गीता भारत के सांस्कृतिक इतिहास की विरासत : आरिफ मोहम्मद खान।

सम्पूर्ण मानवता के जीवन दर्शन का सार है गीता : लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह।

देवस्वरूपा गीता में पर्यावरण का वैश्विक संदेश निहित : स्वामी ज्ञानानंद।

विश्व में गीता के पर्यावरण संरक्षण सिद्धांत को लागू करने की आवश्यकता : सतीश कुमार।

भारत और तंजानिया के शिक्षा एवं कृषि क्षेत्र में गहरे संबंध : साबिया।

केयू में तीन दिवसीय नौवीं अंतरराष्ट्रीय गीता सम्मेलन का हुआ शुभारंभ।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र, 5 दिसम्बर : गीता पूरे विश्व को पर्यावरण संरक्षण का संदेश देती है। गीता सम्पूर्ण मानवता के कल्याण का ऐसा ग्रंथ है जिसके माध्यम से मानव जीवन से जुड़ी हुई सभी समस्याओं का समाधान निहित है। ये उदगार हरियाणा के राज्यपाल एवं कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलाधिपति बंडारू दत्तात्रेय ने केयू तथा कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के संयुक्त तत्वावधान में ऑडिटोरियम हॉल में श्रीमद्भगवद् गीता आधारित संतुलित प्रकृति – शुद्ध पर्यावरण’ विषय पर आयोजित 9वें तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय गीता सम्मेलन में बतौर मुख्यातिथि उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए अभिव्यक्त किए। इससे पहले राज्यपाल एवं अतिथियों द्वारा विधिवत रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर अंतर्राष्ट्रीय गीता सम्मेलन का उद्घाटन किया गया व गीता सम्मेलन की स्मारिका का विमोचन किया।

राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि भारत की केन्द्र सरकार गीता के संदेश का निर्वहन करते हुए 2035 तक सौर उर्जा के माध्यम से 6000 मैगावाट बिजली उत्पादन कर कार्बन उत्सर्जन को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। हरियाणा सरकार भी सौर उर्जा के माध्यम से कार्बन के उत्सर्जन पर नियंत्रण कर पर्यावरण संतुलन के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि अपनी सामाजिक समस्याओं के निवारण के लिए गीता का पाठ अवश्य करें।

इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में विशिष्ट अतिथि के रूप में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि गीता भारत के सांस्कृतिक इतिहास की विरासत है। यह सम्पूर्ण मानवता के कल्याण का ग्रंथ है। इसमें भारतीय एकता एवं अखंड़ता का स्वरूप दिखाई देता है। पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में गीता का महत्वपूर्ण योगदान है। आवश्यकता है गीता के पर्यावरण संरक्षण संदेश को पूरे विश्व तक पहुंचाने की। गीता उपनिषदों, वैदिक ग्रंथों का सार है।

सम्मेलन के विशिष्ट अतिथि उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने कहा कि गीता सम्पूर्ण मानवता के जीवन दर्शन का सार है। उन्होंने कहा कि धर्म और ज्ञान की भूमि कुरुक्षेत्र आकर पूर्णता की अनुभूति हो रही है। हरियाणा सरकार द्वारा 18 दिन तक आयोजित अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव से पूरे विश्व को पता लगेगा की गीता में लिखा क्या है। जीवन में उत्कंठा, विडम्बना, असंमजस से गीता का ज्ञान हमें सही दिशा में लेकर जाता है। गीता धार्मिक, नैतिक ग्रंथ है जो हमें सभी जिज्ञासाओं, अंदर से मजबूती, संकट के समय सही निर्णय लेने की शक्ति प्रदान करता है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्व को जागृत करने का कार्य किया है तथा गीता को पूरे विश्व की धरोहर बताया है।

अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में पूरे विश्व में गीता के प्रचार एवं प्रसार करने वाले गीता मनीषी व जीओ गीता के संस्थापक एवं प्रणेता स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने कहा कि देवस्वरूपा गीता में पर्यावरण का वैश्विक संदेश निहित है। कुरुक्षेत्र की पावन भूमि गीता के उपदेश व संदेश की जन्म स्थली है। संतुलन हर क्षेत्र में आवश्यक है। गीता में प्रत्येक समस्या का समाधान है।

अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में तंजानिया, जांजीबार की यूथ एवं कल्चरल मिनिस्टर ताबिया ने कहा कि भारत और तंजानिया के शिक्षा एवं कृषि क्षेत्र में गहरे संबंध है। कुरुक्षेत्र की पावन भूमि पर भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का संदेश दिया था। तंजानिया तथा भारत के बीच इस तरह के आयोजनों से आपसी संबंध मजबूत होंगे जिससे संस्कृति, कृषि, स्वास्थ्य, व्यापार, शिक्षा, शोध व अन्य क्षेत्रों में लाभ होगा।

स्वदेशी जागरण मंच के सह-संगठक व प्रसिद्ध आर्थिक विशेषज्ञ सतीश कुमार ने कहा कि विश्व में गीता के पर्यावरण संरक्षण सिद्धांत को लागू करने की आवश्यकता है। श्रीमद्भगवद् गीता संदेश ही प्रकृति का है। 4.5 प्रतिशत आबादी वाला अमेरिका विश्व के 40 प्रतिशत संसाधन का उपयोग करता है। चीन 26 प्रतिशत प्रदूषण कर रहा है। भारत के 145 करोड़ लोगों में गीता समाहित है। भारत की आत्मा श्रीमद्भगवद्गीता है।

निदेशक, आईएचएम, तिरूचरापल्ली के डॉ. पवन कुमार ने कहा कि भगवद्गीता को हमें अपने पास रखना चाहिए। गीता में 18 अध्याय व 700 श्लोक हैं। हमें अनावश्यक विकार को हटाना चाहिए। मंच का संचालन जैनेन्द्र कुमार ने किया तथा केडीबी के मानद सचिव उपेन्द्र सिंघल ने सभी अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।

इस मौके पर डॉ. ममता सचदेवा, कुलसचिव प्रो. संजीव शर्मा, केडीबी के मानद सदस्य उपेन्द्र सिंघल, डीन एकेडमिक अफेयर्स प्रो. दिनेश कुमार, छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. एआर चौधरी, सम्मेलन निदेशक प्रो. तेजेन्द्र शर्मा, प्रो. रमेश भारद्वाज, प्रो. वनिता ढींगरा, प्रो. संजीव अग्रवाल, प्रो. विवेक चावला, लोक सम्पर्क विभाग के निदेशक प्रो. महासिंह पूनिया, डॉ. प्रीतम सिंह, डॉ. अर्चना चौधरी, मदन मोहन छाबड़ा, डॉ. गुरचरण सिंह, विजय नरूला, गौरव अग्रवाल, अशोक रोशा, डॉ. ऋषिपाल, सौरभ चौधरी, डॉ. एमके मोदगिल, कर्मवीर सैनी, सहित डीन, डायरेक्टर, विभागाध्यक्ष, प्रिंसीपल, शिक्षक, कर्मचारी, शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद थे।

गीता उपदेश में खोज और जिज्ञासा की भावना निहितः प्रो. सोमनाथ।

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि गीता उपदेश में खोज और जिज्ञासा की भावना निहित है। यही भावना राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का आधार है। हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय के मार्गदर्शन में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 को इसके सभी प्रावधानों के साथ देश में सर्वप्रथम लागू किया है। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भगवद् गीता आधारित संतुलित प्रकृति – शुद्ध पर्यावरण विषय पर आयोजित 3 दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में 12 तकनीकी सत्रों में विभिन्न देशों के 700 विद्वान चर्चा करेंगे और इस सम्मेलन को सार्थक बनाएंगे।
अंतर्राष्ट्रीय गीता सम्मेलन में 700 शोध पत्र होंगे प्रस्तुत।

लोक सम्पर्क विभाग के निदेशक प्रो. महासिंह पूनिया ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय गीता सम्मेलन सम्मेलन में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के 15 विभागों द्वारा आयोजित 12 तकनीकी सत्रों में विद्वान 700 से अधिक गीता आधारित शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे व चर्चा करेंगे।

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