चंडीगढ़, 9 जनवरी – हरियाणा सेवा का अधिकार (आरटीएस) आयोग ने उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम (यूएचबीवीएन), पंचकूला को एक उपभोक्ता को अधिसूचित सेवा प्रदान करने में देरी के लिए 3,000 रुपये का मुआवजा देने के निर्देश दिये हैं। आयोग के प्रवक्ता ने यह जानकारी देते हुए बताया कि झज्जर जिले के निवासी श्री राजेश यादव ने अपने पुराने मीटर को बदलने के लिए आयोग से संपर्क किया था। राजेश यादव ने बताया कि 18 जुलाई, 2024 को शिकायत दर्ज कराने के बाद उन्हें निगम से फोन आया कि उनका नया मीटर आ गया है और 2-3 दिन में बदल दिया जाएगा। हालांकि, इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की गई जबकि संबंधित जेई का फोन आया, जिसमें बताया गया कि स्टोर में कोई मीटर उपलब्ध नहीं है और उनका मीटर नहीं बदला जा सकता है। शिकायतकर्ता के बयान से ऐसा प्रतीत होता है कि जेई अवैध रिश्वत मांग रहा था, जिससे नया मीटर लगाने में देरी हो रही थी।शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि संबंधित एसडीओ ने श्री जय प्रकाश यादव द्वारा हस्ताक्षरित एक संतुष्टि पत्र भेजकर एक दस्तावेज तैयार किया, जो शिकायतकर्ता के अनुसार न तो किरायेदार था और न ही परिसर में कोई कर्मचारी था। आयोग ने मामले के सभी तथ्यों और परिस्थितियों पर ध्यानपूर्वक विचार किया। आयोग में अपील दायर किए जाने के बाद ही अंतत: 26 नवंबर, 2024 को मीटर बदला गया। इसमें कहा गया कि जिस सेवा को शहरी क्षेत्रों में 3 दिनों के भीतर वितरित किया जाना चाहिए, उसे प्रदान करने में 4 महीने से अधिक का समय लगा, साथ ही कहा कि इस देरी के लिए यूएचबीवीएन स्पष्ट रूप से जिम्मेदार है। यह न तो शिकायतकर्ता/उपभोक्ता की चिंता है और न ही आयोग की कि मीटर उपलब्ध नहीं हैं। एक बार सेवा अधिसूचित हो जाने के बाद, यूएचबीवीएन को अपने स्टोर में मीटरों की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सभी संभव कदम उठाने चाहिए। आयोग ने कहा कि आम तौर पर यह देखा गया है कि बिजली उपयोगिताओं की सामग्री प्रबंधन शाखा अपने स्टोर में आवश्यक सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं कर रही है, जिससे अधिसूचित सेवा की डिलीवरी में देरी हो रही है। इसलिए, आयोग ने हरियाणा सेवा का अधिकार अधिनियम, 2014 (जिसे आगे ‘अधिनियम’ कहा जाएगा) की धारा 17(1)(एच) के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए उपभोक्ता को 3,000 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया, जिसका भुगतान यूएचबीवीएन को अपने कोष से करना चाहिए। यूएचबीवीएन इस राशि को उन दोषी अधिकारियों से वसूलने के लिए स्वतंत्र है जो अपने स्टोर में एलटी/सीटी मीटर की उपलब्धता सुनिश्चित करने में विफल रहे। यह राशि या तो यूएचबीवीएन द्वारा उपभोक्ता के खाते में समायोजित की जानी चाहिए या उपभोक्ता के बैंक खाते में स्थानांतरित की जानी चाहिए। संबंधित एक्सईएन को 25 जनवरी, 2025 तक आयोग को इन आदेशों की अनुपालन रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए गए हैं।वहीं, इस मामले में गंभीर मुद्दा शिकायतकर्ता की ओर से फर्जी संतुष्टि पत्र तैयार करना है। आयोग ने बहादुरगढ़ के एक्सईएन को इसकी जांच कर 24 जनवरी,2025 तक रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं। एक्सईएन को यह भी निर्देश दिए गए हैं कि वे इस बात की पुष्टि करें कि 18 जुलाई,2024 के बाद स्टोर में एलटी/सीटी मीटर उपलब्ध थे या नहीं। अगर थे तो एक्सईएन को यह पुष्टि करनी होगी कि मीटर प्राथमिकता के आधार पर लगाए गए थे या जेई की मर्जी से लगाए गए थे। यूएचबीवीएन और डीएचबीवीएन के प्रबंध निदेशकों को अपने स्टोर की स्टॉक स्थिति की समीक्षा करने और अधिसूचित सेवाओं की डिलीवरी के लिए इसकी उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए भी कहा गया है। Post navigation 80 फीसदी सड़क दुर्घटनाओं का मुख्य कारण मानव त्रुटियां – अनिल विज 27 फरवरी से संचालित होंगी सैकेण्डरी, सीनियर सैकेण्डरी व डी०एल०एड० की परीक्षाएं