भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। हरियाणा विधानसभा सत्र गत 28 अक्टूबर को विधायकों और मंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह से आरंभ हुआ था। उसके बाद इसका समापन नहीं किया गया। न उस सत्र में राज्यपाल का भाषण हुआ था। वर्तमान स्थिति यह है कि जनता में एक प्रकार से संदेश जा रहा है कि पहला सत्र 13 नवंबर से आरंभ हो रहा है।

अभी तक की सूचनाओं के अनुसार यह सत्र 3 दिन का होगा 13, 14 व 18 नवंबर को बाकी 15, 16, व 17 नवंबर का अवकाश रहेगा। इसके साथ ही मुख्यमंत्री का कहें ब्यान आया था कि यदि आवश्यकता हुई तो सत्र को बढ़ाया भी जा सकता है। वर्तमान स्थिति यह है कि 13, 14 व 18 नवंबर को सत्र चलेगा।

यदि कागजों में देखा जाए तो यह सत्र 28 अक्टूबर से आरंभ हुआ और अब 18 नवंबर को समाप्त होगा। इस प्रकार से इस सत्र की अवधि 21 दिन हो गई, जिसमें कार्य दिवस केवल 4 ही रहे।

अभी तक प्राप्त सूचनाओं के अनुसार कांग्रेस ने अपना नेता प्रतिपक्ष नहीं चुना है और शायद यह पहला ऐसा सत्र होगा, जिसमें नेता प्रतिपक्ष ही न हो। कांग्रेस की अभी तक चर्चाएं चल रही हैं कि किसे बनाया जाएगा नेता प्रतिपक्ष। अभी तक सूत्रों से प्राप्त सूचनाओं के अनुसार नेता प्रतिपक्ष का निर्णय झारखंड और महाराष्ट्र के चुनाव के पश्चात होगा। वास्तव में क्या होगा, यह तो कांग्रेसजन ही जानें।

इस प्रकार हमने कहा है कि ऐतिहासिक होगा यह सत्र तो वह ऐसे कि मुझे याद नहीं पड़ता कि कभी 21 दिन के सत्र में केवल 4 कार्य दिवस हों और ऐसा भी सत्र याद नहीं पड़ता, जिसमें नेता प्रतिपक्ष ही न हो। वैसे विचारनीय यह भी है कि वर्तमान में 40 प्रथम बार बने विधायक हैं तो ऐसी स्थिति में आप ही निर्णय करें कि यह ऐतिहासिक होगा या नहीं। और ऐतिहासिक होगा तो अच्छे में लिखा जाएगा या बुरे में।

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