भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। 5 तारीख से भाजपा का सदस्यता अभियान आरंभ हो रहा है। ऐसी सूचना प्रदेश अध्यक्ष पं. मोहनलाल बडोली ने दी। इसके लिए उन्होंने कमेटी भी गठित कर दी है। इधर कल 23 तारीख को पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ का जन्मदिन था। उस कार्यक्रम में वह इतने उत्साहित हुए कि उन्होंने कहा कि झज्जर जिले की चारों विधानसभाओं में एक-एक लाख सदस्य बनाएंगे। अर्थात यदि उनकी मानें 90 विधानसभाओं में 90 लाख सदस्य हो गए। और यदि गंभीरता से मनन करें तो यह एक करोड़ से भी ऊपर बढ़ सकते हैं, क्योंकि झज्जर की विधानसभाएं तो छोटी हैं लेकिन गुरुग्राम-बादशाहपुर जैसी भी विधानसभाएं हैं, जिनमें उस औसत से देखें तो और अधिक सदस्य बनेंगे।

हरियाणा में लगभग दो करोड़ वोटर्स हैं अर्थात वह आधे वोटर्स को भाजपा का सदस्य ही बना लेंगे, जबकि विधानसभा चुनाव में भाजपा को लगभग 35 प्रतिशत वोट मिली हैं। अब आप ही विचार कीजिए कि जो यह कह रहे हैं क्या वह संभव है?

अब प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बडोली की बात करें तो वह विधायक होते हुए लोकसभा का चुनाव तो लड़ सकते हैं लेकिन प्रदेश अध्यक्ष होते हुए विधायक की जिम्मेदारी नहीं उठा सकते तो ऐसा उन्हीं का कहना है इसलिए वह विधानसभा चुनाव नहीं लड़े थे।
अब उनके बाद धनखड़ की बात करें तो वह पिछले दो चुनाव लगातार हार चुके हैं अर्थात जितने सदस्य वह एक विधानसभा में बनाने की बात कर रहे हैं, उससे आधे से कुछ अधिक ही वोट वह पा सके। न जानें वह इस प्रकार की बातें जनता को बरगलाने के लिए करते हैं या खुद को बरगलाने के लिए?

अब प्रदेश की बात करें तो मैंने गुरुग्राम के जिला प्रधान से पूछा कि इस बार चुनाव के समय कितने भाजपाईयों ने भाजपा छोड़ी? तो उनका कहना था कि अभी हिसाब किया नहीं है, 5-7 ने छोड़ी होगी तो उस पर मैंने पूछा कि आपके पूर्व उपाध्यक्ष जीएल शर्मा ने जब भाजपा छोड़ी थी तो उनकी विज्ञप्ति आई थी कि सैकड़ों पदाधिकारियों ने मेरे साथ भाजपा छोड़ी है।

इसी प्रकार नवीन गोयल और सुमेर तंवर के बारे में भी पूछा तो उनका एक ही जवाब था कि अरे सब कागजी बातें हैं, 5-7-8 से अधिक किसी ने नहीं छोड़ी। इस पर मैंने पूछा कि जो पद रिक्त हुए हैं, उन पर नियुक्ति की है क्या? तो उनका कहना था कि अभी कोई नियुक्ति नहीं की है। इस पर मैंने पूछा चलो छोड़ते हैं इन बातों को, आप यह बता दीजिए कि गुरुग्राम में भाजपा के कितने सदस्य हैं? तो उनका उत्तर था कि मैंने अभी चेक नहीं किया है, अनेक सदस्य फोन से बन जाते हैं तो उनका हिसाब-किताब रह नहीं पाता कि कब आ जाते हैं और कब चले जाते हैं।

उपरोक्त स्थिति केवल गुरुग्राम की ही नहीं है। मेरे अन्य जिलों में रहने वाले सहयोगियों ने अपने जिले के बारे में अध्यक्ष से पूछने के प्रयास किए तो लगभग सभी जगह इसी से मिलते-जुलते जवाब मिल रहे हैं।

भाजपा हालांकि विधानसभा चुनाव जीत गई है लेकिन अभी लगभग आधे हरियाणा में निकाय चुनाव होने बाकी हैं और इस समय जो भाजपा की कार्यशैली मुख्यमंत्री, मंत्रियों, विधायकों के जो ब्यान आ रहे हैं, उससे ऐसा ही लगता है कि मानों वे चुनाव की तैयारी में हैं। अब असलियत क्या है, यह तो मुख्यमंत्री नायब सैनी और प्रदेश अध्यक्ष मोहनलाल बडोली ही जानें। शायद वह भी न जानें, क्योंकि कार्यशैली से ऐसा नजर आता है कि वह हर कार्य भाजपा हाईकमान और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के परामर्श से ही कर रहे हैं। अत: संभव है कि यह रणनीति भाजपा हाईकमान अर्थात दिल्ली से ही तय हो रही है। खैर, आज के लिए इतना ही, बाकी फिर कभी।