·       सरकार हठधर्मिता छोड़े और किसान संगठनों के साथ हुए समझौते को लागू करे – दीपेंद्र हुड्डा

·       MSP की कानूनी गारंटी किसानों का अधिकार, 3 कृषि कानूनों के रद्द होने के समय भी सरकार ने MSP की लीगल गारंटी देने का वायदा किया था– दीपेंद्र हुड्डा

·       सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने संसद में उठाई किसानों की मांग

चंडीगढ़, 17 दिसंबर। सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने संसद में MSP की कानूनी गारंटी समेत किसानों की विभिन्न समस्याओं को शून्य काल में उठाते हुए कहा कि किसान नेता सरदार जगजीत सिंह डल्लेवाल जी पिछले 22 दिनों से MSP की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठे हैं। सरकार किसानों की MSP की कानूनी गारंटी देने की मांग पूरा करे और जगजीत सिंह डल्लेवाल का अनशन खत्म कराए। उन्होंने सवाल किया कि अगर 101 किसान दिल्ली आकर अपनी मांगें रखना चाहते हैं तो इसमें गलत क्या है? क्या देश के किसान को ये भी अधिकार नहीं कि वो अपनी बात कहने देश की राजधानी में जा सके? दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि सरकार हठधर्मिता छोड़े और किसान आंदोलन के समय किसान संगठनों के साथ हुए समझौते को तुरंत लागू करे।

सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि 9 दिसंबर 2021 को आंदोलनकारी किसानों व सरकार के बीच हुए समझौते को आज तक सरकार ने पूरा नहीं किया। देश के किसान सरकार के विश्वासघात से दु:खी हैं। 3 कृषि कानूनों के रद्द होने के समय सरकार ने देश के किसानों से कुछ वायदे किए थे, जिसमें MSP को अमलीजामा पहनाकर लीगल गारंटी देने का वायदा प्रमुख था। लेकिन लंबे अरसे तक जब वो वायदा पूरा नहीं हुआ तब किसानों ने अपना आंदोलन दोबारा शुरू किया और पिछले काफी समय से किसान पक्के मोर्चे के माध्यम से हरियाणा-पंजाब शंभु बॉर्डर पर बैठे हुए हैं। किसान अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहा है। वो अपनी मांगों को लेकर इसलिए मोर्चे पर बैठे हैं क्योंकि लंबा समय बीतने के बाद भी सरकार समझौते को लागू नहीं कर रही, जो भाजपा सरकार की वायदा खिलाफी का प्रतीक है।

उन्होंने कहा कि एमएसपी की कानूनी गारंटी किसानों का अधिकार है। एक साल से ज्यादा समय तक चले किसान आंदोलन में भी किसानों की यही मांग थी कि एमएसपी की कानूनी गारंटी मिले। सभी फसलों पर एमएसपी मिले और सभी किसानों को मिले। लेकिन केंद्र की बीजेपी सरकार के अहंकार और राजहठ के चलते इस आंदोलन में 750 किसानों को अपनी कुर्बानी देनी पड़ी। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि किसान देश का पेट भरने के लिए खेत में अन्न पैदा करता है और उसका बेटा सीमा पर सीना तानकर देश की रक्षा करता है। इन दोनों ने ही कभी उलटा हटना नहीं सीखा।

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