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए वार्ड पार्षद या म्युनिसिपल कौंसलर ( एम.सी.) की बजाय सदस्य (मेंबर) शब्द का प्रयोग किया जाता है जोकि हरियाणा के दोनों म्यूनिसिपल कानूनों के अनुसार बिलकुल सही भी है हालांकि यह अत्यंत आश्चर्यजनक है कि न केवल चुनाव जीते उम्मीदवारों एवं उनके समर्थकों आदि द्वारा बल्कि यहाँ तक कि आम लोगों द्वारा उन्हें निर्वाचित वार्ड पार्षद या एम.सी. शब्द के तौर पर ही सम्बोधित किया जाता है जिससे निकाय क्षेत्र के मतदाताओं और स्थानीय निवासियों में यही आम धारणा बन गयी है कि उनके सम्बंधित वार्ड क्षेत्र से चुनाव जीतने वाला उम्मीदवार सम्बंधित नगर निकाय का पार्षद / कौंसलर (एमसी) ही है जोकि हालांकि कानूनन गलत है क्योंकि 52 वर्ष पूर्व बने

हरियाणा म्युनिसिपल (नगरपालिका ) कानून, 1973 , जो प्रदेश की सभी नगरपालिका समितियों और नगरपालिका परिषदों पर लागू होता है एवं हरियाणा म्युनिसिपल निर्वाचन नियमो, 1978 , जिसके आधार पर निर्वाचन आयोग द्वारा नगर निकाय में चुनाव करवाए जाते हैं, दोनों में कहीं भी पार्षद ( कौंसलर ) शब्द ही नहीं है. इसकी बजाए उपरोक्त 1973 कानून की धारा 2 (14 ए) में सदस्य (मेंबर) शब्द का प्रयोग किया गया है. ठीक इसी प्रकार हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 की धारा 2 (24) में और‌ हरियाणा नगर निगम‌ निर्वाचन नियमो, 1994 में भी पार्षद ( कौंसलर ) के स्थान पर सदस्य (मेंबर) शब्द का ही प्रयोग किया गया है

हेमंत ने आगे बताया कि निकाय चुनावों में मतगणना के बाद वार्डों से विजयी रहे निर्वाचित प्रतिनिधियों को‌ जो निर्वाचन प्रमाण-पत्र (इलेक्शन सर्टिफिकेट ) सम्बंधित निकाय चुनावों के रिटर्निंग अफसर (निर्वाचन अधिकारी) द्वारा प्रदान किये जाते हैं, उसमें भी सदस्य, सम्बंधित नगर निगम/नगर परिषद/ नगर पालिका का ही उल्लेख था न कि पार्षद ( कौंसलर) शब्द का.

इसी तरह राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा वार्डों‌ से विजयी उम्मीदवारों के‌ संबंध मे जारी निर्वाचन नोटिफिकेशन में और उस नोटिफिकेशन के जारी होने के 30 दिनों के भीतर नगर निकाय के सम्बंधित ज़िले के मंडल आयुक्त (डिविजनल कमिश्नर) या उपायुक्त (डीसी) द्वारा या उसके द्वारा अधिकृत किसी गज़ेटेड अधिकारी द्वारा नगर निकायों वार्डो से निर्वाचित प्रतिनिधियों को पद और निष्ठा की शपथ भी संबंधित नगर निकाय सदस्य के तौर पर ही दिलवाई जाती है न कि सम्बंधित नगर निकाय पार्षद / कौंसलर के तौर पर.

हेमंत ने बताया कि बेशक देश के कई राज्यों जैसे पंजाब, चंडीगढ़, हिमाचल, उत्तर प्रदेश, राजस्थान आदि में स्थापित नगर निकायों के निर्वाचित सदस्यों द्वारा पार्षद ( कौंसलर) शब्द का प्रयोग किया जाता है, परन्तु वहां ऐसा करना कानूनन वैध है क्योंकि उन सभी प्रदेशो के सम्बंधित म्युनिसिपल कानूनों में पार्षद शब्द का उल्लेख किया गया है परन्तु हरियाणा के दोनों म्युनिसिपल कानूनों में यह शब्द नहीं है. यहाँ तक कि भारत के संविधान में म्युनिसिपेलिटी से सम्बंधित भाग 9ए एवं अनुच्छेद 243 के खंडो में भी पार्षद (कौंसलर) शब्द का उल्लेख नहीं किया गया है. बहरहाल, विधानसभा मार्फ़त हरियाणा नगरपालिका कानून, 1973 और हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 में उपयुक्त संशोधन कर मेम्बर (सदस्य) शब्द के स्थान पर पार्षद (कौंसलर) शब्द डाला जा सकता है.

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